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केजरीवाल सरकार की राशन की डोर स्टेप डिलीवरी योजना पर फिर लगा ब्रेक

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Published : Oct 10, 2021, 6:00 AM IST

दिल्ली के राशन उपभोक्ताओं तक राशन की डोर स्टेप डिलीवरी योजना फिर लागू नहीं हो पाएगी. पिछले महीने हाईकोर्ट ने इस योजना को लागू करने के लिए जब सशर्त मंजूरी दी थी, तब केजरीवाल ने तुरंत इसे शुरू करने के लिए फ़ाइल उपराज्यपाल को भेज दी, लेकिन दिल्ली सरकार की मानें तो उपराज्यपाल ने केंद्र से प्राप्त निर्देश के बाद इस योजना को लागू करने से इंकार कर दिया.

केजरीवाल सरकार की राशन की डोर स्टेप डिलीवरी योजना
केजरीवाल सरकार की राशन की डोर स्टेप डिलीवरी योजना

नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता एवं विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा और राशन माफियाओं के बीच साठगांठ के कारण केंद्र सरकार ने राशन की डोरस्टेप डिलीवरी (Ration Doorstep Delivery) पर रोक लगाई है. राशन डीलरों ने एलजी को पत्र लिखकर डोरस्टेप डिलीवरी योजना को नामंजूर करने की अपील की थी, जिसकी प्रति केंद्र सरकार को भी भेजी गई थी.

राशन की डोर स्टेप डिलीवरी योजना पर रोक लगने के बाद सौरभ भारद्वाज ने कहा कि केंद्र सरकार ने जिस NFSA एक्ट को आधार बनाया है, उसे दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था और यह हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना का मामला भी बनता है. उन्होंने कहा कि पिछले दिनों हाईकोर्ट से राशन की डोरस्टेप डिलीवरी की इजाजत मिलने के बाद केजरीवाल सरकार ने योजना लागू करने के लिए एलजी से इजाजत मांगी थी. केंद्र सरकार और भाजपा नहीं चाहती कि दिल्ली से राशन माफिया का नेटवर्क खत्म हो.

जिस नेशनल फूड सिक्युरिटी एक्ट (एनएफएसए) को लेकर दिल्ली के राशन डीलरों का एसोसिएशन ने कोर्ट में दलील दी थी कि NFSA के तहत राशन की डोरस्टेप डिलीवरी संभव नहीं है, तब कोर्ट ने उस दलील को खारिज कर दिया था और कोर्ट का कहना था कि एनएफएसए ऐसी कोई बाधा खड़ी नहीं करता है कि डोरस्टेप डिलीवरी नहीं होनी चाहिए. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अब जब केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को योजना को लागू करने से दोबारा मना किया है, तो केंद्र ने उसी एनएफएसए एक्ट की आड़ ली है कि एनएफएसए एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि राशन की डोर स्टेप डिलीवरी की इजाजत दी जाए. अब सवाल यह है कि कोर्ट ने तो एनएफएसए के प्रावधान को खारिज किया है और कहा है कि योजना को लागू करने में कोई दिक्कत नहीं है.

वहीं, केंद्र सरकार उसी एनएफएसए एक्ट की आड़ लेकर दिल्ली सरकार को योजना को लागू करने से रोक रही है. एक तरह से केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट के आदेश की अवमानना भी किया जा रहा है. केंद्रीय खाद्य, उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की तरफ से दिल्ली सरकार के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग को भेजे पत्र में कहा गया है कि दिल्ली सरकार को टीपीडीएस के तहत पात्र एनएफएसए लाभार्थियों को खाद्यान्न वितरित करते समय एनएफएसए एक्ट 2013 के मानदंडों और प्रावधानों का सही तरीके से पालन करना चाहिए. यह भी कहा गया है कि यदि राज्य सरकार द्वारा एनएफएसए खाद्यान्न के तत्वों को मिलाए बिना अलग से योजना बनाई जाती है, तो इस विभाग को कोई आपत्ति नहीं होगी. इसलिए यह सूचित किया गया है कि एनएफएसए एक्ट 2013 के सभी सांविधिक प्रावधान अनिवार्य हैं और एनएफएसए के अंतर्गत निर्धारित तरीके से टीपीडीएस का संचालन किया जाएगा, ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित किया जा सके. होम डिलीवरी के लिए दिल्ली सरकार के साथ विचाराधीन प्रस्ताव एनएफएसए के मानदंडों को पूरा नहीं करता है और इसलिए भारत सरकार इसकी अनुमति नहीं देता है, जबकि हाईकोर्ट ने इन दलीलों को मानने से इंकार कर दिया था.

