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राष्ट्रपति मुर्मू ने देवभूमि की माटी और वीरों को किया याद, CM ने भेंट की कंडाली के रेशों से बनी शॉल

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Published : Dec 8, 2022, 4:59 PM IST

Updated : Dec 8, 2022, 10:24 PM IST

देहरादून पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
देहरादून पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

देवभूमि उत्तराखंड पहुंचने पर जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का भव्य स्वागत किया गया और उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. पहले दिन राष्ट्रपति मुर्मू ने देवभूमि उत्तराखंड को विकास की सौगात देते हुए 2001.94 करोड़ रुपए की 9 परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रपति को कंडाली के रेशों से बनी हुई शॉल भेंट की. इस शॉल पर उत्तराखंड की प्राचीन लोककला शैली थापे को उकेरा गया है.

देहरादून: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दो दिवसीय दौरे पर देहरादून पहुंच गई हैं. एयरपोर्ट पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (रि) गुरमीत सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनका स्वागत किया. इसके बाद एयरपोर्ट पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू देहरादून में उत्तराखंड सरकार द्वारा आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह में शामिल हुईं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रपति को कंडाली के रेशों से बनी हुई शॉल भेंट की. इस शॉल पर उत्तराखंड की प्राचीन लोककला शैली थापे को उकेरा गया है. साथ ही राष्ट्रपति को उत्तराखंड की लोक कला शैली थापे और ऐपण के मिश्रण से तैयार स्मृति चिन्ह भी भेंट किया गया.

पहले दिन राष्ट्रपति मुर्मू ने देवभूमि उत्तराखंड को विकास की सौगात देते हुए 2001.94 करोड़ रुपए की 9 परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया. इस दौरान राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड की एक समृद्ध संस्कृति रही है. इनका विकास होना चाहिए. इन्हें बढ़ावा मिलना चाहिए और आगे लाना चाहिए, ये हमारा कर्तव्य है. इस दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि देव-भूमि, तपोभूमि और वीर-भूमि उत्तराखंड में आना, मैं अपना सौभाग्य मानती हूं. हिमालय को महाकवि कालिदास ने ‘देवात्मा’ कहा है. राष्ट्रपति के रूप में हिमालय के आंगन, उत्तराखंड में, आप सब के अतिथि-सत्कार का उपहार प्राप्त करके, मैं स्वयं को कृतार्थ मानती हूं.

राज्य सरकार कर रही बेहतर काम: राष्ट्रपति ने विभिन्न विकास परियोजनाओं के शिलान्यास और उद्घाटन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इन परियोजनाओं से लोगों के लिए जन-सुविधाएं बढ़ेंगी. उन्होंने इन परियोजनाओं के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार की सराहना की. उन्होंने कहा कि राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह के सुव्यवस्थित मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के ऊर्जावान नेतृत्व में उत्तराखंड समग्र विकास के पथ पर अग्रसर है. राज्य के विकास की इस यात्रा में उत्तराखंड के परिश्रमी और प्रतिभाशाली निवासियों का महत्वपूर्ण योगदान है.

राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी परंपरा में नगाधिराज हिमालय के क्षेत्र में रहने वाले लोगों को देवताओं का वंशज माना गया है. इस प्रकार उत्तराखंड के भाई-बहन एक दिव्य परंपरा के वाहक हैं. आप सबके बीच आकर मैं विशेष प्रसन्नता का अनुभव कर रही हूं. उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता और यहां के लोगों के प्रेमपूर्ण व्यवहार ने स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी से लेकर प्रकृति के सुकुमार कवि, सुमित्रानंदन पंत को मंत्रमुग्ध किया था. इस प्राकृतिक सुंदरता को बचाते हुए ही विकास के मार्ग पर हमें आगे बढ़ना है.

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत माता की धरती के बहुत बड़े भाग को निर्मित और सिंचित करने वाली नदी-माताओं के स्रोत उत्तराखंड में हैं. हिमालय और उत्तराखंड भारत-वासियों की अंतरात्मा में बसे हुए हैं. हमारे ऋषि-मुनि ज्ञान की तलाश में हिमालय की गुफाओं और कंदराओं में आश्रय लेते रहे हैं. यह लोक-मान्यता है कि लक्ष्मण जी के उपचार के लिए इसी क्षेत्र के द्रोण-पर्वत को ‘संजीवनी बूटी’ सहित हनुमान जी ले कर गए थे. इस तरह आध्यात्मिक शांति और शारीरिक उपचार दोनों ही दृष्टियों से उत्तराखंड कल्याण का स्रोत रहा है.

उत्तराखंड वीरों की भूमि: राष्ट्रपति ने कहा कि स्वयं पर्वतराज हिमालय और उत्तराखंड के शूरवीर लोग भारत माता के प्रहरी भी रहे हैं. हमारे वर्तमान सीडीएस जनरल अनिल चौहान उत्तराखंड के ही सपूत हैं. भारत के प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत भी इसी धरती की विभूति थे. 1990 के दशक में जनरल बिपिन चंद्र जोशी ने चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के रूप में भारत माता की सेवा की थी.

