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बाल मजबूरः फैक्ट्रियाें में 12-12 घंटे काम के बदले दे रहे थे साै-साै रुपये

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Published : Dec 18, 2021, 9:45 AM IST

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वेस्ट दिल्ली के मादीपुर इलाके में शुक्रवार को डी. एम वेस्ट कार्यालय ने बचपन बचाओ के साथ मिलकर फैक्ट्रियों में (child laborers in Delhi) काम करनेवाले 28 बच्चों को छुड़ाया. इन बच्चों से 12-12 घंटे तक काम कराया जाता था जिसकी एवज में इन्हें केवल 100-200 रुपए दिहाड़ी दी जाती थी.

नई दिल्लीः अलग अलग फैक्ट्रियों और दूसरी जगहों पर नाबालिग बच्चों से काम करवाने का मामला प्रशासन के तमाम कोशिशों के बावजूद थमने का नाम नहीं ले रहा. शुक्रवार को वेस्ट जिले की डीएम कृति गर्ग के निर्देशन एसडीएम पंजाबी बाग गुरप्रीत सिंह ने श्रम विभाग, दिल्ली पुलिस, DCPCR और एनजीओ बचपन बचाओ आंदोलन (Bachpan Bachao Andolan in Delhi) की मदद से छापा मारकर कुल 28 बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त करवाया. छुड़वाए गए बच्चों की उम्र 8 से 14 साल के बीच बतायी जा रही है.

रेस्क्यू के उपरान्त मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी (सीडीएमओ) और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की देख-रेख में सभी बच्चों का मेडिकल और कोविड टेस्ट भी कराया गया. इस दौरान एसडीएम पंजाबी बाग गुरप्रीत सिंह ने बताया कि उन्हें खबर मिली थी कि मादीपुर इलाके की कुछ इकाइयों में बाल श्रमिक (Child labor is in Madipur) से काम करवाया जा रहा है. इस जानकारी के बाद मंगलवार को पहले सभी संबंधिय विभागों की बैठक बुलाई गयी.

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जिसमें इस रेस्क्यू ऑपरेशन की रूप रेखा तैयार की गई. शुक्रवार को इस रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया गया. 10 से 12 बाल श्रमिक मिलने की उम्मीद थी परन्तु फील्ड इंस्पेक्शन के दौरान अलग अलग इकाइयों से कुल 28 बाल श्रमिक मिले. उन्होंने बताया कि ऐसे शोषण के कारण बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर गहरा असर पड़ता है. इन बच्चों को नियमानुसार वेतन और मुआवजे की कार्यवाही की जाएगी व फैक्ट्री मालिकों के खिलाफ भी सख्त से सख्त कार्रवाई होगी.

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इस मौके पर बच्चों को बाल मजदूरी से बचाने वाली संस्था बचपन बचाओ आंदोलन की ओर से संजय चौधरी का महत्वपूर्ण योगदान रहा. उन्होंने ने बताया कि ये बच्चे काफी लम्बे समय से काम कर रहे थे. इन बच्चों से 12-12 घंटे तक काम कराया जाता था जिसकी एवज में इन्हें केवल 100-200 रुपए दिहाड़ी दी जाती थी. इससे पहले भी एसडीएम पंजाबी बाग ने 32 बाल मजदूरों को नांगलोई इलाके की कुछ इकाइयों से मुक्त कराया था.

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