ETV Bharat / bharat

बुंदेलखंड की बेटी जिसने इलेक्टोरल बांड की पारदर्शिता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लड़ी लड़ाई, सेनेटरी पैड को लेकर कराया ऐतिहासिक फैसला

author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 4, 2023, 9:45 PM IST

Updated : Nov 4, 2023, 10:02 PM IST

bundelkhand women jaya thakur
बुंदेलखंड की बेटी डॉ जया ठाकुर

राजनीतिक दलों को चंदा देने की इलेक्टोरल बॉन्ड व्यवस्था के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है. इस लड़ाई में बुंदेलखंड की बेटी डाॅ. जया ठाकुर भी शामिल हैं. इसके अलावा जया की पहल पर सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त सेनेटरी पैड बांटने और स्कूल में महिला शौचालय को अनिवार्य बनाने के राज्य सरकारों को सख्त निर्देश दिए. कौन हैं डॉ. जया ठाकुर और किस तरह उन्होंने इन ऐतिहासिक फैसलों में अहम भूमिका निभाई, पढ़िए ईटीवी भारत के सागर से संवाददाता कपिल तिवारी की खास रिपोर्ट...

बुंदेलखंड की बेटी डॉ जया ठाकुर

सागर। एक तरफ देश में पांच राज्यों का विधानसभा चुनाव चल रहा है और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव का एक तरह से बिगुल बज चुका है. वहीं दूसरी तरफ केंद्र की मोदी सरकार की तरफ से लाए गए इलेक्टोरल बांड के मामले की सुनवाई शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में खत्म हुई. इस मामले में संवैधानिक पीठ ने अपना फैसला रिजर्व रखा है. मामले की चर्चा बुंदेलखंड में होना इसलिए लाजमी है, क्योंकि राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता की लड़ाई एक बुंदेलखंड की बेटी सुप्रीम कोर्ट में लड़ रही हैं. जी हां हम बात कर रहे हैं डाॅ. जया ठाकुर की.

इलेक्टोल बांड में पारदर्शिता को लेकर याचिका दायर: डाॅ. जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में इलेक्टोल बांड में पारदर्शिता को लेकर याचिका दायर की है. खास बात ये है कि जया ठाकुर सिर्फ ने इस मामले को लेकर नहीं, बल्कि मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के नियम, ओबीसी आरक्षण, महिला आरक्षण मामले में भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. डॉ. जया ठाकुर की पहल पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी स्कूलों में सेनेटरी पैड मुफ्त बांटे जाने और हर स्कूल में गर्ल्स टाॅयलेट की अनिवार्यता पर सरकारों को सख्त निर्देश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में बाकायदा राज्यवार समीक्षा भी कर रहा है.

कौन है डॉ. जया ठाकुर: डाॅ. जया ठाकुर सागर जिले की बंडा कस्बे की रहने वाली हैं. उनकी स्कूली पढाई सागर संभागीय मुख्यालय पर हुई है और उन्होंने बीडीएस की डिग्री हासिल की है. जया ठाकुर की शादी दमोह में हुई है. पारिवारिक संस्कारों के चलते डॉ जया ठाकुर सामाजिक और राजनीतिक मामले में काफी सक्रिय रहती हैं. बुंदेलखंड इलाके में समाजसेवा और खासकर महिला सशक्तिकरण से जुडे़ कई आयोजन उन्होंने कराए हैं. उनके पति वरूण ठाकुर सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं. जिनके माध्यम से वो कई गंभीर और जनहित से जुडे़ मामले सुप्रीम कोर्ट में उठाकर कई ऐतिहासिक फैसले करा चुकी हैं. हाल ही में इलेक्टोरल बांड मामले में हुई सुनवाई में डॉ. जया ठाकुर तीन याचिकाकर्ताओं में से एक थीं.

