ETV Bharat / bharat

ganesh chaturthi 2021: रिद्धि सिद्धि के साथ हैदराबाद से काशी पहुंचे 'बप्पा', बने आकर्षण का केंद्र

author img

By

Published : Sep 10, 2021, 10:00 PM IST

'बप्पा' बने आकर्षण का केंद्र
'बप्पा' बने आकर्षण का केंद्र

भगवान गणेश के जन्मोत्सव (ganesh birthday) के रूप में देशभर में गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का आयोजन हो चुका है. विवेक, शक्ति और तर्क के भगवान विघ्नहर्ता के जन्मोत्सव की शिव (Lord Shiva) की नगरी काशी (Kashi) में भी धूम है. यहां, खास पंचधातु से बनी गजानन की मूर्ति हैदराबाद (Hyderbad) से लाकर स्थापित की गई है, जो लोगों में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.

वाराणसी: आज से पूरे देश में गणेश उत्सव (Ganesh Chaturthi) का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. देश के तमाम राज्यों में भगवान गणेश प्रतिमाएं (ganesh statue) स्थापित कर भक्त उत्सव मना रहे हैं. भगवान गणेश (Lord Ganesha) आदि देवता हैं और इन्हें विवेक, शक्ति और तर्क का देवता माना जाता है. लिहाजा, अब महाराष्ट्र के अलावा देश के अन्य राज्यों में भी भक्त बप्पा को अपने घरों और पांडालों में विराजित कर आशीर्वाद ले रहे हैं. वहीं, भगवान शिव की नगरी काशी में भी गणेश जन्मोत्सव की धूम है. वैसे तो काशी के विभिन्न मंदिरों में भगवान गजानन की विधि विधान से श्रंगार किया गया है, लेकिन यहां हैदराबाद (Hyderbad) से काशी (Kashi) पहुंची गजानन की मूर्ति लोगों में आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. इस मूर्ति की खास बात ये है कि इसे पंचधातु से बनाया गया है.

वाराणसी में हैदराबाद की पंचधातु की मूर्ति स्थापित.

जिले के मानसरोवर स्थित श्रीराम तारक आंध्रा आश्रम में गणेश महोत्सव का आज शुभारंभ हुआ. आश्रम के प्रांगण में विशेष रूप से भगवान गणेश की पंच धातु की मूर्ति स्थापित की गई. उनके साथ रिद्धि सिद्धि की प्रतिमा भी बैठाई गई है. हैदराबाद से आई यह मूर्ति विशेष आकर्षण का केंद्र बनी है. लोग दूर-दूर से दर्शन करने के लिए आश्रम प्रांगण में आ रहे हैं. आयोजन कर्ता विवि सुंदर शास्त्री ने बताया कि हम लोग पिछले 35 वर्ष से गणेश महोत्सव मना रहे हैं. अभी तक मिट्टी की मूर्ति लाकर उत्सव मनाते थे. लेकिन, पिछले कुछ वर्षों से सरकार ने गंगा नदी (River Ganga) में मूर्ति विसर्जन को लेकर प्रतिबंध लगा दिया. इसलिए मूर्ति का विसर्जन शंकु धारा पोखरे में करना पड़ता था. यहां का पोखर बेहद गंदा था. गजानन की मूर्ति को गंदे पानी में विसर्जित करते समय बहुत तकलीफ होती थी. लिहाजा, इस बार पंचधातु की मूर्ति मंगाई गई है. यहां, पूरे 9 दिनों तक विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान किए जाएंगे और प्रत्येक दिन अलग-अलग व्यंजनों का बाबा को भोग लगाया जाएगा.

वाराणसी में हैदराबाद की पंचधातु की मूर्ति स्थापित.

ये भी पढ़ें- भगवान गणेश से वायरस के समूल नाश की प्रार्थना, पुणे में ड्रोन से पहुंचे गणपति

इस मूर्ति की खास बात ये है कि इसे पंचधातु से बनाया गया है. भगवान विघ्नहर्ता गणेश के साथ उनकी दोनों पत्नियां रिद्धि-सिद्धि की मूर्ति भी हैदराबाद से काशी मंगाई गई हैं. मूर्ति का वजन लगभग 1 कुंतल से अधिक है. मूर्तियों को खास 1 लाख 11 हजार रुद्राक्ष से सजे पंडाल में विराजमान किया गया है. इस पांडाल को विशेष रूप से तेलंगाना के लोगों ने सजाया है. काशी में बप्पा के प्रति लोगों में प्यार देखकर तेलंगाना के आयोजनकर्ता काफी खुश नजर आए. उनका कहना है भगवान शिव को रुद्राक्ष पसंद है, इसलिए उनके प्रिय पुत्र के जन्मोत्सव पर रुद्राक्ष से पांडाल को सजाया गया है. साउथ की विधि-विधान और सस्कृति के अनुसार ही बप्पा की पूजा अर्चना की जा रही है.

ये भी पढ़ें- कर्नाटक के उडुपी में लोगों ने सोने से मढ़वाई गणेश प्रतिमा

हालांकि, कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए आयोजन किया गया है. प्राकट्य बेला दोपहर में प्रभु का पंचोपचार व 'षोडशोपचार विधि से पूजन किया गया. ऋतु फल के साथ भगवान गजानन को मोदक के लड्डू और दूर्वा अर्पित किया गया. इसके अलावा गणेश सहस्त्रनाम गणेश चालीसा गणेश मंत्र आदि का पाठ आराधना की गई. काशी स्थित आंध्र आश्रम आए शिवराम ने कहा वो विनायक के जन्मोत्सव के अवसर पर अपने परिवार के साथ हैदराबाद से यहां आए हैं. यहां, आकर बहुत ही अच्छा लगता है. हम पूरे 9 दिन तक यहां पर रहेंगे. विभिन्न अनुष्ठानों और कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. शिव की नगरी में भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे. हम ईटीवी भारत को बहुत-बहुत धन्यवाद देते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.