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माफिया अतीक अहमद ने उमेश पाल को क्यों मारा, कहीं वो चार केस तो वजह नहीं

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Published : Mar 22, 2023, 4:36 PM IST

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माफिया अतीक अहमद के खिलाफ 101 दर्ज हैं लेकिन किसी भी मामले में आज तक सजा नहीं हो पाई. इसका कारण अतीक का खौफ है. कोई भी गवाह उसके केस में गवाही देने नहीं जाता था. और जो जाने की कोशिश करता उसे सारे हथकंडे अपनाकर रोक दिया जाता. आईए जानते हैं उमेश पाल की हत्या में अतीक का नाम कैसे जुड़ रहा.

प्रयागराज: उमेश पाल हत्याकांड में अतीक अहमद और उसके परिवार के ऊपर हत्याकांड को अंजाम देने का आरोप ऐसे ही नहीं लगा है. घटना के सीसीटीवी फुटेज के साथ ही उमेश पाल की पत्नी के आरोपों में इसलिए भी दम है क्योंकि अतीक अहमद के खिलाफ कुल 101 मुकदमें दर्ज हैं. जिसमें से ज्यादातर में गवाही और पैरवी कोई नहीं करता है. जिस वजह से बाहुबली अतीक अहमद को किसी भी मामले में अभी तक सजा नहीं हुई है. उमेश पाल को धमकाने के मामले में ट्रायल गवाही पूरी होने के बाद अंतिम दौर की बहस चल रही थी. इसी बीच 24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या करवा दी गई. अब उमेश पाल से जुड़े उसी केस में 28 मार्च को फैसला आने की उम्मीद है.

अतीक अहमद के खिलाफ दर्ज हैं 101 मुकदमेः बाहुबली पूर्व सांसद अतीक अहमद जहां पांच बार विधायक और एक बार सांसद रहा है, वहीं उसके खिलाफ प्रयागराज के साथ ही दूसरे जिलों में दर्ज मुकदमों की संख्या भी 101 तक पहुंच चुकी है. लेकिन, अतीक अहमद के खौफ का नतीजा ही है कि उसके खिलाफ 101 मुकदमे दर्ज होने के बावजूद ज्यादातर केस लंबित पड़े हुए हैं. क्योंकि, अतीक अहमद के खिलाफ कोर्ट में गवाही देने और मुकदमे के ट्रायल के दौरान विपक्षी कोर्ट जाते ही नहीं. इसी वजह से अतीक अहमद के खिलाफ दर्ज मुकदमों की संख्या तो लगातार बढ़ती गई लेकिन उसे किसी में सजा नहीं हुई.

उमेश पाल अकेले लड़ रहे थे बाहुबली अतीक के खिलाफः उमेश पाल ने अकेले दम पर अतीक अहमद के जुर्म के साम्राज्य के खिलाफ आवाज उठायी और लगातार उसके खिलाफ केस में पैरवी करने के साथ ही गवाही भी दे रहे थे. उमेश पाल ने अतीक अहमद के खिलाफ कुल 3 मुकदमे दर्ज करवाए थे. जिसमें उमेश पाल को गवाही से रोकने के लिए धमकाने अगवा करने के अलावा रंगदारी मांगने का भी केस शामिल है.

आपको बता दें कि उमेश पाल ने माफिया अतीक अहमद के खिलाफ 2007 में हुए अपने अपहरण के मामले के अलावा 2 दूसरे मुकदमे भी दर्ज करवाए थे. इन तीनों केस में उमेश पाल कोर्ट में मजबूती के साथ अतीक को सजा दिलवाने के लिए पैरवी कर रहे थे.

वो चार केस जिसमें अतीक के खिलाफ पैरवी कर रहे थे उमेशः राजू पाल हत्याकांड के बाद उमेश पाल को केस की पैरवी करने से रोकने के लिए अतीक अहमद के द्वारा अगवा कर धमकाया गया था. इस मामले में प्रदेश में बसपा की सरकार बनने के बाद 2007 में उमेश पाल ने केस दर्ज करवाया था. जिसमें उमेश पाल द्वारा अतीक अहमद पर अपहरण करके मारपीट करने और राजू पाल केस में पैरवी गवाही से रोकने के लिए धमकाने का आरोप लगाया गया था.

इसी तरह से जनवरी 2016 में कचहरी के बरामदे से उमेश पाल ने खुद को अगवा करने की कोशिश का केस अतीक एंड कंपनी के खिलाफ लिखवाने का प्रयास किया था. लेकिन प्रदेश में सपा की सरकार और अतीक के रसूख की वजह से केस दर्ज नहीं हो सका था. बाद में प्रदेश में सरकार बदलने पर उमेश पाल ने 2017 में अतीक के खिलाफ कर्नलगंज थाने में केस दर्ज करवाया था. अगस्त 2022 में उमेश पाल ने अतीक अहमद पर रंगदारी मांगने का केस दर्ज करवाया था.

इसके अलावा 2016 में धूमनगंज थाना क्षेत्र में रंजीत पटेल नाम के एक युवक की हत्या हुई थी. जिसमें उमेश पटेल को फंसाने के लिए आरोपी बनाया गया था. जिसमें हाईकोर्ट से उमेश पाल को अरेस्ट स्टे मिला और मामले की दोबारा निष्पक्ष जांच का आदेश भी हुआ. जिसके बाद जांच में रंजीत पाल केस में अतीक अहमद और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ के गुर्गे आरोपी बने. इस केस में रंजीत पाल की मां ने बेवजह उमेश पाल को आरोपी बनाया था. जिसके बाद इस केस में रंजीत पाल की मां सूरजकली के खिलाफ भी कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई. उस केस में भी उमेश पाल गवाह बने हैं. इस तरह से कुल चार मामलों में उमेश पाल माफिया अतीक अहमद के खिलाफ कोर्ट में मजबूती से पैरवी कर रहे थे.

अतीक के खिलाफ आवाज उठाना उमेश पाल को पड़ा भारीः अतीक अहमद के खिलाफ जहां कोई आवाज नहीं उठाता था वहीं पर उमेश पाल लगातार अतीक अहमद के खिलाफ न सिर्फ कोर्ट में गवाही और पैरवी कर रहे थे. बल्कि अतीक अहमद के खिलाफ मुकदमे भी दर्ज करवा रहे थे. उमेश पाल ने अतीक अहमद के खिलाफ 2007 और 2017 के साथ ही 2022 में भी केस दर्ज करवाया है. इसके साथ ही अपहरण केस में उमेश की पैरवी और गवाही की वजह से अतीक अहमद सजा होने तक की नौबत आ चुकी है. 28 मार्च को इस केस में जनपद न्यायालय में फैसला सुनाया जा सकता है. 24 फरवरी को जिस वक्त उमेश पाल की हत्या की गयी है तभी यह केस अंतिम दौर की फाइनल बहस में था. अब उमेश पाल की हत्या के एक महीने चार दिन बाद उस केस का फैसला भी आ सकता है जिसके प्रयास में उमेश पाल अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर केस की पैरवी कर रहे थे.

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