नई दिल्ली : उत्तरी दिल्ली में नॉर्थ MCD निजी एजेंसियों की मदद से 42 सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण करने जा रही है. ये शौचालय मार्केट प्लेस और सार्वजनिक स्थानों वाले एरिया में बनाए जाएंगे. यह पूरी योजना स्वच्छ भारत अभियान के तहत होगी. निगम द्वारा निजी एजेंसियों की सहायता से बनाए जा रहे इन सार्वजनिक शौचालयों का वित्तीय भार निगम के ऊपर नहीं पड़ेगा. निगम को सिर्फ शौचालयों के मद्देनजर जमीन उपलब्ध करानी होगी. बाकी शौचालय का निर्माण से लेकर मेंटेनेंस तक निजी कंपनी की जिम्मेदारी होगी. उत्तरी दिल्ली के क्षेत्र में सार्वजनिक शौचालयों की भारी कमी है.
दिल्ली की सबसे बड़ी सिविक एजेंसी नॉर्थ एमसीडी स्वच्छ भारत अभियान के तहत जारी की जाने वाली रैंकिंग में अपने प्रदर्शन को सुधारने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में नॉर्थ एमसीडी अपने क्षेत्र में 42 सार्वजनिक शौचालय बनाने जा रही है. इसके लिए बकायदा पूरी योजना पर अधिकारियों के द्वारा कागजी कार्रवाई भी लगभग पूरी कर ली गई है. नॉर्थ एमसीडी इस बार नई व्यवस्था के तहत अपने क्षेत्र में सार्वजनिक शौचालय बनाने जा रही है.
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एमसीडी के अधिकारियों के अनुसार, निगम इस बार 42 टॉयलेट बीओटी कॉन्सेप्ट्स यानी कि बिल्ट ऑपरेट एंड ट्रांसफर के तहत बनाए जाएंगे. निगम के अंतर्गत वर्तमान में 112 से अधिक सार्वजनिक शौचालय आते हैं. इनकी देखरेख और मेंटेनेंस को लेकर पहले ही निगम पर सवाल उठते रहे हैं. ऐसे में अब निगम नए कांसेप्ट के तहत 42 शौचालयों का निर्माण करने जा रही है, जिसमें निजी एजेंसियां महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी और वित्तीय भार भी निजी एजेंसियां ही वहन करेंगी. सार्वजनिक शौचालय बनाने के लिए निगम सिर्फ जमीन देगी और कुछ नहीं, जबकि शौचालय की मेंटेनेंस से लेकर निर्माण और सभी कार्य निजी एजेंसी द्वारा किए जाएंगे. एजेंसी शौचालय का इस्तेमाल करने के लिए जनता से नॉमिनल शुल्क 2 और ₹5 के रूप में वसूल कर सकती है.
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जानकारी के अनुसार, निगम अपने क्षेत्र में आने वाले मोती नगर, रमेश नगर, रोहिणी करोल, रोहिणी समेत पुरानी दिल्ली के कुछ क्षेत्रों में नए कांसेप्ट के तहत शौचालय का निर्माण करेगी. इन शौचालयों के निर्माण के बाद उत्तरी दिल्ली की जनता को सुविधा मिलेगी.
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फिलहाल इस पूरी योजना के कांसेप्ट को लेकर निगम अधिकारियों के द्वारा लगभग 90% तक कागजी काम पूरा किया जा चुका है. जिसके बाद अब जल्द ही प्रस्ताव पारित कर योजना शुरू की जा सकती है. निगम के पास वर्तमान में 112 सार्वजनिक शौचालय हैं, जिनकी मेंटेनेंस और देखरेख को लेकर पहले ही निगम सवालों के घेरे में है. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि बीओटी कांसेप्ट के तहत शुरू की जाने वाली योजना कितनी सफल होती है.