ETV Bharat / bharat

Diwali 2023: विदेशों तक डिमांड में हैं 266 पुरानी परंपरा के हाथों से बने लक्ष्मी-गणेश जी के कैलेंडर.. राष्ट्रपति और पीएम भी मुरीद

author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 11, 2023, 8:42 AM IST

Updated : Nov 11, 2023, 9:15 AM IST

Gwalior Lakshmi Ganesh Calendar: 266 साल पुरानी चितेरा कला को ग्वालियर के 85 बरस के बुजुर्ग कन्हैयालाल आज भी जीवित रखे हुए हैं. सिंधिया परिवार के आग्रह पर बुंदेलखंड स ग्वालियर चंबल आए कन्हैयालाल हर दीपावली पर लक्ष्मी जी-गणेश जी के कैलेंडर हाथों से बनाते हैं. इन कैलेंडरों की विदेश में काफी डिमांड है, लोगों की जीवन में खुशहाली आए इसलिए रंगों में गंगाजल मिलाया जाता है. कलाकार अपने हाथों से बने कैलेंडर को राष्ट्रपति से लेकर पीएम नरेंद्र मोदी को भी भेंट कर चुके हैं.

Gwalior Lakshmi Ganesh Calendar
ग्वालियर लक्ष्मी गणेश कैलेंडर
हाथों से बने लक्ष्मी-गणेश जी के कैलेंडर

ग्वालियर। दीपावली का त्योहार नजदीक है और ऐसे में लोग गणेश जी लक्ष्मी जी की कैलेंडर घर ले जा रहे हैं, लेकिन आपको जानकारी या आश्चर्य हुआ कि ग्वालियर के एक परिवार के द्वारा हाथों से गणेश लक्ष्मी की कैलेंडर तैयार किए जाते हैं, जिनकी डिमांड देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है. ग्वालियर का यह परिवार 266 साल से अपनी परंपरा को निभाते आ रहा है और अपने हाथों से 266 साल पुरानी चितेरा कला से तैयार करता है. यह परिवार दीपावली के पूजन के लिए अपने हाथों से कैलेंडर तैयार करता है, इसमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है.

हाथों से तैयार करते हैं कैलेंडर: दरअसल शहर के चितेराओली में रहने बाले बुजुर्ग पति-पत्नी कन्हैया लाल और पवन कुमारी ने बताया है कि "सिंधिया राजवंश के द्वारा सन 1757 में हमारे परिवार के लोग बुंदेलखंड से ग्वालियर आए थे, तब से वह इसी चितेरा ओली में रह रहे हैं. उन्होंने बताया कि पहले चितेराओली में हर-घर में इस कलाकृति का काम होता था, लेकिन अब यह कल सिर्फ कुछ परिवारों में ही सिमिट कर रह गई है. 85 साल के कलाकार कन्हैयालाल और उनकी पत्नी पवन कुमारी दीपावली के त्योहार पर इन कैलेंडरों को अपने हाथों से तैयार करते हैं. कन्हैया लाल की पत्नी पवन कुमारी ने बताया कि "पति दीपावली के त्योहार पर घर-घर जाकर गणेश लक्ष्मी जी की कलाकृति तैयार करते हैं. उन्होंने कलाकृति बनाना 11 साल की उम्र में अपने पिताजी से सीखी थी, अभी इस कला को बनाने वाले शहर में कुल 10 कलाकार हमारे परिवार से है."

45 दिन पहले शुरू कर देते हैं काम: अपने पति कन्हैयालाल के साथ कैलेंडर को तैयार करने वाली उनकी पत्नी पवन कुमारी ने बताया है कि इन कैलेंडरों को अपने हाथों से तैयार करते हैं, जिसमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है. लोगों के जीवन में दीपावली खुशहाली लेकर आए इसलिए इस रंग में गंगाजल मिलाया जाता है, इन्हें बनाने का काम 45 दिन पहले से ही शुरू कर देते हैं. इसके साथ ही उनका कहना है कि चितेरा कला से बने इन कैलेंडरों की डिमांड डिमांड काफी अधिक होती है, इसलिए पूरे प्रदेश भर में डिमांड के जरिए इन कैलेंडरों को मनाया जाता है. इसके साथ ही ग्वालियर शहर में कन्हैया कुमार घर-घर जाते हैं और दीपावली से पहले चितेरा कला में कलाकृति बना कर आते हैं.

Must Read:

पूरी तरह शुद्ध और पवित्र होते हैं कैलेंडर: कैलेंडर को बनाने के लिए पहले हरिद्वार से गंगाजल जाकर विधि विधान की साथ इस रंग में मिलाकर कलाकृति बनाते हैं, इसमें लक्ष्मी जी, सरस्वती जी और गणेश जी की मूर्ति बनाने के साथ हाथी, शेर और बेल बूटी बनाते हैं. बुजुर्ग महिला पवन कुमारी ने बताया है कि पहले के समय इन कैलेंडर को तैयार करने के लिए हरे पत्ते, फूल और जड़ी बूटियां के रस से कलर तैयार करते थे और उसके बाद कैलेंडर बनते थे, यह पूरी तरह शुद्ध और पवित्र होते हैं.