कारगिल युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देकर देश की रक्षा करने वाले मेजर राजेश सिंह अधिकारी और मेजर विवेक गुप्ता का बलिदान सभी देशवासी हमेशा याद रखेंगे. उन दोनों सूरमाओं को मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था. 1962 के युद्ध में अपने प्राणों का उत्सर्ग करने वाले महावीर चक्र से सम्मानित जसवंत सिंह रावत एक अमर सेनानी के रूप में भारतवासियों को हमेशा याद रहेंगे.

स्वाधीनता के तुरंत बाद कश्मीर में घुसपैठियों से लोहा लेते हुए अपने प्राणों का बलिदान करने वाले सैनिक दीवान सिंह को कृतज्ञ राष्ट्र ने महावीर चक्र से सम्मानित किया था. भारत माता के लिए मर-मिटने वाले उन सभी वीरों को मैं सादर नमन करती हूं और ऐसे वीरों की जननी उत्तराखंड की भूमि को शत-शत प्रणाम करती हूं. इस धरती के शूरवीरों को अशोक-चक्र और कीर्ति-चक्र से भी सम्मानित किया गया है. मैं सभी देशवासियों की ओर से उत्तराखंड के वीर सपूतों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करती हूं.

मातृ शक्ति हो रही सशक्त: राष्ट्रपति ने कहा कि हिमालय की पुत्री अर्थात पर्वत-पुत्री पार्वती हम सभी देशवासियों के लिए नारी-चरित्र की गरिमा और शक्ति का प्रतीक हैं. उत्तराखंड सहित सारी हिमालय-भूमि अनादिकाल से शक्ति की उपासना का केंद्र रही है. उसी गरिमा और शक्ति का अंश रानी कर्णावती जैसी वीरांगना, गौरा देवी जैसी वन-संरक्षक और बछेंद्री पाल जैसी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा लहराने वाली प्रथम महिला की जीवन-गाथाओं में देखने को मिलता है.

उत्तराखंड की बसंती बिष्ट ने राज्य की प्रथम महिला ग्राम-प्रधान के रूप में जन-सेवा कर के तथा प्रौढ़-शिक्षा से लेकर स्वच्छता तक अनेक जन-कल्याण के कार्यों में योगदान दे कर देश की सभी बहनों-बेटियों के लिए आदर्श स्थापित किया है. उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया.

उत्तराखंड की एक और बहन बसंती देवी ने घरेलू हिंसा और उत्पीड़न का सामना करने वाली महिलाओं की मुक्ति के लिए अभियान चलाया, अनेक महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में सहायता की, महिला समूहों के माध्यम से नदी और जंगल के संरक्षण का कार्य किया और बाल विवाह के विरुद्ध जागरूकता का प्रसार किया.

उन्हें भी पद्मश्री से अलंकृत किया गया। उत्तराखंड की बेटी वंदना कटारिया ने भारत की राष्ट्रीय महिला हॉकी टीम की श्रेष्ठ खिलाड़ियों में अपना स्थान बनाया है. उत्तराखंड की इस विलक्षण प्रतिभा-संपन्न बेटी को 30 वर्ष से कम की आयु में ही पद्मश्री से सम्मानित किया गया.

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राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड में बेटियों की युवा पीढ़ी भी प्रगति के पथ पर अग्रसर है. यह सामाजिक परिवर्तन एक विकसित उत्तराखंड और विकसित भारत की दिशा में बढ़ता हुआ कदम है. आज से पांच दिन पहले ही दिव्यांग-जनों के सशक्तीकरण के विकास में संलग्न सर्वश्रेष्ठ संगठन का राष्ट्रीय पुरस्कार उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय को दिया गया. यह उपलब्धि एक संवेदनशील समाज का परिचय देती है. इस संवेदनशीलता को सभी देशवासी और अधिक व्यापकता तथा दृढ़ता प्रदान करें.

राष्ट्रपति ने स्वतंत्रता सेनानियों को किया याद: राष्ट्रपति ने कहा कि सभी देशवासी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं. ज्ञात-अज्ञात स्वाधीनता सेनानियों का स्मरण करना हम सभी का कर्तव्य है. बागेश्वर में जन्मीं बिशनी देवी शाह ने स्वाधीनता संग्राम के दौरान अल्मोड़ा नगर-पालिका-भवन पर तिरंगा लहराया और गिरफ्तार की गईं. वे साधारण परिवार की अल्प-शिक्षित महिला थीं. लेकिन भारत के स्वाधीनता संग्राम को उनके द्वारा दिया गया योगदान असाधारण है.

पेशावर कांड के ऐतिहासिक नायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की शौर्य-गाथा हमारे स्वाधीनता संग्राम के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है. इसी तरह श्रीदेव सुमन, केसरी चंद और इन्द्रमणि बडोनी जैसे अनेक स्वाधीनता सेनानियों ने स्वतन्त्रता संग्राम की गौरव गाथाएं लिखी हैं. उत्तराखंड के सपूत गोविंद वल्लभ पंत ने स्वाधीनता संग्राम, संविधान सभा के विचार-विमर्श तथा राष्ट्र निर्माण में अपने योगदान द्वारा इस क्षेत्र का और भारत का गौरव बढ़ाया है. उत्तराखंड की इन विभूतियों के योगदान से पूरे देश की युवा पीढ़ी को परिचित कराने के प्रयास होने चाहिए.

