इंदौर। कोविड-19 के कारण दो साल पहले पिता को खो चुकी इंदौर की तनिष्का सुजीत ने महज 15 साल की उम्र में बीए की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर ली है, वह राज्य भर में यह कारनामा करने वाली संभवत: सबसे कम उम्र वाली विद्यार्थी हैं. देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि तनिष्का ने बीए (मनोविज्ञान) अंतिम वर्ष की परीक्षा में 74.20 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं.
देश की सबसे कम उम्र वाली मुख्य न्यायाधीश बनने का सपना: तनिष्का ने परीक्षा परिणाम के बाद कहा, "मैं बचपन से चाहती थी कि मैं सबसे कम उम्र में अपनी पढ़ाई पूरी करूं, अब मैं आगे ब्रिटेन में कानून की पढ़ाई करुंगी. मैं आने वाले सालों में भारत के शीर्ष न्यायालय की सबसे कम उम्र वाली मुख्य न्यायाधीश बनना चाहती हूं."
पीएम ने बढ़ाया था तनिष्का सुजीत का हौसला: गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तनिष्का से एक अप्रैल को भोपाल में मुलाकात की थी, जब वह संयुक्त कमांडर सम्मेलन में हिस्सा लेने मध्यप्रदेश की राजधानी पहुंचे थे. तनिष्का ने बताया कि "करीब 15 मिनट की इस मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री ने उनका हौसला बढ़ाया था."
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आज पिता भी बेटी की कामयाबियों पर होंगे खुश: अपनी अकादमिक उपलब्धियों के कारण अक्सर चर्चा में रहने वाली तनिष्का का सफर कतई आसान नहीं रहा है. तनिष्का की मां अनुभा ने बताया कि "मेरे पति सुजीत चंद्रन की कोरोना वायरस संक्रमण के कारण साल 2020 में मौत हो गई थी, जब उन्होंने दम तोड़ा, तब मेरी बेटी की 12वीं की परीक्षा चल रही थी और उसके दो पर्चे बाकी थे, लेकिन उसने खुद को संभालते हुए परीक्षा दी और इसमें कामयाब हुई."
अपने दिवंगत पति की याद और बेटी की अकादमिक उपलब्धि की मिली-जुली भावनाओं में डूबती-उतरातीं अनुभा ने कहा, "मेरी बेटी ने महज 15 साल की उम्र में स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की है, उसके पिता आज जहां कहीं होंगे, बेहद खुश हो रहे होंगे."