राष्ट्रपति और पीएम भी हुए कला के मुरीद: 266 साल पुरानी चितेरा कला से कैलेंडर तैयार कर रहे कन्हैया कुमार और उनकी पत्नी पवन कुमारी की इस कला से राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मुरीद हैं. अभी हर में ही ग्वालियर में राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू ग्वालियर प्रवास पर आई थी, इस दौरान उन्होंने हाथों से बनी इस कलाकृति को भेंट किया. राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू ने उनकी कला को खूब सराहा, वहीं अभी हाल में ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ग्वालियर दौरे पर आए तो उस दौरान कन्हैया लाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाथ से उनकी फोटो बनाई थी, जिसे उन्हें भेंट की थी. यह तस्वीर पीएम नरेंद्र मोदी को बेहद पसंद आई और उनकी कला की प्रशंसा की.

हाथों से बने लक्ष्मी-गणेश जी के कैलेंडर

ग्वालियर। दीपावली का त्योहार नजदीक है और ऐसे में लोग गणेश जी लक्ष्मी जी की कैलेंडर घर ले जा रहे हैं, लेकिन आपको जानकारी या आश्चर्य हुआ कि ग्वालियर के एक परिवार के द्वारा हाथों से गणेश लक्ष्मी की कैलेंडर तैयार किए जाते हैं, जिनकी डिमांड देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है. ग्वालियर का यह परिवार 266 साल से अपनी परंपरा को निभाते आ रहा है और अपने हाथों से 266 साल पुरानी चितेरा कला से तैयार करता है. यह परिवार दीपावली के पूजन के लिए अपने हाथों से कैलेंडर तैयार करता है, इसमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है.

हाथों से तैयार करते हैं कैलेंडर: दरअसल शहर के चितेराओली में रहने बाले बुजुर्ग पति-पत्नी कन्हैया लाल और पवन कुमारी ने बताया है कि "सिंधिया राजवंश के द्वारा सन 1757 में हमारे परिवार के लोग बुंदेलखंड से ग्वालियर आए थे, तब से वह इसी चितेरा ओली में रह रहे हैं. उन्होंने बताया कि पहले चितेराओली में हर-घर में इस कलाकृति का काम होता था, लेकिन अब यह कल सिर्फ कुछ परिवारों में ही सिमिट कर रह गई है. 85 साल के कलाकार कन्हैयालाल और उनकी पत्नी पवन कुमारी दीपावली के त्योहार पर इन कैलेंडरों को अपने हाथों से तैयार करते हैं. कन्हैया लाल की पत्नी पवन कुमारी ने बताया कि "पति दीपावली के त्योहार पर घर-घर जाकर गणेश लक्ष्मी जी की कलाकृति तैयार करते हैं. उन्होंने कलाकृति बनाना 11 साल की उम्र में अपने पिताजी से सीखी थी, अभी इस कला को बनाने वाले शहर में कुल 10 कलाकार हमारे परिवार से है."

45 दिन पहले शुरू कर देते हैं काम: अपने पति कन्हैयालाल के साथ कैलेंडर को तैयार करने वाली उनकी पत्नी पवन कुमारी ने बताया है कि इन कैलेंडरों को अपने हाथों से तैयार करते हैं, जिसमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है. लोगों के जीवन में दीपावली खुशहाली लेकर आए इसलिए इस रंग में गंगाजल मिलाया जाता है, इन्हें बनाने का काम 45 दिन पहले से ही शुरू कर देते हैं. इसके साथ ही उनका कहना है कि चितेरा कला से बने इन कैलेंडरों की डिमांड डिमांड काफी अधिक होती है, इसलिए पूरे प्रदेश भर में डिमांड के जरिए इन कैलेंडरों को मनाया जाता है. इसके साथ ही ग्वालियर शहर में कन्हैया कुमार घर-घर जाते हैं और दीपावली से पहले चितेरा कला में कलाकृति बना कर आते हैं.

Must Read:

पूरी तरह शुद्ध और पवित्र होते हैं कैलेंडर: कैलेंडर को बनाने के लिए पहले हरिद्वार से गंगाजल जाकर विधि विधान की साथ इस रंग में मिलाकर कलाकृति बनाते हैं, इसमें लक्ष्मी जी, सरस्वती जी और गणेश जी की मूर्ति बनाने के साथ हाथी, शेर और बेल बूटी बनाते हैं. बुजुर्ग महिला पवन कुमारी ने बताया है कि पहले के समय इन कैलेंडर को तैयार करने के लिए हरे पत्ते, फूल और जड़ी बूटियां के रस से कलर तैयार करते थे और उसके बाद कैलेंडर बनते थे, यह पूरी तरह शुद्ध और पवित्र होते हैं.

राष्ट्रपति और पीएम भी हुए कला के मुरीद: 266 साल पुरानी चितेरा कला से कैलेंडर तैयार कर रहे कन्हैया कुमार और उनकी पत्नी पवन कुमारी की इस कला से राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मुरीद हैं. अभी हर में ही ग्वालियर में राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू ग्वालियर प्रवास पर आई थी, इस दौरान उन्होंने हाथों से बनी इस कलाकृति को भेंट किया. राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू ने उनकी कला को खूब सराहा, वहीं अभी हाल में ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ग्वालियर दौरे पर आए तो उस दौरान कन्हैया लाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाथ से उनकी फोटो बनाई थी, जिसे उन्हें भेंट की थी. यह तस्वीर पीएम नरेंद्र मोदी को बेहद पसंद आई और उनकी कला की प्रशंसा की.

Last Updated : Nov 11, 2023, 9:15 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.