लखनऊ: लखनऊ नगर निगम सीमा में शामिल 212 गांवों में स्थित संपत्तियों की जिओ टैगिंग (Jio tagging of properties in Lucknow) होगी. इस काम के लिए रिमोट सेसिंग एप्लीकेशन सेंटर को जिम्मेदारी दी गयी है. यह काम पूरा होने के बाद संपत्तियों की पूरी रिपोर्ट एक क्लिक पर होगी. इससे संपत्ति विभाग में फजीर्वाड़े व संपत्तियों पर होने वाले कब्जों पर रोक लग सकेगी. संपत्तियों की जियो टैगिंग के लिए 60.42 लाख रुपये खर्च होंगे. इसमें 9.22 लाख जीएसटी शामिल है. केंद्र सरकार से इसके लिए मंजूरी भी मिल चुकी है. अभी तक रिमोट सेसिंग सेंटर को बजट न मिलने के कारण काम शुरू नहीं हो सका है. इस वजह से परियोजना कार्य में विलंब हो रहा है.
नगर निगम की समस्त परिसम्पत्तियों का रिमोट सेंसिंग सर्वे का कार्य कराया जायेगा. इससे नगर निगम में निहित सम्पत्तियों की अच्छाक्षीय एवं देशान्तर स्थिति स्पष्ट हो सके तथा मौके पर भूमि रिक्त होने अथवा अतिक्रमण होने के सम्बन्ध में सुस्पष्ट जानकारी प्राप्त होगी. इससे अतिक्रमणकर्ताओं के विरुद्ध बेदखली की प्रभावी कार्रवाई की जा सकेगी. इसके अतिरिक्त नगर निगम में पूर्व से निहित 124 ग्रामों के अतिरिक्त सीमा विस्तार के फलस्वरूप सम्मिलित हुये 88 राजस्व ग्राम में नगर निगम की स्वामित्व की जितनी भी सम्पत्तियां शामिल हैं. उनका क्षेत्रीय लेखपालों के माध्यम से सर्वे का कार्य कराते हुये चिन्हांकन कराया गया है.
सर्वे के जरिये संपत्तियों की जियो टैगिंग (Jio tagging of properties of Lucknow Municipal Corporation) कर गूगल अर्थ से लिंक किया जाएगा. सभी संपत्तियों के डिजिटल नक्शे बनेंगे और डिजिटल रिकॉर्ड रजिस्टर बनेगा. कितनी जमीन अतिक्रमण में फंसी और कितनी मुक्त है, यह भी डिटिजल मैप पर रहेगा. बताया कि जियो टैगिंग से संपत्तियों का रखरखाव सही हो सकेगा. जरूरत पर डेटा में संशोधन किया जा सकेगा. जियो टैगिंग के लिए राजस्व रिकार्डों को संकलित किया जाएगा. इसमे खसरा, खतौनी और नक्शे को भी शामिल किया जाएगा.
नगर निगम भूमियों का और उस पर पाए गए अवैध कब्जों का नजरी नक्शा परिमापों सहित, नगर निगम की भूमियों से संबंधित विभिन्न न्यायालयों में चल रहे वादों में अब तक की कार्रवाई, पुराने राजस्व रिकार्डों में नगर निगम में अंकित का वर्तमान रिकार्ड में अंकित भूमियों का मौके पर मिलान हो सकेगा. नगर निगम संपत्तियों की तुरंत जानकारी मिल सकेगी. संपत्तियों का सही तरह से अनुरक्षण हो सकेगा, संपत्तियों की वर्तमान स्थिति और उन पर किए गए अवैध कब्जेदारों के खिलाफ कार्रवाई में आसानी होगी तथा संपत्तियों का उचित रखरखाव एवं प्रबंधन हो सकेगा.
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