ETV Bharat / bharat

यूपी में सबसे ज्यादा वक्फ संपत्तियां, जानिए क्या हैं बोर्ड के अधिकार, कैसे दे सकते हैं फैसले को चुनौती

author img

By

Published : May 1, 2023, 5:25 PM IST

Updated : May 1, 2023, 6:02 PM IST

यूपी में वक्फ बोर्ड के पास सबसे ज्यादा संपत्तियां हैं.अक्सर बोर्ड के अधिकार और संपत्तियों पर उनके दावों को लेकर सवाल खड़े होते रहते हैं. यूपी ही नहीं देश के अलग-अलग हिस्सों से भी बोर्ड के अधिकारों में संशोधन की मांग उठती रही है.

वक्फ संपत्तियों को लेकर अक्सर विवाद होते रहते हैं.
वक्फ संपत्तियों को लेकर अक्सर विवाद होते रहते हैं.

यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अली जैदी के कई अहम जानकारियां दीं.

लखनऊ : यूपी में देश में सबसे ज्यादा वक्फ संपत्तियां हैं. इन्हें लेकर अक्सर विवाद सामने आते रहते हैं. सूबे में सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास 2 लाख 10 हजार 239 संपत्तियां हैं. इसके अलावा शिया वक्फ बोर्ड के पास 15 हजार 386 संपत्तियां हैं. माना जाता है कि वक्फ बोर्ड के पास असीमित शक्तियां हैं. बोर्ड जिस भी जमीन पर दावा ठोंक दे, वह लगभग उसी की हो जाती है. वक्फ बोर्ड के अधिकार, इसके फैसले को चुनौती, दावे और आपत्तियों के निस्तारण, कानून के प्रावधान समेत कई सवालों को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता, वक्फ बोर्ड के सदस्य और उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन से खास बातचीत की. पढ़िए रिपोर्ट...

दरअसल, पिछले साल तमिलनाडु राज्य के तिरुचिरापल्ल जिले के तिरुचेंथराई गांव पर वहां के वक्फ बोर्ड ने मालिकाना हक जता दिया था, जबकि यह गांव 1500 साल पुराना बताया जाता है. यूपी में भी वक्फ बोर्ड ने कई संपत्तियों पर दावा जताना शुरू कर दिया. इसके बाद सीएम योगी ने वक्फ की सभी संपत्तियों की जांच के आदेश दे दिए थे. इन मामलों के बाद आम लोग भी वक्फ बोर्ड के असीमित अधिकारों को लेकर खुद की निजी जमीनों के भविष्य को लेकर फिक्रमंद नजर आने लगे हैं. यही वजह है कि पूरे देश से 100 से ज्यादा जनहित याचिका (PIL) कोर्ट में लंबित हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने बताया कि वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति पर अपना दावा ठोंक सकता है. बोर्ड के पास इसके अधिकार हैं. इसके लिए नोटिस भेज सकता है, नोटिस भेजने का कोई नियम तय नहीं है. खेत, मंदिर, चारागाह या पूरे गांव को ही बोर्ड अपना बता सकता है. नोटिस भेजने के बाद उसे अखबार में प्रकाशित भी कराता है, लेकिन इसका भी कोई नियम तय नहीं है. ऐसे में जिस जमीन पर वक्फ बोर्ड ने दावा किया है, अगर उसके असली मालिक ने नोटिस पढ़कर 30 दिन में आपत्ति नहीं दर्ज कराई तो जमीन बोर्ड की मान ली जाएगी.

वरिष्ठ अधिवक्ता ने बताया कि वक्फ अधिनियम की धारा 40 के तहत बोर्ड को यदि लगता है कि फला जमीन उसकी है तो बोर्ड खुद से ही उसकी जांच करा लेगा. इसके बाद वह डीएम को भी आदेश कर सकता है. उन्हें जमीन खाली कराने का आदेश भी दे सकता है. वक्फ बोर्ड के कानूनी अधिकार के मुताबिक जिलाधिकारी को भी बोर्ड के आदेश पर अमल करना ही होगा.

वक्फ बोर्ड के अधिकार और दावे से जुड़े पांच अहम सवाल : ईटीवी भारत की टीम वक्फ बोर्ड से जुड़े कुछ अहम सवालों को लेकर वक्फ मामलों के जानकार और सरकार द्वारा नियुक्त सुन्नी वक्फ बोर्ड के सदस्य एडवोकेट इमरान माबूद खान के पास भी पहुंची, पढ़िए पांच सवालों पर उनके क्या रहे जवाब...

पहला सवाल : वक्क बोर्ड को किसी की निजी जमीन पर भी दावा करने का अधिकार है. बोर्ड के दावा करते ही वह जमीन उसकी हो जाती है, कानून के प्रावधान के तहत इसमें कितनी सच्चाई है ?.

