नई दिल्ली: सीएए विरोध के दौरान हिंसा करने वाले लोगों की पहचान के लिए एसआईटी सीसीटीवी फुटेज की मदद से आरोपियों की पहचान में जुटी है. उन्होंने 16 आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया है. लेकिन हिंसा की तस्वीरें कैद न होने से एसआईटी को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
वीडियो में कैद नहीं हुए हिंसा फैलाने वाले
बीते सप्ताह ही इससे संबंधित सभी फाइले क्राइम ब्रांच की एसआईटी को सौंपी गई है. इस मामले की जांच कर रही एसआईटी ने जब वीडियो को देखा तो वह हैरान रह गए. पुलिस के वीडियो में एक भी ऐसी वीडियो या फोटो नहीं मिली है जिसमें पथराव कर रहे शख्स कैद हुए हों. इनमें केवल बैरिकेड पर हंगामा करने वालों की तस्वीर हैं. उन्हें जांच में पता चला है कि जब पथराव हो रहा था तो वीडियो बनाने वाला वहां से हट गया था. इसकी वजह से पत्थर फेंकने वालों की फुटेज कैमरे में कैद नहीं हो सकी है. पुलिस अब वहां लगे सीसीटीवी कैमरे की मदद से आरोपियों की पहचान करेगी.
जांच में जुटी क्राइम ब्रांच की SIT
जानकारी के अनुसार 15 दिसंबर को जामिया और न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी इलाके में हो रहे प्रदर्शन को लेकर दिल्ली पुलिस की तरफ से वीडियोग्राफर लगाए गए थे. जामिया के छात्र एवं स्थानीय लोग इस प्रदर्शन के दौरान संसद की तरफ जाना चाहते थे जिन्हें मथुरा रोड पर पुलिस द्वारा रोका गया. इसकी वजह से कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव करते हुए बस में आग लगा दी थी. इसके चलते पुलिस को भी लाठीचार्ज करना पड़ा था . इस घटना की जांच लोकल पुलिस से लेकर क्राइम ब्रांच की एसआइटी को सौंप दी गई थी.
अब तक कुल 16 लोग गिरफ्तार
15 दिसंबर को हुई हिंसा की जांच कर रही दिल्ली पुलिस ने अब तक कुल 16 लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें से 8 लोग जामिया थाने में दर्ज मामले में गिरफ्तार किए गए हैं जबकि 8 लोग न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी इलाके में किए गए दंगे के मामले में गिरफ्तार हुए हैं. इनमें से अधिकांश के खिलाफ पहले से ही लूटपाट, आर्म्स एक्ट, एनडीपीएस एक्ट के तहत मामले दर्ज हैं. हालांकि न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में दर्ज किए गए दंगे के मामले में शामिल 3 आरोपियों की पहचान मोहम्मद राणा, मोहम्मद हारुन और मोहम्मद हमीद के रूप में की गई है. ये सभी तैमूर नगर के रहने वाले हैं और उनके खिलाफ पहले भी एनडीपीएस एक्ट के तहत मामले दर्ज हैं.