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Semiconductor Production : प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को लगा झटका, मंत्री ने कहा- पूरा करेंगे सपना

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Published : Jul 11, 2023, 4:20 PM IST

Updated : Jul 11, 2023, 4:28 PM IST

एपल फोन का निर्माण करने वाली कंपनी फॉक्सकॉन और वेदांता समूह का समझौता रद्द हो गया है. यह समझौता भारत में सेमीकंडक्टर के उत्पादन को लेकर था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह ड्रीम प्रोजेक्ट बताया जा रहा था. सेमीकंडक्टर का प्रयोग इलेक्ट्रॉनिक्स सामान में होता है. अगर भारत में ही इसका उत्पादन होने लगे, तो इलेक्ट्रॉनिक सामानों की लागत काफी कम हो सकती है.

semiconductor production in india
भारत में सेमीकंडक्टर उत्पादन

नई दिल्ली : भारत में सेमीकंडक्टर का उत्पादन हो सके, इसके लिए सरकार ने फिर से आवेदन मंगाने की प्रक्रिया शुरू की है. सरकार को उम्मीद है कि इसमें दुनिया की दिग्गज कंपनियां भाग लेंगी. हालांकि, सोमवार को जिस तरह की खबर आई, वह भारत के लिए एक झटका माना जा रहा है. ताइवान की बड़ी इलेक्ट्रॉनिक कंपनी फॉक्सकॉन ने वेदांता ग्रुप के साथ सेमीकंडक्टर प्रोडक्शन को लेकर हुए समझौते को रद्द कर दिया. कंपनी ने कहा कि दोनों ने यह निर्णय आपसी सहमति से लिया है, लेकिन वेदांता ने अपनी प्रतिबद्धता फिर से दोहाराई है.

वेदांता ग्रुप के मालिक अनिल अग्रवाल ने साफ कर दिया है कि वह सेमीकंडक्टर प्रोडक्शन को लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं और वह इसे पूरा करेंगे. कंपनी ने कहा कि वह दूसरे सहयोगियों से बातचीत कर रही है.

प्लांट स्थापित करने की थी योजना - फॉक्सकॉन दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी है. यह एपल के लिए आईफोन का भी निर्माण करती है. पिछले साल फॉक्सकॉन और वेदांता ने भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट स्थापित करने का फैसला किया था. इसकी यूनिट पीएलआई के तहत लगाई जानी थी. इसके लिए केंद्र सरकार ने 10 अरब डॉलर की राहत देने की घोषणा की थी. इस समझौते से देश को काफी उम्मीदें थीं, लेकिन यह समझौता आखिरकार टूट गया.

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखरन ने कहा कि इस फैसले से हमारे लक्ष्यों पर कोई भी असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि सेमीकंडक्टर को लेकर अपनाई गई रणनीति जारी रहने वाली है. चंद्रशेखरन ने कहा कि भारत ने पिछले 18 महीनों में सेमीकॉन के प्रोडक्शन में अहम प्रगति हासिल की है और यह अभियान जारी रहेगा.

दुनिया का सबसे बड़ा समझौता था - फॉक्सकॉन और वेदांता ने गुजरात में सेमीकंडक्टर का एक प्लांट लगाने का निर्णय लिया था. यह समझौता 19.5 अरब डॉलर का था. सेमीकंडक्टर प्रोडक्शन के क्षेत्र में यह दुनिया का सबसे बड़ा समझौता माना जा रहा था. फॉक्सकॉन ने सोमवार को कहा कि वह वेदांता समूह के साथ अपने करार को खत्म कर रहा है. कंपनी ने कहा कि यह निर्णय दोनों कंपनियों ने आपसी सहमति से लिया है.

क्यों टूटा समझौता - यह समझौता क्यों टूटा, इसको लेकर दो तरह की बातें कही जा रहीं हैं. कुछ लोगों का मानना है कि वेदांता ग्रुप ने जिन टेक्निशिंयस की मदद ली थी, उससे फॉक्सकॉन खुश नहीं थी. जबकि कुछ अन्य लोगों का मानना है कि पीएलआई के तहत सरकार ने पैसे रिलीज करने में देरी की, इसलिए यह समझौता टूट गया. इस तरह का दावा रॉयटर्स ने किया है. वैसे, आधिकारिक तौर पर किसी ने भी कारण को नहीं बताया है.

मंगलवार को फॉक्सकॉन का एक बयान मीडिया में प्रकाशित हुआ है. इसमें कंपनी ने भारत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है.