लक्ष्य सेन को दी बधाई: राष्ट्रपति ने युवा पीढ़ी के संदर्भ में विश्व के सबसे अच्छे बैडमिंटन खिलाड़ियों में अपना स्थान बनाने वाले लक्ष्य सेन का भी उल्लेख किया. राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि युवा पीढ़ी के उत्साह और योगदान के बल पर वर्ष 2047 में यानि आज़ादी के शताब्दी वर्ष में हमारा देश विश्व-समुदाय में अपनी क्षमता के अनुरूप श्रेष्ठता प्राप्त कर चुका होगा. तब तक उत्तराखंड के सभी निवासियों का जीवन-स्तर भी कहीं अधिक बेहतर हो चुका होगा.

राष्ट्रपति ने इस अवसर पर प्रस्तुत किये सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत के सभी राज्यों की संस्कृति का संरक्षण और विकास किया जाना चाहिए. पहाड़ों में रहने वाले निवासी अपनी संस्कृति से वन के फूल जैसे आनंदित करते हैं, उन्हें संरक्षित करना आवश्यक है.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का स्वागत करते हुए कहा कि एक सैनिक परिवार में जन्मे बेटे के घर तीनों सेनाओं की प्रमुख, देश की राष्ट्रपति महोदया कभी आएंगी, ऐसा मैंने कभी सोचा भी नहीं था भले ही यह मेरा सरकारी आवास हो, परंतु आपका यहां स्वयं आना मेरे और उत्तराखंड के सवा करोड़ नागरिकों के लिए गर्व की बात है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति का अत्यंत कठिन जीवन संघर्ष, अदम्य साहस और प्रेरणास्पद राजनीतिक यात्रा प्रत्येक भारतीय को प्रेरित करती है. उनकी जीवन यात्रा हम सबके लिए इसलिए भी प्रेरणादायी है. क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में आई समस्त कठिनाइयों को ही अपनी शक्ति बनाकर जीवन सफर में विजय प्राप्त की.

वे भारतवर्ष के समस्त नागरिकों विशेष रूप से गरीबों, शोषितों और वंचितों के लिए आशा की किरण हैं। हर संकट का सामना आपने पूरी दृढ़ता से किया. राष्ट्रपति सच्चे अर्थों में महिला सशक्तिकरण का जीता जागता प्रतीक हैं. अपने जीवन में सदा ‘कर्म प्रधान विश्व करी राखा‘ के सिद्धांत को सर्वोपरि माना और विकट परिस्थितियों में भी अपने विनम्रतापूर्ण आचरण को बनाए रखा.

इन योजनाओं का लोकार्पण: राष्ट्रपति ने 528.35 करोड़ की तीन योजनाओं का लोकार्पण और 1473.59 करोड़ की 6 योजनाओं का शिलान्यास किया है. राष्ट्रपति द्वारा लोकार्पित की गयी योजनाओं में 330.64 करोड़ रूपये की लागत से निर्मित सोबन सिंह जीना राजकीय आयुर्विज्ञान एवं शोध संस्थान (मेडिकल कॉलेज) अल्मोड़ा, पिटकुल द्वारा हरिद्वार जनपद के पदार्था में 84 करोड़ रुपए की लागत से 132 केवी के आधुनिक तकनीक के बिजली घर एवं इससे संबंधित लाइन का निर्माण, जिला रुद्रप्रयाग में 113.71 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित 4.5 मेगावाट की कालीगंगा-द्वितीय लघु जल विद्युत परियोजना शामिल हैं.

इन योजनाओं का किया शिलान्यास: राष्ट्रपति द्वारा जिन योजनाओं का शिलान्यास किया गया, उनमें 306 करोड़ रुपए की लागत से चीला पावर हाऊस 144 मेगावाट की योजना का रेनोवेशन कार्य, देहरादून स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत 204.46 करोड़ की लागत से इंटीग्रेटेड ऑफिस कॉम्पलेक्स ग्रीन बिल्डिंग का निमार्ण, 131 करोड़ रुपए की लागत से हरिद्वार के मंगलोर में 220 केवी सबस्टेशन, 750 करोड़ रुपए की लागत से देहरादून के मुख्य मार्गों की ओवरहेड एचटी एवं एलटी विद्युत लाइनों को भूमिगत किये जाने का कार्य, 32.93 करोड़ रुपए की लागत से राजकीय पॉलीटेक्निक नरेन्द्रनगर में दूसरे चरण का निर्माण कार्य और चंपावत के टनकपुर में 49.20 करोड़ रुपए की लागत से आधुनिक अन्तरराज्यीय बस टर्मिनल का शिलान्यास शामिल है.

Last Updated :Dec 8, 2022, 10:24 PM IST
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