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International Conference on Dam Safety : केंद्रीय जलशक्ति मंत्री बोले- बांधों की सुरक्षा में प्रभावी भूमिका निभाने को तैयार भारत

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 14, 2023, 5:16 PM IST

Updated : Sep 14, 2023, 6:51 PM IST

Two day International Conference on Dam Safety Starts
Two day International Conference on Dam Safety Starts

जयपुर में दो दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन डैम सेफ्टी का गुरुवार को राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने उद्घाटन किया. इस कॉन्फ्रेंस में 15 देशों के 800 बांध विशेषज्ञ मंथन करेंगे.

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत

जयपुर. राजधानी जयपुर के राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में गुरुवार को दो दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन डैम सेफ्टी का आगाज हुआ. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने घड़े में जल भरकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. इस मौके पर त्रिपुरा के मुख्यमंत्री मानेक शाह, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार, प्रदेश के जल संसाधन मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीय और मुख्य सचिव उषा शर्मा मौजूद रहे. इसके अलावा कार्यक्रम में कई राज्यों के जल संसाधन मंत्रियों के साथ ही 15 देशों के बांध विशेषज्ञ भी शामिल हुए हैं.

बांधों की सुरक्षा पर विशेषज्ञ करेंगे मंथन - इस कार्यक्रम में जयपुर के रामगढ़ बांध के सूखने के कारण, इसके भराव क्षेत्र को फिर से जीवित करने और बांध को भरने के उपायों पर अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ चर्चा की जाएगी. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने संबोधन में मोदी सरकार की योजनाओं की तारीफ की. कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि बांधों की संख्या के लिहाज से भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है. देश में छह हजार से ज्यादा बड़े और मंझले बांध हैं. जल संविधान में बांध राज्यों का विषय होने के कारण 92 फीसदी बांध राज्यों के स्वामित्व में हैं. आजादी से पहले बने करीब 280 बांध और आजादी के बाद बने 80 प्रतिशत से ज्यादा बांध 25 साल से ज्यादा पुराने हो गए हैं.

उन्होंने कहा कि पहले बांधों के रख-रखाव को लेकर राज्यों में उदासीनता थी. इसी के चलते देश में बांध टूटने की घटनाएं हुई हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमने बांध सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए 2021 में लोकसभा और राज्यसभा में कानून पारित किया था. इसके बाद देश में बांध सुरक्षा कानून लागू हुआ है और देश के सभी राज्यों ने इसके अनुरूप व्यवस्थाएं की है.

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मानसून से पहले और बाद में अनिवार्य निरीक्षण - मंत्री शेखावत ने कहा कि पहले जहां सालभर में बांधों के 2000 निरीक्षण भी नहीं होते थे. अब पिछले एक साल से देश में प्री मानसून और पोस्ट मानसून में 12000 से ज्यादा निरीक्षण किए गए हैं. बांधों को अपडेट करने के लिए 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए गए हैं. जिसमें राजस्थान के सभी बड़े बांधों को शामिल किया गया है. बांधों की सुरक्षा के लिए भारत में एक एक सिस्टम बनाते हुए कैपेसिटी बिल्डिंग का भी कम कर रहे हैं. बांधों के स्ट्रक्चर में भूकंप की चुनौतियों और बांध सुरक्षा का अध्ययन करने के लिए एमएनआईटी में आज एक सेंटर आफ एक्सीलेंस का उद्घाटन किया गया है.

उपराष्ट्रपति ने मोदी सरकार के प्रयासों को सराहा - अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने G-20 समिट और चंद्रयान मिशन की सफलता को लेकर मोदी सरकार की तारीफ की. बांधों की सुरक्षा को लेकर किए जा रहे प्रयासों पर भी उन्होंने मंत्री गजेंद्र सिंह और मोदी सरकार की तारीफ की. उन्होंने कहा कि राजस्थान का हरियाणा और पंजाब से दशकों से जल विवाद चल रहा है. इसी तरह देश के अन्य राज्यों के बीच भी जल विवाद लंबे समय से चल रहा है. इनका समाधान निकलना चाहिए. उन्होंने जल संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का मनमर्जी से उपयोग नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा के समय तकनीक के उपयोग से सटीक पूर्वानुमान के कारण लोगों की जान माल का बचाव संभव हो पाया है.

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बीते 100 साल में देश में 42 बांध त्रासदियां - जल संसाधन मंत्रालय के सचिव पंकज कुमार ने अपने संबोधन में बताया कि वर्तमान में देश में छह हजार से ज्यादा बड़े बांध हैं. इनमें से 80 फीसदी 25 साल पुराने हैं. जबकि 234 बांध 100 साल से भी पुराने हैं. बीते 100 साल में देश ने 42 बांध त्रासदी झेली हैं. जिनसे जन-धन की बड़े पैमाने पर हानि हुई है. ऐसे हादसों से निपटने की रणनीति तैयार की जाएगी.

लीबिया डैम हादसे में मारे गए लोगों को दी श्रद्धांजलि - कार्यक्रम का आगाज अतिथियों ने घड़े में जल भरकर किया. इसके बाद लीबिया में पिछले दिनों हुए डेम हादसे में जान गंवाने वाले लोगों को मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई. जल संरक्षण का संदेश देने के लिए असम के कामाख्या से गुजरात के गांधीधाम तक चलने वाली कामाख्या एक्सप्रेस को अतिथियों ने वर्चुअल हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.

Last Updated :Sep 14, 2023, 6:51 PM IST
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