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MP News: एमपी में बाघों के अस्तित्व पर संकट, इंटरनेशनल शिकारियों के निशाने पर टाइगर

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Published : Jun 30, 2023, 5:29 PM IST

mp tiger
टाइगर

मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त है. वहीं इंटरनेशनल गैंग स्थानीय शिकारियों की मदद से एमपी के टाइगर को निशाना बना रहे हैं. जिसके चलते आए दिन बाघों के शिकार की खबरें सामने आती है. वन विभाग के अधिकारी भी बाघों के शिकार में इंटरनेशनल कनेक्शन होने से इंकार नहीं कर रहे.

टाइगर के शिकार पर क्या बोले अधिकारी

भोपाल। टाइगर स्टेट दर्जा प्राप्त मध्यप्रदेश में टाइगर इंटरनेशनल शिकारियों के निशाने पर है. इंटरनेशनल गैंग स्थानीय शिकारियों की मदद से टाइगर को निशाना बना रही है. शिकारी बाघों के अंगों को काटकर उन्हें बेच रहे है. यही वजह है कि सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में टाइगर को मारकर शिकारी उसके पंजे और सिर भी काटकर ले गए. वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट के मुताबिक टाइगर रिजर्व के निचले कर्मचारियों से लेकर इंटरनेशनल शिकारियों तक पूरा एक नेक्सस इसमें काम कर रहा है. शिकार के बाद बाघों के अंगों को चीन और आसपास के दूसरे देशों तक भेजा रहा है. उधर वन विभाग के अधिकारी भी टाइगर के शिकार के पीछे इंटरनेशनल कनेक्शन से इंकार नहीं कर रहे.

इसलिए जुड़ रहा इंटरनेशनल कनेक्शन: बाघ का शिकार सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (एसटीआर) के कोर एरिया में हुआ है. शिकार वाले स्थान से करीबन 9 किलोमीटर तक सिर्फ पैदल ही पहुंचा जा सकता है. इसके पास कोई गांव होने का तो सवाल ही नहीं है. वन विभाग के रिटायर्ड अधिकारियों की मानें तो टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में बाहरी शिकारियों का पहुंचना मुमकिन नहीं है. इसलिए स्थानीय शिकारियों की मदद ली जाती है. इसमें विभाग के निचले कर्मचारी मदद करते हैं. यह पहला मौका नहीं है जब बाघ के शिकार के बाद उसके अंगों को काटा गया हो.

  1. सितंबर 2020 में पन्ना में नर बाघ पी-123 का सिर कटा शव मिला था. उसके भी शिकार की आशंका जताई गई थी.
  2. नवंबर 2021 में पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ हीरा शिकारियों की भेंट चढ़ गया. शिकारी इसकी खाल उतारकर और सिर काटकर ले गए थे.
  3. इसके पहले 2015 में सतपुडा टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में बाघ का शिकार कर उसके अंगों को देश के बाहर भेजा गया था. इस मामले में पहली बार इंटरनेशनल गिरोह सामने आया था. जांच में पता चला था कि इंटरनेशनल तस्कर जेई तमांग इटारसी तक आया था. इस मामले में पुलिस ने 27 आरोपियों को गिरफ्तार किया, लेकिन तस्कर तमांग आज भी फरार है. इसके खिलाफ इंटरपोल द्वारा रेड कार्नर नोटिस जारी किया गया था.

रिटायर्ड अधिकारी बोले जहां बड़े स्टेशन वह टाइगर रिजर्व निशाने पर: रिटायर्ड आईएफएस अधिकारी डॉ.सुदेश बाघमारे बताते हैं कि "शिकारियों का नेटवर्क टाइगर रिजर्व के निचले कर्मचारियों, स्थानीय शिकारियों और नेशनल-इंटरनेशनल तस्करों से मिलकर काम करता है. मध्यप्रदेश का सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के पास का इटारसी जंक्शन, बांधवगढ़ के पास कटनी रेल्वे जंक्शन और कान्हा टाइगर रिजर्व के पास जबलपुर रेल्वे जंक्शन के पास हमेशा शिकारी अपना ऑपरेशन चलाते रहते हैं." जब इन्हें लगता है कि स्थितियां अनुकूल हैं और कोई खास डिमांड है तब यह शिकार कराते हैं.

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सीबीआई जांच की मांग: 2015 में अंतरराष्ट्रीय तस्कर जेई तमांग के पकड़े जाने पर उसने ऐसी तमाम तस्करी के बारे में स्वीकार किया था. बता दें पकड़े जाने के बाद जमानत पर बाहर आया तस्कर जेई तमांग फरार हो गया था, जिसकी तलाश अभी भी जारी है. वहीं सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में जो घटना सामने आई है, उसके भी इंटरनेशनल लिंक से इंकार नहीं किया जा सका. सामाजिक कार्यकर्ता अजय दुबे कहते हैं कि ऐसे मामलों की जांच के लिए वन विभाग के अधिकारी सक्षम ही नहीं है. इसलिए मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की गई है. पहले भी इस तरह की घटनाएं सामने आई हैं, लेकिन विभाग सिर्फ मामले में लीपापोती करने में जुट जाता है.

शिकारियों का इंटरनेशनल कनेक्शन: उधर वन विभाग के अधिकारी भी टाइगर के शिकार के पीछे इंटरनेशनल कनेक्शन से पूरी तरह इंकार नहीं कर रहे. हालांकि विभाग के अधिकारी तंत्र-मंत्र भी इसकी एक वजह बता रहे हैं. एसटीआर के फील्ड डायरेक्टर एल.कृष्णमूर्ति के मुताबिक मामले की जांच सभी एंगलों से की जा रही है. शिकारियों के इंटरनेशनल कनेक्शन से भी इंकार नहीं किया जा सकता. उधर वन मुख्यालय के अधिकारी इस मामले में फिलहाल कुछ भी बोलने से बच रहे हैं.

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