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भारत की 'सीड लेडी' अमेरिका में होंगी सम्मानित, कहा- स्वामीनाथन के कार्यों को बढ़ाएंगे आगे

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 2, 2023, 9:30 AM IST

Updated : Oct 2, 2023, 12:06 PM IST

Borlaug Field Award 2023: भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में बीज प्रणाली और उत्पादन प्रबंधन की दक्षिण एशिया प्रमुख डॉ. स्वाति नायक को 24 अक्टूबर को बोरलॉग फील्ड अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा. इस उपलब्धि के लिए वह काफी खुश हैं. इसे लेकर 'ईटीवी भारत' ने उनसे खास बातचीत की, जिसमें उन्होंने नई तकनीक व बीजों के इस्तेमाल से लेकर फसलों के कम पैदावार देने पर कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी.

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डॉ. स्वाति नायक से खास बातचीत

डॉ. स्वाति नायक से खास बातचीत

नई दिल्ली: भारत कृषि प्रधान देश है, जहां कृषि से संबंधित कोई कार्य चर्चा का विषय बन जाता है. अब एक भारतीय कृषि वैज्ञानिक ने विश्व में ख्याति बटोरी है. दरअसल, अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, फिलीपींस से जुड़ीं एग्रीकल्चर साइंटिस्ट डॉ. स्वाति नायक बोरलॉग फील्ड अवार्ड के लिए चुनी गई हैं. यह अवार्ड उन्हें 24 अक्टूबर को अमेरिका में दिया जाएगा.

डॉ. स्वाति नायक मूलत: ओडिशा की रहने वाली हैं. उन्होंने आचार्य एनजी रंगा कृषि विश्वविद्यालय से 2003-07 के बीच कृषि विज्ञान से स्नातक किया है. इसके बाद उन्होंने ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आनंद में ग्रामीण प्रबंधन में मास्टर्स किया. इतना ही नहीं, वे एमिटी विश्वविद्यालय से कृषि विस्तार प्रबंधन रणनीति में पीएचडी भी कर चुकी हैं. वर्तमान में वह भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में बीज प्रणाली और उत्पादन प्रबंधन की दक्षिण एशिया प्रमुख हैं. कृषि क्षेत्र में अपने उत्कृष्ट कार्यों के चलते उन्हें 'सीड लेडी' के नाम से भी जाना जाता है. डॉ. स्वाति को यह अवार्ड मिलने को लेकर ETV भारत से उनसे कई सवाल-जवाब किए. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा...

सवाल 1- नॉरमन बोरलॉग फील्ड अवार्ड के लिए आपका चयन हुआ है, इसके बारे में कुछ बताइए?

जवाब - इस अवार्ड को विश्व खाद्य पुरस्कार संस्थान की तरफ से 40 साल से कम उम्र के एग्रीकल्चर साइंटिस्ट व खाद्य सुरक्षा के लिए काम करने वाले लोगों को दिया जाता है. यह अवॉर्ड पाना मेरे लिए गर्व की बात है. यह पुरस्कार हरित क्रांति के जनक और नोबल पीस प्राइज पा चुके नॉरमन बोरलॉग से नाम से दिया जाता है. जब इस अवार्ड के बारे में सूचित किया गया तो मुझे बहुत खुशी मिली. इसे रिसीव करने के लिए मैं अमेरिका जाऊंगी, जहां मैं अपने देश, राज्य और एग्रीकल्चर साइंटिस्ट फ्रैटर्निटी को रिप्रेजेंट करूंगी.

सवाल 2- आप चावल अनुसंधान क्षेत्र में काम करती हैं, कभी सोचा था इतना बड़ा अवार्ड मिलेगा?

जवाब- मैं 10 सालों से फिलीपींस स्थित धान अन्वेषण केंद्र से जुड़ी हूं. साथ ही मैं इसके वाराणसी स्थित साउथ एशिया रीजनल सेंटर के साथ भी जुड़ी हुई हूं. जब हम कृषि क्षेत्र में एग्रीकल्चर एक्सटेंशन की बात करते हैं तो वहां महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम देखा जाता है. उस हिसाब से अगर इस अवार्ड के जरिए पूरे कम्युनिटी को रिप्रेजेंट कर पा रही हूं तो यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है. इसको आगे बढ़ाने के लिए मैं क्लाइमेट रेजीलिएंट की धान के बीज की किस्मों, कम दिनों में होने वाली धान की किस्मों और अलग-अलग फसलों को लगाने पर काम करती हूं. मैं अपनी कम्युनिटी के साथ जुड़कर बहुत काम करती हूं और इस चीज को आगे बढ़ाते हुए मैं अन्य वैज्ञानिकों को लेकर चलूंगी.