कांग्रेस का आरोप, सिर्फ प्रचार करती है सरकार - कांग्रेस पार्टी ने समझौता टूटने पर मोदी सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि इस प्रोजेक्ट की घोषणा के समय दावा किया गया था कि एक लाख नौकरियां पैदा होंगी और सरकार ने इसका पूरा प्रचार भी किया. उन्होंने आगे कहा कि वाइब्रेंट गुजरात सम्मेलन में ऐसे ही समझौते होते हैं, जिनका प्रचार तो किया जाता है, लेकिन वह अंजाम तक नहीं पहुंच पाता है. ऐसा ही हाल यूपी में हुए ग्लोबल इन्वेस्टर मीट का होने वाला है.

केंद्रीय मंत्री बोले, कांग्रेस सिर्फ हाय तौबा मचाती है - कांग्रेस के इस हमले का केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने जवाब दिया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सिर्फ हाय-तौबा मचा सकती है, लेकिन वह भारत की प्रगति को रोक नहीं सकती. चंद्रशेखरन ने कहा कि कांग्रेस ने सेमीकॉन के लिए अपने शासन काल में कुछ काम नहीं किया. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर दो कंपनियां मिलकर कोई निर्णय लेती हैं और बाद में वह कुछ और निर्णय लेती हैं, तो इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं होती है. यह उनका आपसी मामला है.

  • Cong spinmaster out with no guns blazing ...😂

    ➡️Withdrawal of Foxconn from its JV with Vedanta changes nothing about Indias Semicon goals. Not a thing.

    ➡️It allows both companies to independently pursue their strategies for Indian Semicon n Electronics. To quote Foxconn… https://t.co/XmnHAprs8O

    — Rajeev Chandrasekhar 🇮🇳 (@Rajeev_GoI) July 10, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

वेदांता और फॉक्सकॉन के बीच हुए समझौतों के लिए सरकार ने बड़ी राहत देने की भी घोषणा की थी. इसे पीएलआई योजना के तहत दिया जाना था. यह राशि 10 अरब डॉलर की थी. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने तब कहा था कि सरकार ने चिप निर्माण को बढ़ाने के लिए 76 हजार करोड़ रुपयों के निवेश का अनुमोदन किया है. केंद्र सरकार ने 2026 तक सेमीकंडक्टर उत्पान का लक्ष्य 63 अरब डॉलर निर्धारित किया है.

तीन कंपनियों ने किया था आवेदन - सेमीकंडक्टर प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए तीन कंपनयों ने प्लांट स्थापित करने का आवेदन किया था. इसमें फॉक्सकॉन-वेदांता, आईसीएमसी और आईजीएसएस वेंचर्स शामिल थे. आईजीएसएस सिंगापुर की कंपनी है. आईसीएमसी का आवेदन लंबित बताया जा रहा है. क्योंकि इसकी तकनीकी सहयोगी कंपनी का इंटेल द्वारा अधिग्रहण कर लिया गया है. आईजीएसएस अपने आवेदन पर फिर से विचार करना चाहती है. सरकार ने सेमीकंडक्टर प्लांट लागने के लिए फिर से आवेदन मांगा है.

माइक्रोन से समझौता - कुछ अखबारों में सुझाव दिया गया है कि भारत को माइक्रोन जैसे अनुभवी सेमीकंडक्टर उत्पादकों पर ध्यान देना चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी यात्रा के दौरान सेमीकंडक्टर बनाने वाली कंपनी माइक्रोन के अधिकारियों से मुलाकात की थी. माइक्रोन ने 82.5 करोड़ डॉलर निवेश करने की घोषणा भी की. हालांकि, उनका निवेश पैकेजिंग और टेस्टिंग में होगा, उत्पादन का नहीं.

चिप निर्माण में किसकी बादशाहत - पूरी दुनिया में चिप निर्माण सबसे अधिक ताइवान करता है. वैश्विक बाजार में इसकी भागीदारी 24 फीसदी, द. कोरिया की भागीदारी 19 फीसदी और अमेरिका की हिस्सेदारी 13 फीसदी है. जापान 10 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है. चीन का स्थान पांचवां हैं. वह छह फीसदी उत्पादन करता है.

इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, ई व्हीकल, मोबाइल और लैपटॉप वगैरह में चिप की जरूरत पड़ती है. अगर भारत में ही चिप का उत्पादन होने लगे, तो इनकी लागत में बड़ी कमी आ सकती है. इसलिए भारत चिप निर्माण पर जोर दे रहा है.

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Last Updated :Jul 11, 2023, 4:28 PM IST
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