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हरिद्वार के साधु संतों ने मंदिरों में ड्रेस कोड का किया स्वागत, जानिए कहां हुआ लागू और क्या है ये नियम

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Published : Jun 5, 2023, 10:11 AM IST

Updated : Jun 5, 2023, 11:56 AM IST

dress code in temples
मंदिर ड्रेस कोड

उत्तराखंड में इन दिनों धार्मिक स्थलों पर ड्रेस कोड का मामला छाया हुआ है. महानिर्वाणी अखाड़े के मुख्य महंत रविंद्र पुरी ने उत्तराखंड के तीन मंदिरों में ड्रेस कोड लागू करने की बात कही थी. अब हरिद्वार के दूसरे साधु संत भी महंत रविंद्र पुरी के फैसले के साथ आ गए हैं.

संतों ने मंदिरों में ड्रेस कोड का समर्थन किया है.

हरिद्वार (उत्तराखंड): हाल ही में महानिर्वाणी अखाड़े के अंर्तगत आने वाले तीन मंदिरों में छोटे कपड़े पहनकर आने पर रोक लगाने का फैसला मंदिर के मुख्य महंत रविंद्रपुरी द्वारा लिया गया. उन्होंने लोगों से अपील की है कि वो छोटे कपड़े पहनकर मंदिरों में न आएं. महंत रविंद्रपुरी की इस पहल का हरिद्वार के अन्य साधु संतों ने समर्थन किया है. शांभवी धाम के पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप और बड़ा अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश ने इस पहल का स्वागत किया और कहा कि हरिद्वार ही नहीं पूरे उत्तराखंड के मंदिरों में ड्रेस कोड लागू होना चाहिए.

dress code in temples
संत मंदिरों में ड्रेस कोड के समर्थन में हैं.

मंदिरों में ड्रेस कोड के समर्थन में आए साधु संत: स्वामी आनंद स्वरूप ने कहा कि सभी मंदिरों में ड्रेस कोड लागू होना चाहिए. मंदिरों में पिकनिक मनाने नहीं जाया जाता है. दक्षिण भारत के सभी मंदिरों में लोग शालीनता के साथ जाते हैं और पूजा अर्चना करते हैं. स्वामी आनंद स्वरूप ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि हर की पैड़ी पर आए दिन ऐसे मामले सामने आते हैं कि लोग धार्मिक मर्यादाओं को लांघ कर उल्टी-सीधी रील्स बनाते हैं जो सनातन धर्म के विरुद्ध है. इसलिए वह चाहते हैं कि हर की पैड़ी समेत सभी मंदिरों में ड्रेस कोड लागू होना चाहिए. सनातन धर्म की संस्कृति और सभ्यता के लिए यह बहुत जरूरी है. जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, उन्हें भी इसके बारे में समझाना चाहिए. जो लोग भी इस व्यवस्था का विरोध करेंगे, उनके ऊपर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए.

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मंदिरों में साइन बोर्ड लगाने की सलाह

मंदिरों में ड्रेस कोड से संबंधित बोर्ड लगाने की अपील: श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश ने कहा कि मंदिरों में मर्यादित कपड़े पहन कर ही जाना चाहिए. जिन धर्माचार्यों ने इसकी पहल की है, उनका वो आभार व्यक्त करते हैं. वह अन्य धर्माचार्य और तीर्थ पुरोहितों से भी अपील करते हैं कि वह भी मंदिरों में साइन बोर्ड लगाएं कि लोग मर्यादित कपड़े पहन कर ही मंदिर में आएं. देश के अन्य लोगों को भी ड्रेस कोड का समर्थन करना चाहिए. कुछ कम्युनिस्ट लोग इसका विरोध करेंगे और नियम कानून का हवाला भी देंगे, लेकिन सनातन धर्म की संस्कृति और सभ्यता को बचाने के लिए धर्माचार्यों को ही पहल करनी होगी. मंदिरों में अमर्यादित कपड़े पहन कर आने वाले लोगों को रोकना होगा, ताकि देश की संस्कृति सभ्यता बची रहे.
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धार्मिक स्थलों पर रील्स बनाने का बढ़ा चलन: गौरतलब है कि हरिद्वार में आए दिन हर की पैड़ी पर रील्स बनाने के मामले सामने आते रहते हैं. इसके बाद साधु-संतों ने मंदिरों समेत अन्य धार्मिक स्थलों पर ड्रेस कोड लागू करने की कवायद शुरू कर दी है. अब देखना होगा कि साधु-संतों की इस पहल का शासन प्रशासन पर क्या असर होता है. क्या प्रशासन साधु-संतों की इस अपील का समर्थन करते हुए पूरे प्रदेश में यह व्यवस्था लागू कर पाता है या नहीं.

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उत्तराखंड के तीन मंदिरों में ड्रेस कोड लागू किया गया है

इन तीन मंदिरों में लागू किया है ड्रेस कोड: महंत रविंद्र पुरी ने 3 जून को उत्तराखंड के 3 मदिरों में ड्रेस कोड लागू करने की घोषणा की थी. इनमें हरिद्वार के कनखल में स्थित दक्ष प्रजापति मंदिर, देहरादून जिले का टपकेश्वर महादेव मंदिर और पौड़ी जिले का नीलकंठ महादेव मंदिर शामिल हैं. ये तीनों ही शिव मंदिर हैं. तीनों मंदिर महानिर्वाणी अखाड़े के अधीन हैं.

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मंदिरों के ड्रेस कोड के बारे में जानिए

क्या होता है मंदिरों का ड्रेस कोड: मंदिरों में जब ड्रेस कोड लागू किया जाता है तो महिलाओं को साड़ी या सलवार-कमीज पहनने होते हैं. स्कर्ट, नेकर या अन्य परिधान पहनने पर मंदिर या धार्मिक स्थल में प्रवेश नहीं दिया जाता है. पुरुषों को शॉर्ट्स, बरमूडा पहनकर धार्मिक स्थल में प्रवेश नहीं मिलता है. उन्हें धोती, फुल पैंट या पजामा पहनना होता है. दक्षिण भारत के कई मंदिरों के बाहर पुरुषों के लिए रेडीमेड धोती मिलती है.

Last Updated :Jun 5, 2023, 11:56 AM IST
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