नई दिल्ली: राजधानी के कुछ इलाकों में हर साल मानसून के बाद बाढ़ जैसे हालात पैदा हो जाते हैं. जिसे देखते हुए प्रशासन अभी से ही उन परिस्थितियों से निपटने की तैयारियों में जुट गया है. पिछले साल रही कुछ कमियों को प्रशासन इस बार नहीं दोहराना चाहता. ईटीवी भारत की टीम इन तैयारियों का जायजा लेने बुराड़ी स्थित जगतपुर इलाके में पहुंची. जहां लोग भी प्रशासन के इंतजामों से संतुष्ट नजर आए.
ईटीवी भारत की टीम ने बुराड़ी और उसके आसपास के उन इलाकों का जायजा लिया जहां हर साल स्थिति काफी भयावह हो जाती है. दरअसल पहाड़ी इलाकों में मानसून के सीजन में लगातार बारिश होने के बाद निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति बन जाती है, जिससे हरियाणा, उत्तरप्रदेश और दिल्ली में हालात काफी भयावह हो जाये हैं. दिल्ली में भी अलीपुर से ओखला बैराज तक यमुना का करीब 22 किलोमीटर का बड़ा हिस्सा आता है. जिसमे हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़ने के बाद पानी का स्तर लगातार बढ़ता रहता है, जिससे निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को बाढ़ का डर सताने लगता है.
बाढ़ नियंत्रण विभाग है सतर्क
निचले इलाके में बाढ़ की वजह से जून से नवम्बर तक होने वाली फसल पूरी खराब हो जाती है. ऐसे में बाढ़ नियंत्रण विभाग लगातार अपनी पैनी नजर बनाए रहता है और पल-पल की जानकारी अपने अधिकारियों और दिल्ली सरकार को देता रहता है. बुराड़ी इलाके में बाढ़ के हालात से निपटने के लिए प्रशासन ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है. बुराड़ी के जगतपुर यमुना पुश्ते पर बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकरियों ने अभी से प्लास्टिक के बोरे भरवाने शुरू कर दिए है. जिससे पानी का स्तर बढ़ने के समय उन्हें प्रयोग में लाया जा सके.
अधिकारियों ने ऑफ कैमरा बताया कि प्रशासन इस बार पिछली कमियों को भुलाकर आगे की तैयारियों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है ताकि इस बार कोई कमी न रहे. वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन अपना काम तो कर रहा है लेकिन सरकार की ओर से गरीब किसानों को मदद के तौर पर फसल खराब होने पर कोई सहायता राशि नहीं दी जाती. महीनों तक खेतों में बाढ़ का पानी भरा रहता है, जिससे किसान अपनी अगली फसल की बुवाई समय पर नहीं कर सकता. कई मकानों में भी पानी घुस जाता है.
'हालात पर निर्भर करता है कि बाढ़ की स्थिति कैसी होगी'
स्थानीय लोगों का कहना है कि यमुना किनारे बना हुआ बांध भी काफी पुराना हो चुका है और कई जगह से कमजोर हो गया है. प्रशासन हालात बिगड़ने से पहले बांध की मरमत कराए ताकि हालात पर समय से काबू पाया जा सके ओर स्थिति बस में रहे. गौरतलब है कि पिछली बार करीब सात से आठ लाख गैलेन पानी हरियाणा से दिल्ली में छोड़ा गया था, ऐसे में इस बार बारिश और हालात के ऊपर निर्भर करता है कि दिल्ली में बाढ़ की स्थिति कैसी होगी?