इलेक्टोरल बांड पर क्या कहना है जया ठाकुर का: डॉ जया ठाकुर ने इलेक्टोरल बांड में पारदर्शिता के अभाव का मुद्दा उठाया और कहा कि ''चुनाव आयोग और रिजर्व बैंक आफ इंडिया के एतराज के बाद भी सरकार ने संशोधन लागू किए हैं. ऐसे में सिर्फ सत्ताधारी दलों को चंदा मिल रहा है.'' उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि ''लोकतंत्र में पारदर्शिता मुख्य अवयव है. जब चुनाव में हिस्सा लेने वाले एक उम्मीदवार से उसकी शैक्षणिक योग्यता, संपत्ति, अपराध और तमाम तरह की जानकारी मांगी जाती है तो राजनीतिक दलों के लिए ऐसी छूट क्यों दी जा रही है. राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की जानकारी सार्वजनिक होनी चाहिए. राजनीतिक दलों को होने वाली गुमनाम फंडिग पारदर्शिता के साथ-साथ एक मतदाता के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है. निश्चित रूप से मुझे आशा है कि इस मामले में कोर्ट हमारे पक्ष में फैसला देगा, क्योंकि इस स्कीम में देश के समस्त नागरिकों के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है. इसमें चंदा देने वाले का नाम और राशि का खुलासा नहीं किया जाता है कि कौन व्यक्ति कितने पैसा दे रहा है. इससे सरकार की योजनाएं और कार्य भी प्रभावित होंगे. क्योंकि चंदा देने वाले अपने हित में नीतियां या निर्णय प्रभावित कराएंगे.''

क्या है इलेक्टोरल बांड से जुड़ा मामला: दरअसल केंद्र की मोदी सरकार ने राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे के मामले में वित्त अधिनियम 2017 में संसोधन करके इलेक्टोरल बांड की व्यवस्था लागू की थी. इलेक्टोरल बांड को लेकर राजनीतिक दल सीपीआई (एम), एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और डॉ. जया ठाकुर द्वारा अलग-अलग याचिका दायर की थी. इस मामले में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, बीआर गवई, जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की संविधान पीठ का गठन किया था. जिसने तीन दिनों तक मामले की सुनवाई के बाद इलेक्टोरल बांड चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा है. What is Electoral Bond Donation

जनता को सबकुछ जानने का अधिकार: एडीआर की तरफ से वकील प्रशांत भूषण, डॉ जया ठाकुर की तरफ से कपिल सिब्बल, सीपीआईएम के लिए अधिवक्ता शादान फरासत के अलावा वकील निजाम पाशा और विजय हंसारिया ने बहस की. अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सरकार की तरफ से पेश हुए. हालांकि सरकार ने गुमनाम दानदाताओं का बचाव करते हुए कहा कि ''दानदाता राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार ना हो, इसके लिए ये व्यवस्था की है. योजना के तहत बैंकिंग चैनल के जरिए सफेद धन का उपयोग किया जाता है.'' वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ''ये व्यवस्था राजनीतिक दलों के लिए रिश्वतखोरी को वैध कर रही है. सत्ताधारी दल के पास सभी दानकर्ताओं की जानकारी होती है और विपक्ष या जनता को कुछ जानने का अधिकार नहीं है. जबकि जनता के लिए सबकुछ जानने का अधिकार है.''

Also Read:

मुफ्त सेनेटरी पैड को लेकर कराया ऐतिहासिक फैसला: डॉ, जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में स्कूलों में मुफ्त सेनेटरी पैड बांटे जाने और हर स्कूल में गर्ल्स टायलेट की अनिवार्यता का मामला भी उठाया था. इस मामले में सरकार ऐतिहासिक आदेश पारित करते हुए सभी राज्यों को सेनेटरी पैड मुफ्त बांटे जाने और स्कूलों में अनिवार्य रूप से गर्ल्स टाॅयलेट बनाए जाने के आदेश दिए थे. खास बात ये है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट राज्यवार हर महीने समीक्षा कर रहा है. कई राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत मुफ्त सैनेटरी पेड की व्यवस्था लागू कर दी है. वहीं स्कूलों में गर्ल्स टाॅयलेट की अनिवार्यता लागू कर दी गयी है. इसके साथ ही महिला आरक्षण बिल को लेकर डॉ. जया ठाकुर ने याचिका लगाई है कि विशेष सत्र बुलाकर महिला लागू कर दिया गया है. सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया और बिल पर राष्ट्रपति ने दस्तखत कर दिए. फिर भी इसे लागू करने में देरी क्यों की जा रही है. इसे 2014 से लागू किया जाना चाहिए.

Last Updated :Nov 4, 2023, 10:02 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.