नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप के मामले में फरार चल रहे बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के रोहिणी स्थित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में महिलाओं की स्थिति पर नजर रखने के लिए संबंधित इलाके के डिस्ट्रिक्ट जज की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है. कार्यकारी चीफ जस्टिस विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस कमेटी के कार्यकलाप के निरीक्षण के लिए पुड्डुचेरी के उप-राज्यपाल किरण बेदी को नियुक्त किया है. मामले की अगली सुनवाई 27 मई को होगी.
कोर्ट ने संबंधित इलाके के डिस्ट्रिक्ट जज के अलावा जिन लोगों को कमेटी में शामिल किया है, उनमें संबंधित इलाके के डीएम, संबंधित इलाके की महिला सेल की डीसीपी, संबंधित जिले के लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के सेक्रेटरी, दिल्ली महिला आयोग का एक प्रतिनिधि और संबंधित जिले के महिला और बाल विकास विभाग के डिस्ट्रिक्ट अफसर शामिल होंगे. कोर्ट ने कहा कि कमेटी आश्रम में रहने वाली महिलाओं की स्थिति पर नजर रखेगी. ये ध्यान रखा जाएगा कि किसी भी महिला के मौलिक अधिकार समेत दूसरे कानूनी अधिकारों का उल्लंघन न हो.
कोर्ट ने कहा कि आश्रम अपनी धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए स्वतंत्र होगा. इसके पहले कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा था कि क्या वो इस आश्रम का टेकओवर कर सकती है. आज कोर्ट को ये सूचित किया गया कि चूंकि ये निजी संस्था है. इसलिए सरकार का इसमें दखल देना ठीक नहीं है. दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि कोर्ट चाहे तो एक कमेटी का गठन कर सकती है, जिसमें डॉक्टरों की भी एक टीम हो. अगर किसी कानून का उल्लंघन होता है तब सरकार दखल दे सकती है. उसके बाद कोर्ट ने कहा कि कमेटी समय-समय पर आश्रम का निरीक्षण करेगी और वहां रहने वालों से बात करेगी. कमेटी को आश्रम के वो दस्तावेज भी उपलब्ध कराने होंगे, जिसमें वहां रहने वाले लोगों का रिकॉर्ड हो. कमेटी डॉक्टरों, मनोचिकित्सकों या दूसरे विशेषज्ञों की राय ले सकती है.
21 अप्रैल को कोर्ट ने कहा था कि आश्रम में रहने वाली महिलाओं का ब्रेन वाश किया गया है. कोई समझदार महिला ऐसी स्थिति में आश्रम में नहीं रह सकती है. सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया था कि आश्रम में रह रही महिलाओं की नग्न परेड करायी जाती थी. उन्हें खुले में नहाने के लिए मजबूर किया जाता था. 19 अप्रैल को कोर्ट ने महिलाओं को अमानवीय स्थिति में रखे जाने पर आश्चर्य व्यक्त किया था. कोर्ट ने कहा था कि वो इस आश्रम को दिल्ली सरकार को टेकओवर करने का आदेश दे सकती है. कोर्ट ने पूछा था कि वीरेंद्र देव दीक्षित की अनुपस्थिति में इस आश्रम का संचालन कौन कर रहा है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील मेनका गुरुस्वामी ने कहा था कि बच्चियों के माता-पिता उनसे मिलना चाहते हैं, लेकिन उन्हें मिलने नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने कहा था कि आश्रम का मालिक वीरेंद्र देव दीक्षित है. उसके खिलाफ 10 से ज्यादा केस दर्ज हैं. उसके खिलाफ CBI ने चार्जशीट भी दाखिल कर दी है.
गुरुस्वामी ने दिल्ली महिला आयोग के चेयरपर्सन स्वाति मालीवाल और वकील नंदिता राव की उस रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि आश्रम में जानवरों जैसे हालात हैं. आश्रम में कई नाबालिग बच्चियां हैं, जिन्हें प्रताड़ित किया जाता है. जब हाईकोर्ट को ये बताया गया कि एम्स और इहबास के डॉक्टरों की टीम ने जब आश्रम का दौरा किया था तो सब कुछ सामान्य पाया था. इस पर गुरुस्वामी ने कहा कि एम्स और इहबास के डॉक्टरों से आश्रम में रहने वालों ने एक सामान्य सा जवाब दिया कि हम सब एक पिता की संतान हैं और हम यहां दुनिया को बचाने के लिए एकत्र हुए हैं. तब कोर्ट ने कहा कि आश्रम में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.
सुनवाई के दौरान जब मेनका गुरुस्वामी ने कहा कि कोर्ट के सख्त रुख के बाद ऐसी आशंका है कि आश्रम में रह रही महिलाओं और बच्चियों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जा सकता है. जब कोर्ट ने संबंधित उपायुक्त को निर्देश दिया कि वो ये सुनिश्चित करें कि वहां रह रही महिलाओं और बच्चों को दूसरी जगह शिफ्ट न किया जाए. कोर्ट ने एक याचिकाकर्ता को आश्रम में रह रही अपनी बेटी से मिलने की अनुमति दी. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वो बच्चियों के मां-बाप की सुरक्षा सुनिश्चित करें और उन्हें अपने बच्चों से मिलवाने का इंतजाम करें.