नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने गुरुवार को आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) और उसके नेता संजय सिंह सौरभ भारद्वाज, आतिशी जैस्मिन शाह और दुर्गेश पाठक के खिलाफ दिल्ली के उपराज्यपाल (Lieutenant Governor) विनय कुमार सक्सेना की ओर से दायर मानहानि मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद न्यायमूर्ति अमित बंसल ने अपना आदेश सुरक्षित रखा. उपराज्यपाल की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी और मनिंदर सिंह ने अपना पक्ष रखा.
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निषेधाज्ञा आदेश पारित करने की मांग : महेश जेठमलानी ने दलील दी कि आप और उसके नेताओं की ओर से लगाए गए आरोप स्पष्ट रूप से झूठे हैं. उन्होंने कहा कि प्रतिवादी आरोपों को साबित करने के लिए कुछ भी दिखाने में सक्षम नहीं हैं और यहां तक कि तब तक इस्तेमाल किए गए दस्तावेज भी फर्जी हैं. जेठमलानी ने कहा कि आम आदमी पार्टी के नेता कहते हैं कि विनय कुमार सक्सेना ने 1400 करोड़ रुपये का घोटाला किया है. वह नाम नहीं लेते हैं लेकिन यह स्पष्ट है कि वह किस का जिक्र कर रहे हैं. ये आरोप एक उच्च संवैधानिक पदाधिकारी के खिलाफ लगाए जा रहे हैं.
याचिका में मांग की गई कि इन नेताओं के खिलाफ निषेधाज्ञा आदेश पारित किया जाना चाहिए और उन्हें एलजी के खिलाफ आरोपों के संदर्भ में सभी ट्वीट, पोस्ट या वीडियो को हटाने का निर्देश दिया जाना चाहिए.
हालांकि, आप नेताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी और राजीव नायर ने तर्क दिया कि अदालत को इस स्तर पर अंतरिम निषेधाज्ञा आदेश पारित नहीं करना चाहिए और लगाए गए आरोपों में सच्चाई है या नहीं, यह सुनवाई के चरण में तय किया जाए.
उन्होंने कहा कि अदालतों की ओर से निर्धारित सिद्धांत यह है कि सार्वजनिक पदाधिकारियों को आलोचना के लिए खुला होना चाहिए और उन्हें आलोचनाओं को सुनना चाहिए. एलजी कानून से ऊपर नहीं हैं.
यह है मामला : आप विधायकों ने 29 अगस्त को दिल्ली विधानसभा में आरोप लगाया था कि सक्सेना ने अपने कर्मचारियों पर पुराने नोट बदलने के लिए दबाव डाला था. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जब सक्सेना खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) का नेतृत्व कर रहे थे, तब 1400 रुपये की वित्तीय अनियमितता थी.
आप ने यह भी आरोप लगाया कि सक्सेना ने अपने पद का दुरुपयोग किया और अपनी बेटी को मुंबई में खादी लाउंज के इंटीरियर डिजाइन का ठेका दिया. पार्टी ने मामले की सीबीआई और ईडी जांच और सक्सेना की गिरफ्तारी की मांग की.
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