जवाब- इमरान माबूद खान ने बताया कि वक्फ बोर्ड को किसी की निजी संपत्ति पर दावा करने का अधिकार नहीं है. वक्फ बोर्ड सिर्फ उसी जमीन पर दावा कर सकता है जिसका कोई वाकिफ हो और उसने जमीन वक्फ को दी हो, उसकी वक्फ डीड मौजूद हो, या फिर वक्फ बोर्ड में कोई अपनी जमीन एप्लिकेशन देकर दर्ज करा चुका हो. अगर कोई संपत्ति वक्फ में दर्ज है, तब ही वक्फ बोर्ड उस जमीन पर क्लेम कर सकता है. ऐसे ही किसी की भी जमीन को वक्फ बोर्ड अपना नहीं कह सकता है. सुन्नी वक्फ बोर्ड के सदस्य ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार मकबरा, कब्रिस्तान, मस्जिद, दरगाह की जमीनें वक्फ संपत्ति मानी जाएंगी. सरकार वक्फ इंस्पेक्टर नियुक्त करती है. अगर उसकी जांच में निकलता है कि कोई जमीन मिसाल के तौर पर कब्रिस्तान की थी तो उसको वक्फ में दर्ज किया जाएगा. अगर कोई चाहे तो उस पर अपनी आपत्ति भी दर्ज करा सकता है.

दूसरा सवाल : वक्क बोर्ड की संपत्ति में लगातार इजाफा हो रहा है, इसकी वजह क्या मानी जाए ?.

जवाब- एडवोकेट इमरान माबूद खान ने इस सवाल के जवाब में कहा कि मान लीजिए वर्ष 2010 में अगर 2 लाख संपत्तियां दर्ज थीं और 13 साल में यानी साल 2023 तक 20 हजार लोगों अपनी जमीन वक्फ को दे दी तो वक्फ संपत्तियों का आंकड़ा तो बढ़ेगा ही. वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड के एक पूर्व अधिकार ने भी इस सवाल के जवाब में बताया कि अगर किसी एक वक्फ संपत्ति पर चार दुकान और दो मकान बन जाते हैं तो वह 6 वक्फ संपत्ति गिनी जाती है. इसके कारण भी वक्फ संपत्ति के आंकड़ों में इजाफा होता है.

तीसरा सवाल : वक्क बोर्ड पर कई बार सार्वजनिक संपत्तियों पर भी दावा ठोंकने के आरोप लग चुके हैं, ऐसे में इन संपत्तियों पर दावा ठोंकने का वक्क बोर्ड के पास आधार क्या है ?

जवाब : सुन्नी वक्फ बोर्ड के सदस्य एडवोकेट इमरान माबूद खान ने बताया कि अगर किसी संपत्ति के मालिक ने कभी वक्फ डीड लिखी होगी, और वह मौजूद होगी, या फिर एप्लिकेशन देकर वक्फ में चढ़वाया होगा. तभी बोर्ड उस संपत्ति पर दावा कर सकता है. प्रदेश में कई थाने और सरकारी बिल्डिंग भी वक्फ में मौजूद हैं. बाकायदा इसका किराया भी वक्फ बोर्ड को मिलता है.

चौथा सवाल : वक्क बोर्ड संपत्ति पर दावा करने का नोटिस भेजता है, वक्क बोर्ड के लोग ही आपत्ति की जांच करते हैं, मतलब सब कुछ वक्फ बोर्ड ही करता है तो जिसकी जमीन पर वक्क ने दावा किया है, वह निष्पक्ष न्याय की उम्मीद कैसे करें ?.

जवाब- इस सवाल के जवाब में एडवोकेट इमरान माबूद खान ने बताया कि अगर किसी को वक्फ बोर्ड के फैसले पर ऐतराज है तो उसके लिए अदालतें मौजूद हैं. बोर्ड के ऑर्डर को ट्रिब्यूनल में और हाईकोर्ट में या फिर देश की सर्वोच्च अदालत में भी चैलेंजे किया जा सकता है. कई बार कोर्ट ने वक्फ के मामलों में फैसले दिए हैं.

पांचवां सवाल : नोटिस भेजने के 30 दिन के अंदर आपत्ति दर्ज न कराने पर जमीन वक्फ की हो जाएगी, ऐसा नियम है. वक्क बोर्ड नोटिस पेपर में भी छपवाता है लेकिन यह पेपर रीडरशिप वाला होना चाहिए, यह भी तय नहीं है. क्या इस प्रावधान से मनमानी होने की उम्मीद नहीं रहती है ?.

जवाब- सीनियर एडवोकेट इमरान माबूद ने कहा कि अगर किसी को नोटिस मिल गया है तो वह उसकी आपत्ति दर्ज करा सकता है. आपत्ति नहीं मिलने पर जमीन वक्फ की नहीं हो जाती है, बल्कि वक्फ में दर्ज की जाती है. इसी सवाल पर सुन्नी वक्फ के बोर्ड एक पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने बताया कि नियम के अनुसार मान्यता प्राप्त अखबार में ही नोटिस प्रकाशित किया जा सकता है. किसी अखबार को मान्यता देने का अधिकार सरकार के पास है. यानी सरकार द्वारा रजिस्टर्ड अखबार ही में नोटिस प्रकाशित की जाती है.

