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MP: टाइगर स्टेट की सेहत 'रामभरोसे'! वन्य जीवों के लिए 'उधार' के डॉक्टर,ये भी आधे,वनरक्षक बने कंपाउंडर

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Published : May 16, 2023, 1:02 PM IST

Updated : May 16, 2023, 1:28 PM IST

MP Tiger state no any specific doctor
टाइगर स्टेट एमपी में एक भी स्पेशल डॉक्टर नहीं

मध्यप्रदेश को टाइगर स्टेट, लैपर्ड स्टेट, भेड़िया स्टेट, गिद्ध स्टेट और अब चीता स्टेट का दर्जा मिल गया है. लेकिन ये किसी आश्चर्य से कम नहीं है कि प्रदेश में वन विभाग का कोई डॉक्टर ही नहीं है. प्रदेश के 6 टाइगर रिजर्व, 5 नेशनल पार्क और 10 सेंचुअरी सिर्फ पशुपालन विभाग से प्रतिनियुक्ति पर आए 11 डॉक्टर्स के भरोसे हैं. चौंकाने वाली स्थिति यह है कि इन डॉक्टर्स की मदद के लिए कोई क्वालिफाई कंपाउंडर नहीं है. कई साल से वनरक्षकों से कंपाउंडर का काम कराया जा रहा है.

भोपाल। मध्यप्रदेश में वन्य जीवों की सेहत की देखरेख भगवानभरोसे है. प्रदेश में जंगल 77 हजार 493 वर्ग किलोमीटर में फैला है. प्रदेश में 6 टाइगर रिजर्व हैं- सतपुड़ा, पन्ना, पेंच, कान्हा, बांधवगढ़ और संजय-दुबरी. इसमें सबसे आखिर में सतपुडा टाइगर रिवर्ज 1999 में बना था. इसे बने करीब 24 साल हो गए, लेकिन इतने साल गुजरने के बाद भी मध्यप्रदेश के वन विभाग को पशुपालन विभाग के प्रतिनियुक्ति पर आए 11 डॉक्टर्स से ही काम चलाना पड़ रहा है. इन्हीं के भरोसे वाइल्ड लाइफ का ट्रीटमेट है. जबकि प्रदेश में 6 टाइगर रिजर्व के अलावा 5 नेशनल पार्क और 10 सेंचुअरी भी हैं.

MP Tiger state no any specific doctor
टाइगर स्टेट एमपी में वन्य जीव

पशुपालन विभाग के डॉक्टर तैनात : साल 2018 की गणना में मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा 526 बाघ पाए गए थे, जिनकी संख्या बढ़कर 700 तक पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है. इसके अलावा मध्यप्रदेश में लैपर्ड की संख्या करीब 3 हजार 400 है. प्रतिनियुक्ति पर वन विभाग में आए 11 डॉक्टर्स में से सभी नेशनल पार्क में एक-एक डॉक्टर पदस्थ किया गया है. इसके अलावा वन विहार नेशनल पार्क, भोपाल, व्हाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर में एक-एक और तीन डॉक्टर्स को कूनो नेशनल पार्क में रखा गया है. इन डॉक्टर्स के साथ कोई क्वालिफाई कंपाउंडर ही नहीं है. वन विहार नेशनल पार्क के डॉक्टर अतुल गुप्ता के मुताबिक कंपाउंडर का पद न होने से वन विहार में 2006 से वनरक्षक दिलीप बाथम से ही इसका काम कराया जा रहा है. कंपाउंडर का पद न होने से बाकी स्थानों पर भी यही स्थिति है.

रेस्क्यू टीम के साथ एक भी डॉक्टर नहीं : प्रदेश भर में सभी डिवीजन सहित कुल 15 रेस्क्यू टीमें वन विभाग द्वारा तैनात की गई हैं, लेकिन इन टीमों में एक भी डॉक्टर नहीं है. किसी टाइगर, लैपर्ड या चीता को ट्रेंक्युलाइज करने की जरूरत होने पर आसपास से वाइल्ड लाइफ डॉक्टर को बुलाना पड़ता है. पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ जेएस चौहान के मुताबिक प्रदेश में मौजूदा जरूरत करीब 21 वाइल्ड लाइफ डॉक्टर्स की है. यदि इतने डॉक्टर्स मिल जाएं तो रेस्क्यू टीम के साथ एक-एक डॉक्टर रखना आसान होगा. क्योंकि वन्य जीव को ट्रेक्युलाइन ट्रेंड डॉक्टर्स द्वारा ही किया जा सकता है.

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डेढ़ साल से एनओसी का इंतजार : प्रदेश में तमाम मशक्कत के बाद भी अब तक वन विभाग में वाइल्ड लाइफ डॉक्टर्स का अलग से कैडर जमीन पर नहीं उतर सका है. कैडर का पूरा मामला वन विभाग और पशुपालन विभाग के बीच उलझा हुआ है. हालांकि इसको कैबिनेट से मंजूरी के बाद इसका गजट नोटिफकेशन भी जारी हो चुका है. पशुपालन विभाग के 11 वाइल्ड लाइफ डॉक्टर्स की वन विभाग में संविलियन के लिए करीब डेढ़ साल से पशुपालन विभाग द्वारा एनओसी ही जारी नहीं की जा सकी. पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ जेएस चौहान के मुताबिक हमारी तरफ से कोई भी औपचारिकता बाकी नहीं रह गई है.

Last Updated :May 16, 2023, 1:28 PM IST
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