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उत्तराखंड में खिले यलंग-यलंग के फूल, चेहरों पर आई 'मुस्कान', 'Queen of Perfumes' करेगी मालामाल

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 3, 2023, 12:45 PM IST

Updated : Sep 3, 2023, 7:42 PM IST

Ylang Ylang Flower
यलंग यलंग फूल

Ylang Ylang Tree आमतौर पर विदेशी धरती पर उगने वाला पौधा यलंग यलंग अब उत्तराखंड में भी अपनी खुशबू बिखेरने लगा है. इसके खूबसूरत पीले फूल कोई सामान्य फूल नहीं, बल्कि 'क्वीन ऑफ परफ्यूम' है. जिससे इत्र, दवा आदि बनाई जाती है. उत्तर भारत में पहली बार इस औषधीय पौधे पर उत्तराखंड वन अनुसंधान संस्थान हल्द्वानी की ओर से किया गया प्रयोग सफल होता नजर आ रहा है. खुशी की बात ये है कि 3 साल बाद अब इस पौधे में फूल उगने लगे हैं. जिसके कारण संस्थान के अधिकारियों के चेहरे खिल गए हैं. आज आपको यलंग यलंग की खासियत और इसके आर्थिक महत्व की जानकारी से रूबरू करवाते हैं.

यलंग यलंग फूल

देहरादूनः दुनिया भर के कई देशों में इत्र उद्योग के लिए उपयोगी यलंग यलंग अब उत्तराखंड में भी नई उम्मीद लेकर आया है. न केवल उत्तराखंड बल्कि, पूरे उत्तर भारत की इत्र इंडस्ट्री को ये पौधा बूम दे सकता है. करीब 3 साल पहले उत्तराखंड वन अनुसंधान संस्थान ने कैनंगा ओडोरेटा यानी यलंग यलंग पौधे लगाए थे. जिसके बाद अब जाकर इसमें फूल खिलने लगे हैं. वैसे दुनिया के कई देशों के साथ ही भारत के दक्षिण राज्यों में भी ये पौधा लोगों के लिए परिचित है, लेकिन उत्तर भारत में कम ही लोग इसकी उपयोगिता या महत्व को जानते हैं.

दरअसल, उत्तराखंड वन अनुसंधान संस्थान हल्द्वानी ने भी इस पौधे की इसकी विशेष खासियत को देखते हुए साल 2020 में इसे उत्तराखंड में लाया था. वैसे तो गर्म मौसम इस पौधे के अनुकूल माना जाता है और इसके फूल भी गर्म मौसम में ही उगते हैं, लेकिन उत्तराखंड वन अनुसंधान संस्थान ने नैनीताल जिले में स्थित देश के सबसे बड़े एरोमेटिक गार्डन में इसे रोपित कर इसका सफल परीक्षण किया है. जिस पर अब फूल खिलने लगे हैं.

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यलंग यलंग पेड़ के बारे में जानिएः यलंग यलंग पौधे को मूल रूप से फिलीपींस का माना जाता है. जो उष्णकटिबंधीय पेड़ है. इस पौधे का वैज्ञानिक नाम कैनंगा ओडोरेटा है. इसके फूलों को इत्रों की रानी (Queen of Perfumes) भी कहा जाता है. इत्र उद्योग के साथ औषधीय तेल, मेडिसिनल उपयोग और ज्वलनशील लकड़ी के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है. इसके अलावा शुगर, बवासीर, रक्तचाप, अस्थमा और जोड़ों के दर्द के लिए उपयोगी माना जाता है. सौंदर्य से जुड़े उत्पादों के लिए भी यलंग यलंग फूलों का इस्तेमाल होता है. यलंग यलंग पौधे में 3 साल बाद फूल खिलते हैं.

Ylang Ylang Farming in Uttarakhand
यलंग यलंग की खासियत

उत्तराखंड वन अनुसंधान संस्थान हल्द्वानी का इस पौधे पर परीक्षण करने का मकसद इसे कृषि वानिकी के रूप में स्थापित करना है. यह पौधा काफी तेजी के साथ विकसित होता है. अनुकूल मौसम मिलने पर समय से इसमें फूल भी खिलने लगते हैं. उत्तराखंड वन अनुसंधान संस्थान की तरफ से यलंग यलंग पौधे को पुणे से लाया गया था. सबसे खास बात ये है कि इसकी डिमांड दुनिया भर में होती है. किसान इसके जरिए बेहतर आमदनी कर सकते हैं. वैसे इस पौधे को परफ्यूम ट्री के नाम से भी जाना जाता है.

Ylang Ylang Farming in Uttarakhand
यलंग यलंग के फायदे
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यलंग यलंग की एक खासियत ये भी है कि इस पौधे को बड़े गमले में भी लगाया जा सकता है. करीब 3 साल बाद पहले हरे रंग के फूल उगते हैं और उसके बाद यह फूल पीले रंग के हो जाते हैं. यलंग यलंग के फूलों का रंग पीला होने के बाद इससे तेल निकाला जाता है. साथ ही इससे सौंदर्य उत्पाद भी तैयार हो जाते हैं. इतना ही नहीं इससे इत्र बनाया जाता है और तमाम बीमारियों के लिए औषधि भी तैयार की जाती है. उधर, इसकी लकड़ी ज्वलनशील होने के कारण उसका भी बेहतर उपयोग होता है. अच्छी बात ये भी है कि इसके पौधे छोटे होते हैं और इसके कारण कम जगह में भी इसको रोपित किया जा सकता है.

Ylang Ylang Flower
यलंग यलंग के फूल

यलंग-यलंग के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियांः यलंग यलंग पौधे का मूल फिलीपींस है, लेकिन इंडोनेशिया, मलेशिया और ऑस्ट्रेलिया में भी इत्र इंडस्ट्री इसका इस्तेमाल होता है. इससे बनने वाले तेल की कीमत बाजार में करीब 2 से 4 हजार रुपए प्रति 100 ML है. यलंग यलंग पौधे के 100 किलो फूल से मात्र 2 किलो तेल बनता है. इसकी अनुमानित मांग दुनियाभर में करीब 100 टन है. दुनिया में इत्र के कई बड़े ब्रांड में इसका इस्तेमाल होता है.

Ylang Ylang Flower
यलंग-यलंग पौधे पर खिले खूबसूरत पीले फूल

वहीं, उत्तराखंड वन अनुसंधान संस्थान हल्द्वानी के इस पौधे को लेकर परीक्षण के बाद इसके वानकी में व्यापक उपयोग को लेकर कोशिश की जाएगी. किसानों को भी इसके फायदे की जानकारी देकर इसके लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. लिहाजा, यदि यह प्रयोग सफल रहता है तो उत्तराखंड इत्र उद्योग के साथ मेडिसिनल उपयोग में भी इस पौधे का इस्तेमाल कर अपनी आर्थिकी में सुधार कर सकता है. साथ ही पलायन करते बेरोजगार युवाओं को भी यह पौधा बेहतर भविष्य की तरफ ले जा सकता है.
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Last Updated :Sep 3, 2023, 7:42 PM IST
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