जानकारों ने वक्फ बोर्ड पर कई जानकारियां दीं.
जानकारों ने वक्फ बोर्ड पर कई जानकारियां दीं.

वक्फ संपत्ति संपत्तियों को दर्ज करने का ये है प्रावधान : साल 1954 में वक्फ अधिनियम बना था. इसके बाद 1964 में वक्फ बोर्ड का गठन किया गया था. 1995 में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वक्फ अधिनियम में संशोधन हुआ. इससे वक्फ को असीमित शक्तियां मिल गईं. उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अली जैदी ने बताया कि वक्फ एक्ट के तहत संपत्ति को रजिस्टर किया जाता है. अगर कोई अपनी निजी संपत्ति को वक्फ को देना चाहता है तो एक फार्म पर संपत्ति का विवरण भरवाया जाता है. इसके बाद जांच की जाती है कि संपत्ति पर कोई विवाद तो नहीं है. संपत्ति के बारे में डीएम कार्यालय से भी जानकारी जुटाई जाती है. इसके बाद ही किसी की निजी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में रजिस्टर किया जाता है.

कितनी है वक्फ संपत्तियों की मिल्कियत : यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन बने जुफर अहमद के मुताबिक वक्फ प्रॉपर्टीज पूरी तरह से धार्मिक होती हैं. इसे बेचा नहीं जा सकता है, इसलिए आंकड़ा भी नहीं रखा जाता है. उन्होंने बताया कि 1 लाख 23 हजार संपत्तियों में 68 हजार कब्रिस्तान, 35 हजार मस्जिदें, 4 हजार कर्बला व इमाम चौक और ईदगाह हैं. वहीं 4 हजार वक्फ ऐसे भी हैं जिनकी संपत्तियां नहीं है, केवल सरकार से एन्विटी मिलती है.

वक्फ बोर्ड की संपत्तियां : उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड में 8 हजार और सुन्नी वक्फ बोर्ड में 1 लाख 23 हजार संपत्तियां दर्ज हैं. सुन्नी वक्फ बोर्ड में 68 हजार कब्रिस्तान, 35 हजार मस्जिदें, 4 हजार कर्बला व इमाम चौक और ईदगाह हैं. 4 हजार वक्फ ऐसे भी हैं जिनकी संपत्तियां नहीं हैं, केवल सरकार से एन्विटी मिलती है. उत्तरप्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की सबसे बड़ी औकाफ बहराइच में स्थित है. उत्तरप्रदेश में दरगाह सय्यद सालार मसूद जिलानी सबसे बड़ा वक्फ औकाफ है. इसमें कई मदरसे, गेस्ट हाउस, मजार, दुकानें व मकान शामिल हैं. इस वक्फ संपत्ति की सालाना आय 6 करोड़ रुपये के आसपास है. दूसरी संपत्ति बहराइच की छोटी तकिया के नाम से दर्ज है. लखनऊ का ऐशबाग ईदगाह भी वक्फ बोर्ड की संपत्ति है. इसके अलावा मशहूर जामा मस्जिद लालबाग व कपूरथला भी वक्फ प्रॉपर्टी है.

कई वक्फ संपत्तियों का बोर्ड को किराया भी मिलता है.
कई वक्फ संपत्तियों का बोर्ड को किराया भी मिलता है.

कैसे होता है सदस्यों का चयन : सुन्नी व शिया वक्फ बोर्डों में 11सदस्य होते हैं. जिनमें 8 सदस्य चुनकर व 3 सदस्यों को राज्य सरकार नामित कर भेजती है. इन सदस्यों में 2 मेंबर सांसद कोटे, 2 विधायक, 2 बार काउंसिल के सदस्य, 2 मुतवल्ली जिनके औकाफ की वार्षिक आय एक लाख या उससे उससे ज्यादा वाले होते हैं. इसके बाद सरकार की ओर से बनाए जाने वाले तीन सदस्यों में 1 धर्मगुरु, 1 सामाजिक कार्यकर्ता, 1 सरकारी अधिकारी होता है. यह सभी सदस्य इसके बाद अपने बीच से चेयरमैन का चयन करते हैं.

वक्फ बोर्ड को वेतन और दावे : वक्फ एक्ट के तहत वक्फ अलल खैर संपत्ति की 7 प्रतिशत आमदनी बोर्ड में जमा होती है. इससे वक्फ बोर्ड के मुलाजिमों को वेतन मिलता है. चेयरमैन को कोई वेतन नहीं मिलता है. मुख्य कार्यपालक अधिकारी को अल्पसंख्यक निदेशालय से वेतन मिलता है. वक्फ बोर्ड में दर्ज संपत्ति पर कोई भी दावा कर सकता है. हालांकि दावेदारी होने पर वक्फ इंस्पेक्टर जांच करता है. कोई संपत्ति की खसरा खतौनी प्रस्तुत करता है तो वह संपत्ति उसकी मानी जाती है.

यह भी पढ़ें : लखनऊ नगर निगम की सम्पत्तियों की होगी जियो टैगिंग, 60 लाख रुपये होंगे खर्च

Last Updated :May 1, 2023, 6:02 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.