नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने दिल्ली सरकार (Delhi Government) को यह निर्देश दिया कि त्वचा रोग (लम्पी वायरस) के कारण मरने वाली गायों (Cows die due to lumpi virus) का सम्मानजनक तरीके से अंतिम संस्कार किया जाए. कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया. याचिका में वायरल बीमारी को खत्म करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने और उपचारात्मक कदम उठाने के निर्देश देने की मांग की गई थी.
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने राज्य सरकार को एक वैकल्पिक दिन की सेवा के बजाय 24 घंटे उपलब्ध रहने वाली एंबुलेंस सेवा संचालित करने और हेल्पलाइन नंबरों की संख्या बढ़ाने का भी निर्देश दिया है. याचिका में कहा गया है कि यह बीमारी महामारी में बदल सकती है. इसलिए हमारी गायों में इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की जरूरत है.
याचिकाकर्ता गौतम ने दिल्ली सरकार द्वारा दाखिल जवाब पर आपत्ति जताया था. सरकार ने कहा था कि ढेलेदार त्वचा रोग के कारण किसी भी गाय की मृत्यु नहीं हुई है. याचिकाकर्ता ने उन गायों की तस्वीरें भी संलग्न की थी, जो लंपी वायरस की वजह से मर गई थी. दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि जहां तक पशुपालन विभाग का संबंध है, त्वचा रोग के कारण किसी गाय की मौत नहीं हुई है.
उन्होंने आगे यह सुनिश्चित किया कि हेल्पलाइन नंबर काम करना शुरू कर देंगे. कोर्ट ने गौशालाओं को सरकार के साथ तालमेल बनाकर काम करने को कहा है और दिल्ली सरकार को गायों का सम्मानजनक तरीके से निस्तारण सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को भी नोटिस जारी किया है और सभी पक्षों को सुनवाई की अगली तारीख यानी 14 दिसंबर से पहले नए सिरे से जवाब दाखिल करने को कहा है.
याचिका में आरोप लगाया गया है कि दिल्ली सरकार द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर लम्पी वायरस से संबंधित कॉल/प्रश्नों का ठीक से जवाब नहीं दे रहा है. इसके अतिरिक्त, यह प्रस्तुत किया गया था कि गायों के लिए केवल एक अलगाव आश्रय दिल्ली सरकार द्वारा रेवाला, खानपुर दक्षिण-पश्चिम जिले में 4500 मवेशियों के लिए स्थापित किया गया है, हालांकि राष्ट्रीय राजधानी में 20,000 से 25,000 से अधिक आवारा गायें हैं.