नई दिल्ली: सरकार ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि एयरलाइन द्वारा गठित संबंधित आंतरिक समिति की सिफारिशों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों के दौरान, 2020 से आज तक, 149 यात्रियों को एक अवधि के लिए 'नो फ्लाई लिस्ट' में रखा गया और, पिछले तीन वर्षों में, ऐसा कोई भी मामला रद्द नहीं किया गया है.
नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जनरल डॉ. वी. के. सिंह द्वारा एक लिखित उत्तर में यह जानकारी साझा की. कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला ने प्रश्न का पूछा था कि पिछले तीन वर्षों के दौरान 'नो फ्लाई लिस्ट' में डाले गए यात्रियों की कुल संख्या और उन मामलों की संख्या जिनकी समीक्षा की गई है और जहां आदेश रद्द किए गए हैं.
पिछले तीन वर्षों के दौरान कितने पायलटों और चालक दल के सदस्यों के लाइसेंस को अनुशासनहीनता/सुरक्षा कारणों से निलंबित/रद्द किया गया है और ऐसे मामलों की संख्या के बारे में पूछे जाने पर, जिनकी समीक्षा की गई और उन्हें रद्द कर दिया गया. इन सवालों के जवाब में MoS ने कहा, "पिछले तीन वर्षों के दौरान तीन साल के लिए, एक पायलट का लाइसेंस अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहने के कारण 3 महीने की अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया है. मामले की न तो समीक्षा की गई है और न ही इसे रद्द किया गया है.
वाईएसआरसीपी के सांसद परिमल नाथवान के पिछले तीन वर्षों में तकनीकी गड़बड़ियों के कारण रद्द की गई उड़ानों की संख्या और इसके एयरलाइंस-वार डेटा के एक अन्य प्रश्न के लिए, MoS ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में 3,583 उड़ानें रद्द की गई हैं. साल 2020 में 1,481, 2021 में 931 और 2022 में 1,171 उड़ानें रद्द की गई हैं.
MoS ने अपने जवाब में एयरलाइन-वार विवरण प्रदान किया, जिसके अनुसार एयर इंडिया 1269 उड़ानें रद्द कर पहले स्थान पर 2020 में 831, 2021 में 316, 2022 में 122 जबकि इंडिगो ने 956 फ्लाइट रद्द कर दूसरे स्थान पर रहे. इंडिगो ने 2020 में 155, 2021 में 188 और 2022 में 613 उड़ानें रद्द कीं.