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राजस्थानः गरीब बच्चों के मन में पल रहे देश सेवा के सपनों को 'हिम्मत' दे रहे उड़ान...नि:शुल्क देते हैं 'फिजिकल फिटनेस ट्रेनिंग'

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Published : Jun 1, 2022, 11:21 PM IST

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गरीब बच्चों के मन में पल रहे देश सेवा के सपनों को 'हिम्मत' दे रहे उड़ान.

सेना से रिटायर होने के बाद कमांडो हिम्मत सिंह नई इबारत लिख रहे हैं. वे गुरु बनकर सैकड़ों गरीब (Himmat singh of Jaipur) और जरूरतमंद बच्चे अपने सपनों को उड़ान दे रहे हैं. कमांडो हिम्मत सिंह कहते हैं कि इन बच्चों में से जब किसी बच्चे का सिलेक्शन होता है और उसके चेहरे पर जब खुशी दिखती है तो वही खुशी मेरे लिए गुरु दक्षिणा होती है. वे निःशुल्क रूप से इस मिशन में लगते हुए बच्चों को सपनों को सच कर रहे हैं.

जयपुर. सेना से रिटायर होने के बाद भी अक्सर फौजी अपने परिवार और बच्चों के साथ समय बिताना पसंद करता है, लेकिन आज (Himmat singh of Jaipur) हम आप को भारत माता के एक ऐसे लाल के बारे बताने जा रहे हैं, जिसने देश प्रेम के जज्बे को जिंदा रखने के लिए एक अनोखा रास्ता ढूंढ निकाला है. बात कमांडो हिम्मत सिंह राठौड़ की उस हिम्मत की है, जिसकी बदौलत सैकड़ों गरीब और जरूरतमंद बच्चे अपने सपनों को उड़ान दे रहे हैं.

हिम्मत सिंह जयपुर के कालवाड़ रोड पर सरकारी पार्क में गरीब और जरूरतमंद बच्चों के सपनों को आकार दे रहे हैं. अपने अनुभव से वह युवाओं को देश सेवा के सपनों को पंख लगा रहे हैं. दरअसल भारतीय सेना से रिटायरमेंट के बाद कमांडो हिम्मत सिंह सब इंस्पेक्टर की तैयारी में जुटे हुए थे. हर दिन दौड़ लगाना, फिजिकल प्रेक्टिस में व्यस्त रहने वाले कमांडों की मुलाकात दो ऐसे युवाओं से हुई जो खुद के दम पर फिजिकल फिटनेस की तैयारी कर रहे थे. इन बच्चों की माली हालत ऐसे नहीं थे कि वो किसी प्रोफेशनल ट्रेनर से ट्रेनिंग ले सके.

गरीब बच्चों के मन में पल रहे देश सेवा के सपनों को आकार दे रहे हिम्मत.

कमांडो ने इन बच्चों की आंखों में करियर को लेकर वो झलक देखी जो कभी खुद हिम्मत सिंह की सेना में भर्ती से पहले थी. हिम्मत सिंह ने बच्चों से बात की और उन्हें आश्वस्त किया कि वो उन बच्चों को निशुल्क अपने अनुभव से फिजिकल फिटनेस ट्रेनिंग देंगे. हिम्मत सिंह कहते हैं कि 15 साल पहले जब वो खुद सेना में गए थे उस वक्त कोई प्रोफेशनल ट्रेनर नहीं होते थे, लेकिन अब कई तरह की कोचिंग संस्थाएं खुल गई हैं जो मोटी रकम के साथ फिजिकल फिटनेस ट्रेनिंग देती हैं. लेकिन कई युवा ऐसे हैं जो पैसे खर्च करके ट्रेनर से ट्रेनिंग नहीं ले सकते. हिम्मत कहते हैं उन दो बच्चों से हुई मुलाकात ने सेना के रिटायरमेंट के बाद का मानो एक लक्ष्य दे दिया. उसी वक्त तय किया अब वो ऐसे बच्चों को ट्रेंड करेंगे जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और उनके मन में सेना में भर्ती होने को लेकर दृढ़ शक्ति है.

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एक साल में 100 बच्चे फिजिकल में सिलेक्टः हिम्मत सिंह कहते हैं कि करीब एक- सवा साल पहले सफर गरीब और जरूरतमंद युवाओं को निःशुल्क 'फिजिकल फिटनेस ट्रेनिंग देने से शुरू हुआ जो अब तक जारी है. दो बच्चों से शुरू हुआ सफर धीरे-धीरे ओर उन युवाओं को भी पता लगा जो सेना या अन्य भर्ती की तैयारी कर रहे थे. इन बच्चों ने भी आकर सम्पर्क किया. हिम्मत कहते हैं मेरे पास एक बच्चा हो या 100 बच्चे, क्या फर्क पड़ता है. जितने ज्यादा बच्चे होंगे और भी अच्छी प्रैक्टिस कर पाएंगे. 2 से अब यह संख्या 200 बच्चों को पार कर गई है. हिम्मत कहते हैं कि अच्छा लगता है जब आप स्वार्थ को छोड़ किसी जरूरतमंद की मदद करते हो. हाल ही में सब इंस्पेकर भर्ती के लिए 100 बच्चों को ट्रेनिंग दी. वो 100 के 100 बच्चे फिजिकल फिटनेस सिलेक्ट हो गए. ख़ास बात यह है कि जिसमें से 30 गर्ल्स और 70 बॉयज शामिल थे.

