नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम में वार्डों के हुए परिसीमन की खामियों और एक विशेष वर्ग की अनदेखी को उजागर करने के लिए पूर्व केबिनेट मंत्री सलमान खुर्शीद (Former Cabinet Minister Salman Khurshid) और राजेश लिलौठिया ने शनिवार को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को सम्बोधित किया. खुर्शीद ने कहा कि दिल्ली नगर निगम वार्ड की परिसीमन प्रक्रिया में एक ही पक्ष को ध्यान में रखकर किया गया है. कांग्रेस पार्टी में राजनीतिक दायित्व को निभाते हुए इसको लेकर आपत्ति और सुझाव दिल्ली राज्य चुनाव आयोग को सौंप दिया है.
खुर्शीद ने कहा कि दिल्ली में हुए परिसीमन पर सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब दिल्ली की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है तो वार्डों की संख्या 272 से 250 किस आधार पर की गई, इस बारे में सवाल पूछने पर कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया. क्या किसी विशेष लक्ष्य को साधकर तो वार्डों की संख्या कम नहीं की गई है?
उन्होंने सवाल किया कि जिस विधानसभा में पहले 5 वार्ड थे और अब भी 5 वार्ड हैं तो फिर उसके वार्डों की जनसंख्या, बाउंड्री में बदलाव किस मकसद से किया गया? उन्होंने कहा कि जब परिसीमन का आधार प्रति वार्ड औसत जनसंख्या 65 हजार के साथ उसमें 10 प्रतिशत की कमी अथवा बढ़ोत्तरी को सुनिश्चित किया गया, तो परिसीमन समिति ने 80 हजार की जनसंख्या वाले 32 वार्ड और 10 प्रतिशत से भी कम जनसंख्या वाले 80 वार्ड किस आधार पर बनाए.
उन्होंने कहा कि परिसीमन समिति ने अपने फार्मूले का पालन वार्ड निर्धारित करने में नहीं किया है. जबकि, सबसे कम जनसंख्या वाला वार्ड 35,509 जनसंख्या का है और सबसे अधिक जनसंख्या वाला वार्ड मयूर विहार फेस- वन की जनसंख्या 93381 है. परिसीमन समिति वार्ड निर्धारण करते समय अपनी मूल अवधारणा तथा अधिसूचना में किए गए वायदे से भटकी हुई दिखाई पड़ रही है.
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राजेश लिलौठिया ने कहा कि दिल्ली नगर निगम वार्ड परिसीमन ड्राफ्ट सामने आने के बाद भाजपा का दलित विरोधी चेहरा बेनकाब हो गया है. भाजपा ने सरकारी एजेंसियों को अपने हाथ की कठपुतली बनाकर संवैधानिक व्यवस्था और लोकतंत्र को लगातार कमजोर करने का काम कर रही है. उन्होंने कहा कि निगम वार्ड परिसीमन भाजपा के नियंत्रण में किसी साजिश के तहत किया गया है.
कहा कि परिसीमन 23 विधानसभाओं में किया जाना चाहिए था, लेकिन भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए पूरी 70 विधानसभाओं के अधिकतर वार्डों की जनसंख्या और बाउंड्री को मनमाने ढंग से अलग-थलग किया गया है. जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ दलित और अल्पसंख्यक वर्ग की जनसंख्या भी लगातार बढ़ रही है.
272 वार्ड में 46 वार्ड आरक्षित रखे गए थे परंतु परिसीमन ड्राफ्ट में आरक्षित वार्डों की संख्या कम करके 42 करना दलित समुदाय प्रतिनिधित्व को कम करने की साजिश रची गई है. यही नहीं दलित व अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति दुर्भावना के तहत दलित और अल्पसंख्यक बहुल वार्डों की जनंसख्या को नजदीकी वार्डों में विभाजित करके इन वर्गों की आवाज को दबाने का काम भाजपा के इशारे पर किया गया है.
उन्होंने कहा कि निगम एकीकरण से पहले आम आदमी पार्टी ने बहुत शोर मचाया था, लेकिन निगम परिसीमन ड्राफ्ट के बाद आम आदमी पार्टी पूरी तरह चुप है, क्योंकि आम आदमी पार्टी भाजपा की बी टीम है और केजरीवाल हर क्षेत्र में भाजपा की नीतियों का अनुसरण और समर्थन कर रहे हैं.
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