सवाल 3- इस अवार्ड के जरिए आप लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बनी है, आपने इस क्षेत्र को कैसे चुना है?

जवाब- मुझे क्रॉप साइंस में बचपन से रुचि थी, इसलिए मैं इसके संबंधित किताबें पढ़ती रहती थी. जब मैं हैदराबाद एग्रीकल्चर कॉलेज में अपनी पढ़ाई कर रही थी, तो वहां से मैं फील्ड वर्क के लिए जाया करती थी. तब से मेरा मकसद बन गया कि ऐसी पढ़ाई करूंगी, जिससे नए कौशल व तकनीक को ज्यादा से ज्यादा छोटे किसानों तक पहुंचाया जा सके और उन्हें फायदा पहुंचे. छोटे किसान नए शोध और महंगी तकनीक को जल्दी अडॉप्ट नहीं कर पाते, इसलिए मैंने सोचा की ये सारी चीजें कैसे उनके पास पहुंचाई जाएं. इसलिए मेरा मन ग्रामीण विकास क्षेत्र में काम करने का हुआ.

सवाल 4- यह अवार्ड आपको कब मिलेगा?

जवाब- यह अवार्ड 24 अक्टूबर को अमेरिका में आयोजित ग्लोबल इवेंट में दिया जाएगा, जिसके लिए मुझे आमंत्रित किया गया है.

सवाल 5- आप चेन्नई गई थीं और हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन की अंत्येष्टि में हिस्सा लिया, उनकी कमी को आप किस रूप में देखती हैं?

जवाब- हमलोगों के लिए यह बहुत दुःखद समय था. मुझे लगता है उनके जाने के बाद एक युग की समाप्ति हुई है. मुझे यह सौभाग्य मिला कि मैं चेन्नई गई और उन्हें अंतिम विदाई दे पाई. उन्होंने जो किया वह कृषि क्षेत्र से बढ़कर है. उन्होंने हमारे समाज को हरित क्रांति दी, जिसके लिए उन्हें हमेशा नमन किया जाएगा. जो भी दुनिया में आया है, उसे जाना पड़ेगा, लेकिन उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों व इस क्षेत्र में काम करने वाले अन्य लोगों को प्रेरणा दी है और हम उनके विजन को आगे बढ़ाते जाएंगे.

सवाल 6- कुछ कृषि विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि हरित क्रांति से भारत की स्थानीय फसलों की किस्म को नुकसान पहुंचाया है, सिर्फ एक किस्म की खेती के चलते पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की खेती गेहूं और धान पर निर्भर हो गई? आपका क्या कहना है?

जवाब- देखिए आप बात कर रहे हैं 1960-70 के दशक की, जब हरित क्रांति लाई गई थी. अगर हम उस समय के बारे पढ़ेंगे तो जानेंगे कि उस समय खाद्य सुरक्षा की क्या अवस्था थी और कैसी भुखमरी थी. वहां से उबर कर हम आज स्वंय संपन्न देश बन चुके हैं. इसका श्रेय हरित क्रांति को ही दिया जाएगा. उस समय के बाद उत्पादन बढ़ा और आज हम दूसरे देशों को भी अन्न उपलब्ध करा पा रहे हैं. यह ट्रांसफार्मेशन एक विजन से ही हो सकता है, जिसे एमएस स्वामीनाथन व उनके साथ काम करने वाले अन्य वैज्ञानिकों ने मूर्त रूप दिया था.

जब भी किसी नई चीज का उद्भभव होता है तो लोग उसे अलग-अलग तरीके से आगे बढ़ाते हैं. किसानों को नए कौशल व तकनीकों को इस्तेमाल करने की जरूरत है. कम पानी में खेती, ऐसे धान जिन्हें कम पानी वाले क्षेत्रों में भी लगाया जा सकता है आदि बहुत सारे विज्ञान कौशल हैं. वैज्ञानिकों को इन चीजों के बारे में किसानों को बताना होगा.