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गत 27 सितंबर को एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 22 मार्च 2021 को अपने आदेश को संशोधित किया है. हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को राशन की डोरस्टेप डिलीवरी योजना को लागू करने और डोरस्टेप डिलीवरी का विकल्प चुनने वाले लाभार्थियों के अनुपात में एफपीएस को दी जा रही आपूर्ति में कटौती करने की अनुमति दी है. कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि डोरस्टेप डिलीवरी मॉडल लाभार्थियों के लिए वैकल्पिक था और वे एफपीएस के जरिए राशन वितरण प्रणाली में वापस जाने का विकल्प चुन सकते हैं. जिसके बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि अब दिल्ली हाईकोर्ट ने राशन की डोरस्टेप डिलीवरी योजना को लागू करने का रास्ता साफ कर दिया है. दिल्ली सरकार योजना के प्रचार-प्रसार को लेकर हाईकोर्ट के दिए निर्देशों का पूरी ईमानदारी से पालन करेगी.

उल्लेखनीय है कि दिल्ली में राशन की डोर स्टेप डिलीवरी योजना लागू करने को लेकर केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल में काफी समय से विवाद चल रहा है. केजरीवाल सरकार राशन की डोरस्टेप डिलीवरी योजना को लागू करने पर अड़ी है, जबकि एलजी और केंद्र सरकार इसका विरोध कर रहे हैं. दिल्ली सरकार इस बहुप्रतीक्षित योजना को शुरू ही करने वाली थी कि केंद्र सरकार ने एलजी के माध्यम से इसे शुरू होने से एक सप्ताह पहले ही रोक लगवा दी. 27 सितंबर को हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को इस योजना को सशर्त लागू करने की अनुमति दी.

दिल्ली सरकार द्वारा तैयार की गई राशन की डोरस्टेप डिलीवरी योजना एक गेम-चेंजिंग योजना साबित होती. इस योजना की मदद से राशन माफिया सिंडिकेट द्वारा राशन की चोरी और गरीबों के उत्पीड़न को रोकने में मदद की मिलती. हालांकि, इस योजना को शुरू होने से एक सप्ताह पहले केंद्र सरकार ने एलजी के माध्यम से खारिज करा दिया था, जबकि केंद्र ने कभी भी कोर्ट में इस योजना का विरोध नहीं किया था.

डोर स्टेप डिलीवरी के तहत घर राशन पहुंचाने वाली कंपनी के पास राशन कार्ड घारक के अंगूठे का निशाना मौजूद होगा. राशन घर लेकर गई कंपनी कार्ड घारक के अंगूठे का निशान मशीन से मिलान करती. अंगूठे के निशान का मिलान होते ही राशन का पैकेट डिलीवर कर दिया जाता इससे किसी तरह के फर्जीवाड़े या घपले से संभावना खत्म हो जाती.

दिल्ली सरकार ने 25 मार्च 2021 से ‘मुख्यमंत्री घर-घर राशन’ योजना को शुरू करने की पूरी तैयारी कर ली थी, लेकिन इससे पहले 19 मार्च 2021 को केंद्र सरकार ने 25 मार्च को शुरू होने वाली दिल्ली सरकार की ‘मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना’ के कार्यान्वयन पर आपत्ति जताई. केंद्र सरकार ने आपत्ति जताई कि यह राशन केंद्र से दिया जा रहा है. इसलिए इसका नाम ‘मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना’ नहीं हो सकता है.

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