नई दिल्ली : अफगानिस्तान में तालिबानियों की सरकार बनने के बाद समूचे विश्व ने चिंता जाहिर की है. करीब 20 साल से गृह युद्ध झेल रहे अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना पूर्ण रूप से अफगानिस्तान से वापस अपने देश लौट गई है. इस घटनाक्रम ने विश्व की राजनीति पर खासा असर डाला है.
6 साल पहले अफगानिस्तान छोड़कर भारत आए 21 साल के अहमद शहजाद दिल्ली के लाजपत नगर कस्तूरबा कॉलोनी में किराए के घर में रह रहे हैं. पूरे परिवार में इकलौते वो ही मर्द हैं. ऐसे में घर की सारी जिम्मेदारियों का बोझ उन्हीं के कंधों पर है. अहमद शहजाद की 5 बहन और मां के साथ रहते हैं. अहमद दिल्ली में बर्गर बेचकर अपना परिवार चलाते हैं.
अहमद शहजाद ने बताया कि अफगानिस्तान में एक बम ब्लास्ट होने के बाद वह अपनी मां और पांच बहनों के साथ अफगानिस्तान छोड़कर भारत आ गए थे. उस समय भी वहां के हालात ऐसे ही थे. फोन में पिता की तस्वीर देखते हुए अहमद ने बताया कि तालिबानियों ने उनके पिता को मार डाला जिसके बाद वह भारत आ गए.
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21 साल के अहमद ने बताया कि जब वे भारत आए थे तब 15 साल के थे. उनकी पांच बहने हैं. सबसे बड़ी बहन की शादी अफगानिस्तान में ही हो गई थी, लेकिन तालिबानियों ने उसके पति को भी मार डाला, हम जैसे तैसे अपनी जान बचाकर भारत आ गए. अहमद ने बताया कि बहन की 6 साल की बेटी है जो उनके साथ ही रहती है.
उनकी बहन एक मेडिकल केमिस्ट में काम करती हैं. छोटी बहन अफगानिस्तान से हिंदी ट्रांसलेटर है. अहमद दिल्ली के लाजपत नगर की कस्तूरबा कॉलोनी में रहते हैं. उन्हें हर महीने 26 हजार रुपये महीना का किराया देना पड़ता है. वर्तमान समय में आर्थिक स्थिति बेहद खराब है जिससे मकान का किराया देना भी मुश्किल हो रहा है.
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सफतुल्ला ने बताया कि अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो जाने के बाद उनके परिवार से संपर्क नहीं हो पा रहा है. वहां के हालात काफी खराब हैं. घर से महिलाओं को निकलने की अनुमति नहीं है. उन्हें पढ़ने लिखने या नौकरी करने की अनुमति नहीं है. अफगानिस्तान में खाने पीने और राशन का सामान काफी महंगा हो गया है. वहां पर जीवन सामान्य नहीं है.