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फिजिकल फिटनेस की ट्रेनिंग लेते युवा.

बच्चों के जुनून और हिम्मत के अनुभव ने लिखी सफलता की कहानीः हिम्मत सिंह कहते हैं, करीब 15 साल इंडियन आर्मी में सर्विस की. सेना में रहते हुए कमांडो की ट्रेनिंग ली जो काफी डिफिकल्ट होता है. हार्ड वर्क आउट के बाद ही सेना में कमांडो बनता है. बच्चों को सेना और अन्य फोर्स की तैयारी करते हुए देखा तो सोचा कि मैं इन्हें बेहतर ट्रेनिंग दे सकता हूं. इन बच्चों की आंखों में सपने थे, यह मेहनत कर रहे थे. बस जरूरत थी तो उन्हें सही गाइडेंस की और अच्छी ट्रेनिंग की. उसी वक्त तय किया कि अपने अनुभव को इन युवाओं के साथ साझा करूंगा. हर दिन अब सुबह शाम दो-दो घंटे करीब 50 से 60 युवाओं को ग्रुप बनाकर ये ट्रेनिंग करवा रहे हैं. इन बच्चों के जुनून और हिम्मत के अनुभव से सफलता की कहानी लिखी जा रही है.

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गर्ल्स ने खो-खो और कबड्डी में किया प्रदेश का प्रतिनिधित्वः बीते साल अगस्त में 22 गर्ल्स ने दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल भर्ती प्रक्रिया में फिजिकल क्लियर कर चुकी हैं. 2 लड़के दिल्ली पुलिस में और दो सेना में भर्ती हो चुके हैं. ट्रेनिंग प्राप्त कर चंचल शेखावत और विजयश्री यादव ने नेशनल लेवल पर खो-खो में प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया. जबकि अंकिता सोनी 5 बार कबड्डी में नेशनल खेल चुकी हैं. चंचल कहती है प्रैक्टिस तो बहुत समय से कर रही थी, लेकिन अच्छे ट्रेनर की कमी थी.

हिम्मत सर जिस मेहनत से ट्रेनिंग दे रहे हैं, उससे हमें पूरा भरोसा है कि सफलता निश्चित हासिल होगी. अंकिता और संजय कहते हैं कि हमारी आर्थिक हालत इतनी मजबूत नहीं थी कि हम किसी प्रोफेशनल ट्रेनर से ट्रेनिंग ले सकें. जब हिम्मत सर के बारे में पता लगा कि यह बिना किसी फीस के बच्चों को फिजिकल ट्रेनिंग दे रहे हैं तो हम इनके साथ जुड़ गए. जब से हम इनके साथ ट्रेनिंग में जुड़े हैं तब से हर दिन हमारे परफार्मेंस में तेजी से सुधार हुआ है.

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फिजिकल ट्रेनिंग के साथ गेम्स भीः माउथ पब्लिसिटी से ही कमांडो हिम्मत सिंह तक युवा लगातार पहुंच रहे हैं. बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. हिम्मत कहते हैं कि ट्रेनिंग प्रक्रिया में रोजाना सुबह और शाम 2 घंटे तक प्रशिक्षण देते हैं. उस दौरान फिजिकल ट्रेनिंग के साथ बच्चों को कबड्डी, वॉलीबॉल, बॉक्सिंग जैसे गेम्स खिलाते हैं, ताकि भर्ती के समय किसी भी तरह फिजिकल टेस्ट में ये बच्चे फेल न हों.

बच्चों की सफलता में अपनी खुशीः हिम्मत सिंह कहते हैं कि इन बच्चों में से जब किसी बच्चे का सिलेक्शन होता है और उसके चेहरे पर जब खुशी दिखती है, वही खुशी मेरे लिए गुरु दक्षिणा होती है. अच्छा लगता है जब आप किसी अच्छे काम के लिए मेहनत करते हैं, उसकी सफलता आपको मिलती है. हिम्मत कहते हैं कि बच्चों को फ्री ट्रेनिंग देने का मकसद कोई पब्लिसिटी हासिल करना नहीं है, बल्कि मेरा यह मानना है कि अगर आपके पास किसी भी तरह का कोई ज्ञान या हुनर है तो आपको उसे बांटना चाहिए. कई जरूरतमंद बच्चे हैं, जिनमें टैलेंट की कमी नहीं है बस जरूरत है सही मार्गदर्शन की.

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