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कोरोना की दूसरी लहर में 645 बच्चों ने खोए अभिभावक, लॉकडाउन के कारण बाल उत्पीड़न पर अनभिज्ञ : सरकार

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Published : Jul 22, 2021, 7:56 PM IST

smriti irani
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सरकार ने बृहस्पतिवार को बताया कि कोविड-19 लॉकडाउन में बाल शोषण के मामलों में वृद्धि के बारे में उसके पास कोई जानकारी नहीं है. वहीं राज्यसभा में बताया कि इस साल अप्रैल से 28 मई के बीच 645 बच्चों ने अपने अभिभावकों को खोया है.

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोविड पर काबू के लिए लागू लॉकडाउन की स्थितियों के कारण बाल शोषण के मामलों में वृद्धि और कोरोना वायरस के कारण वित्तीय कठिनाइयों की वजह से देश भर में बाल विवाह के मामलों में वृद्धि के आंकड़ों के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है.

महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने एक सवाल के जवाब में राज्यसभा को बताया कि उनके मंत्रालय ने महामारी के दौरान बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के लिए राज्य सरकारों तथा केंद्रशासित प्रदेशों को दिशानिर्देश जारी किए हैं.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा मुहैया करायी गयी जानकारी के अनुसार, कोविड से संबंधित लॉकडाउन स्थितियों के कारण बाल उत्पीड़न के मामलों में वृद्धि और कोरोना वायरस के कारण हुयी वित्तीय कठिनाइयों की वजह से बाल विवाह के मामलों में वृद्धि के आंकड़ों के बारे में अब तक कोई जानकारी नहीं है.

स्मृति ईरानी ने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में पिछले पांच वर्षों के दौरान राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) को मिले और निपटाए गए शिकायतों की संख्या का विवरण दिया. आंकड़ों के अनुसार, 2016-17 से 2020-21 के बीच पांच वर्षों में आयोग को 50,857 शिकायतें मिलीं, जिनमें से 20,836 का निपटारा कर दिया गया है.

सबसे अधिक 9,572 शिकायतें मध्य प्रदेश से मिलीं जबकि उत्तर प्रदेश से 5,340, छत्तीसगढ़ से 4,685 और ओडिशा से 4,276 शिकायतें मिली हैं.

कोविड की दूसरी लहर में 645 बच्चों ने अपने अभिभावक खोए

महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी. उनके द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2021 से 28 मई 2021 के बीच 645 बच्चों ने अपने अभिभावकों को खोया है.

आंकड़ों के अनुसार, सबसे अधिक 158 बच्चे उत्तर प्रदेश में अनाथ हुए हैं. इसके बाद आंध्रप्रदेश में 119 बच्चे, महाराष्ट्र में 83 बच्चे और मध्यप्रदेश 73 बच्चे अनाथ हुए हैं.

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स्मृति ने लिखित जवाब में बताया कि मंत्रालय ने, और शिक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से संयुक्त रूप से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है कि कोविड महामारी के दौरान अपने अभिभावकों को खोने वाले बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो और उन्हें स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के दायरे में लाया जाए.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कोविड महामारी के दौरान अपने माता, पिता या दोनो अभिभावकों, अपने कानूनी संरक्षक या गोद लेने वाले अभिभावकों को खो चुके बच्चों की मदद करने के लिए एक योजना की घोषणा की है. इसके तहत ऐसे बच्चे की शिक्षा और स्वास्थ्य की देखभाल के लिए मदद की जाएगी और उनके 18 साल के होने पर उनके लिए 10 लाख रुपये की व्यवस्था की जाएगी. इस राशि का उपयोग (18 साल की उम्र के बाद) अगले पांच साल तक उन्हें उच्च शिक्षा के दौरान उनकी जरूरतें पूरी करने के लिए मासिक वित्तीय मदद या वजीफे के तौर पर देने में किया जाएगा. 23 साल की उम्र होने पर वह निजी या पेशेवर उपयोग के लिए यह राशि ले सकेंगे.

(पीटीआई-भाषा)

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