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कुतुब मीनार परिसर में बनी मस्जिद पर दावा करने वाली याचिका पर सुनवाई टली

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Published : Oct 27, 2021, 7:35 PM IST

कुतुब मीनार परिसर
कुतुब मीनार परिसर

साकेत कोर्ट ने हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर कुतुब मीनार परिसर में बनी कुव्वत-उल-इस्लाम मस्ज़िद पर दावा करने वाली याचिका पर सुनवाई टाल दी है.

नई दिल्ली: दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर कुतुब मीनार परिसर में बनी कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद पर दावा करने वाली याचिका पर सुनवाई टाल दी है. सिविल जज नेहा शर्मा ने 29 नवंबर को सुनवाई करने का आदेश दिया है.

24 दिसंबर 2020 को कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा था कि भक्त की हैसियत से याचिका दाखिल करने का क्या मतलब है. क्या कोर्ट ट्रस्ट के गठन का आदेश दे सकता है? सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि इस बात को लेकर कोई विवाद नहीं है कि मंदिरों को ध्वस्त किया गया था. बीते 800 सालों से हम पीड़ित हैं और अब हम वहां पूजा करने का अधिकार मांग रहे हैं, जोकि हमारा मूल अधिकार हैं.

जैन ने कहा था कि वहां पिछले 800 साल से नमाज नहीं पढ़ी गई. मस्जिद के तौर पर इसका इस्तेमाल ही नहीं हुआ. हरिशंकर जैन ने वहां मौजूद लौह स्तम्भ, भगवान विष्णु और दूसरे आराध्य देवी देवताओं की खण्डित मूर्तियों का हवाला दिया था.


सुनवाई के दौरान वकील विष्णु जैन ने कहा था कि कई देशी और विदेशी लोग वहां खंडित पड़ी हुई मूर्तियों को देखते हैं. ये राष्ट्रीय शर्म का विषय है. हमारा मकसद अब वहां किसी विध्वंस के लिए कोर्ट को आश्वस्त करना नहीं है. हम सिर्फ अपना पूजा का अधिकार चाहते हैं.

जज नेहा शर्मा ने पूछा था कि आप पूजा का अधिकार मांग रहे हैं. अभी जगह ASI के कब्ज़े में है तो एक दूसरे तरीके से आप ज़मीन पर कब्ज़ा मांग रहे हैं. तब हरिशंकर जैन ने कहा था कि हम ज़मीन पर अपना मालिकाना हक़ नहीं मांग रहे हैं. बिना मालिकाना हक दिए भी पूजा का अधिकार दिया जा सकता है.

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सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा था कि आपकी इस याचिका को दायर करने का क्या औचित्य है. किस हक़ से आप याचिका दायर कर रहे हैं. याचिकाकर्ता ने इसका जवाब देते हुए कहा था हमने देवता और भक्त, दोनों ओर से याचिका दायर की है. एक भक्त को याचिका दायर करने के अधिकार को सुप्रीम कोर्ट ने भी मान्यता दी है.

आप मेरे अधिकार को खारिज नहीं कर सकते हैं. याचिका पहले जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभ देव, भगवान विष्णु की ओर से हरिशंकर जैन, रंजना अग्निहोत्री और जितेंद्र सिंह बिसेन ने दायर की है.

याचिका में कहा गया है कि मुगल बादशाह कुतुबद्दीन ऐबक ने 27 हिंदू और जैन मंदिरों की जगह कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद बना दी. ऐबक मंदिरों को पूरे तरीके से नष्ट नहीं कर सका और मंदिरों के मलबे से ही मस्जिद का निर्माण किया गया.

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याचिका में कहा गया है कि कुतुब मीनार परिसर के दीवारों, खंभों और छतों पर हिन्दू और जैन देवी-देवताओं के चित्र बने हुए हैं. इन पर भगवान गणेश, विष्णु, यक्ष, यक्षिणी, द्वारपाल, भगवान पार्श्वनाथ, भगवान महावीर, नटराज के चित्रों के अलावा मंगल कलश, शंख, गदा, कमल, श्रीयंत्र, मंदिरों के घंटे इत्यादि के चिह्न मौजूद हैं.

ये सभी बताते हैं कि कुतुब मीनार परिसर हिंदू और जैन मंदिर थे. याचिका में कुतुब मीनार को ध्रुव स्तंभ बताया गया है.

याचिका में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के उस संक्षिप्त इतिहास का जिक्र किया गया है जिसमें कहा गया है कि 27 मंदिरों को गिराकर उनके ही मलबे से कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण किया गया. याचिका में मांग की गई है कि इन 27 मंदिरों क पुनर्स्थापित करने का आदेश दिया जाए और कुतुब मीनार परिसर में हिंदू रीति-रिवाज से पूजा करने की इजाजत दी जाए.

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