सवाल 7- देश जब आजाद हुआ था तब कृषि विकास दर शून्य थी. 31 जनवरी 2023 को संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2022-23 के अनुसार कृषि विकास दर 2020-21 में 3.3 फीसदी से गिरकर 2021-22 में 3 फीसदी हो गई. इसे किस रूप में देखती हैं?

जवाब- इसका कोई मापदंड नहीं है कि यह कितना उचित है. हमारी जनसंख्या का ग्रोथ रेट है वह बहुत ज्यादा है. हमें खाद्यान्न उत्पादन को बढ़ाने को वरीयता देनी ही होगी, ताकि हमारी जनसंख्या को खाद्य सुरक्षा मिल सके. इसके अलावा मौसम व जलवायु परिवर्तन भी एक कारण है, जो किसी देश या राज्य तक सीमित नहीं है. यह हमारे खाद्यान्न उत्पादन और बाजार को बहुत प्रभावित करता है. इसलिए जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए नई तकनीकों को अपनाने के लिए आगे की सोच रखनी चाहिए. अगर हम इस प्रयास को जारी रखते हैं तो परिस्थिति भी बेहतर होती जाएगी.

सवाल 8- क्लाइमेट चेंज के चलते कहीं अधिक बारिश तो कहीं अधिक सूखे के चलते धान की फसलों पर काफी प्रभाव पड़ा. क्या ऐसा कोई शोध हो रहा है, जिससे बाजार में ऐसे बीज आएं और उनसे पैदावार बढ़ सके?

जवाब- बिल्कुल मैं इस कार्यक्षेत्र से जुड़ी हुई हूं, इसलिए पिछले 10 वर्षों में धान व अन्य फसलों के ऐसे बीज विकसित किए गए हैं, जो बाढ़ और सूखे दोनों को सहने की क्षमता रखते हैं. ये बीज ऐसे परिस्थितियों में भी किसानों को अन्य बीजों के मुकाबले अधिक पैदावार देती हैं. हमारा यह उद्देश्य है कि यह जानकारी उन किसानों के पास पहुंचे जो सबसे अधिक घाटा झेल रहे हैं. हम सरकारी कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों तक यह जानकारी व ऐसे किस्म बीज पहुंचाने के साथ उन्हें इसका अधिक इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, ताकि यह देश के कोने कोने में पहुंच सके.

सवाल- आप 'सीड लेडी' के नाम से भी जानी जाती हैं, यह नाम कैसे पड़ा, फील्ड में काम करना कितनी बड़ी चुनौती मानती हैं?

जवाब- मैं काफी समय किसानों के साथ काम करती हूं. हमारी टीम धान के बीज के बारे में बताने के साथ उन्हें विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए बीज उपलब्ध भी कराते हैं, ताकि वे इसका इस्तेमाल करें. लोग मुझे प्यार से बीज के लिए कार्यक्रम करने वाली दीदी और बीज देने वाली दीदी के नाम से बुलाते हैं. अगर मैं उन्हें सीड लेडी के नाम से याद हूं, तो मेरे लिए यह बहुत खुशी की बात है. मेरा उद्देश्य उन तक पहुंचा होगा, जिससे उन्होंने मेरा ये नाम रख दिया.

कौन हैं नॉरमन बोरलॉग: नोबेल पुरस्कार विजेता नॉरमन बोरलॉग को हरित क्रांति के लिए नोबल पीस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्होंने हरित क्रांति की शुरुआत मेक्सिको से की थी. 1959 में वे उन्नत किस्म के गेहूं के बीजों को मेक्सिको ले गए और खेती में इसका प्रयोग शुरू किया. यह प्रयास काफी सफल रहा, जिसमें प्रति हेक्टेयर 10 टन से ज्यादा की पैदावार हुई. इसके बाद बोरलॉग ने पूरी दुनिया के देशों में इन बीजों को भेजना शुरू कर दिया, जिसमें भारत भी था. उन्हीं के नाम पर कृषि के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान करने वाले 40 वर्ष से कम उम्र के कृषि वैज्ञानिकों को अमेरिकी संस्था द्वारा पुरस्कृत किया जाता है.

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Last Updated :Oct 2, 2023, 12:06 PM IST
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