नई दिल्ली: यूक्रेन पर रूस के हमले से मुश्किलें बढ़ गई हैं. यूक्रेन में हालात तेजी से बदल रहे हैं. फिलहाल, यूक्रेन में कई भारतीय छात्र भी फंसे हुए हैं. भारत सरकार इन छात्रों समेत अन्य भारतीयों को यूक्रेन से बाहर निकालने की जुगत में लगी हुई है, लेकिन रूस के हमले के बाद अब यूक्रेन में फंसे भारतीयों के लिए फिलहाल भारत लौट आना आसान नहीं है. ईटीवी भारत की बातचीत यूक्रेन में फंसे एक प्रवासी भारतीय राकेश शंकर भारती से हुई, जिन्होंने यूक्रेन की वास्तुस्थिति को साझा किया. उन्होंने बताया कि रूस के हमले के बाद लोगों में डर है, लोग समझ नहीं पा रहे कि वह कहां जाएं.
यूक्रेन और रूस की बीच छिड़ चुके विवाद के बाद यूक्रेन में फंसे भारतीयों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यूक्रेन में रहने वाले प्रवासी भारतीय राकेश शंकर भारती ने बताया कि वे डेनिप्रो शहर के निवासी है. शहर में रूस के हमले के बाद स्थिति बिलकुल भी सामान्य नहीं है, इसके विपरीत अचानक किए गए हमले से पूरा देश अस्त-व्यस्त हो गया है. लोगों को समझ ही नहीं आ रहा कि वह कहां जाएं, लोग डरे हुए हैं.
प्रवासी भारतीय राकेश शंकर भारती बताते हैं कि इस वक्त संचार का इंटरनेट ही एक माध्यम है, वह भी पोलैंड से मोहिया करवाया जा रहा है. जहां-जहां रूस के द्वारा हमले किए जा रहे हैं वहां पर स्थिति काफी खस्ता बनी हुई है. वहां न लाइट है न ही इंटरनेट. कई हजार भारतीय यूक्रेन में फंसे हुए हैं इनमें कई स्टूडेंट है और कई ऐसे हैं जो व्यवसाय करने के लिए यूक्रेन आए हुए हैं.
राकेश भारती बताते हैं कि यूक्रेन में रहने वाले रूसी लोग भी यह नहीं चाहते कि युद्ध हो, बल्कि रूस के मुकाबले उन्हें यूक्रेन में रहना ज्यादा पसंद है. राकेश भारती ने बताया कि फिलहाल की स्थिति के मद्देनजर यूक्रेन के लोगों को यह तक विश्वास नहीं कि यूक्रेन की सरकार कब तक टिक पाएगी. उन्होंने बताया कि यूक्रेन सरकार के द्वारा मिनट-मिनट पर एडवाइजरी जारी की जाती है, लेकिन लोग इतने सहमे हुए हैं कि उन्हें मालूम ही नहीं कि अगले क्षण क्या हो जाए. राकेश भारती कहते हैं कि भारत को जल्द से जल्द स्टैंड लेना चाहिए नहीं तो एक लोकतांत्रिक देश खत्म हो जाएगा. यूक्रेन के लोग ना तो युद्ध चाहते हैं और ना ही वह किसी गुलामी में जाना चाहते हैं, जो वह इतिहास में पीछे छोड़ आए हैं. यूक्रेन केवल और केवल शांति प्रिय देश है जहां परिवार रहते हैं, वे परिवार किसी का बुरा नहीं चाहते. चाहे वह रशिया के लोग हो या फिर किसी भी देश के.
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