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बासमती चावल के लिए भारत-पाकिस्तान में भिड़ंत

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Published : Jun 8, 2021, 12:56 PM IST

Updated : Jun 8, 2021, 1:54 PM IST

बासमती बिरयानी
बासमती बिरयानी

बासमती चावल के अधिकार (टाइटल) को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच फिर से भिड़ंत हो गई है. दरअसल, भारत ने बासमती चावल के एक्सक्लूसिव ट्रेडमार्क के लिए आवेदन किया है, जो इसे यूरोपीय संघ में बासमती अधिकार का एकमात्र स्वामित्व प्रदान करेगा.

हैदराबाद : भारत और पाकिस्तान में बिरयानी से लेकर पुलाव तक बासमती रसोई का प्रमुख हिस्सा है. यह लंबे दाने वाला चावल दोनों देशों के बीच नवीनतम लड़ाई के केंद्र में है.

भारत ने बासमती के एक्सक्लूसिव ट्रेडमार्क के लिए आवेदन किया है, जो उसे यूरोपीय संघ में बासमती अधिकार का एकमात्र स्वामित्व प्रदान करेगा. इससे बासमती के अधिकार को लेकर विवाद खत्म हो जाएगा. साथ ही एक महत्वपूर्ण निर्यात बाजार में पाकिस्तान की स्थिति को बड़ा झटका दे सकता है.

हालांकि, पाकिस्तान ने यूरोपीय आयोग से संरक्षित भौगोलिक संकेत (पीजीआई) हासिल करने के भारत के कदम का विरोध किया है.

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है, जिसकी वार्षिक आय 6.8 बिलियन डॉलर है. चावल निर्यात में पाकिस्तान 2.2 बिलियन डॉलर वार्षिक आय के साथ चौथे स्थान पर है.

दोनों देश बासमती के एकमात्र वैश्विक निर्यातक
भारत और पाकिस्तान बासमती के एकमात्र वैश्विक निर्यातक हैं. पाकिस्तानी किसान मुर्तजा (जिसका खेत भारतीय सीमा से बमुश्किल पांच किमी की दूरी पर है) का कहना है कि भारत ने यह साजिश रची है ताकि वह किसी तरह हमारे लक्षित बाजारों में से एक को हड़प सके. मुर्तजा ने कहा कि हमारा पूरा चावल उद्योग प्रभावित है.

कराची से कोलकाता तक, बासमती दक्षिणी एशिया में रोजमर्रा के आहार में प्रमुख है. यह मसालेदार मांस और सब्जी करी के साथ खाया जाता है, और दोनों देशों में शादियों और समारोहों में बासमती की बिरयानी जायका बढ़ाती है, जो 1947 में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता के बाद अलग हो गए थे. तब से दोनों देश नियमित रूप से अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक-दूसरे को बदनाम करने का प्रयास करते हैं.

बासमती का महत्वपूर्ण बाजार
पाकिस्तान ने पिछले तीन वर्षों में यूरोपीय संघ को बासमती निर्यात का विस्तार किया है, और यूरोपीय संघ के कड़े कीटनाशक मानकों को पूरा करने में भारत की कठिनाइयों का फायदा उठाया है. यूरोपीय आयोग के अनुसार, पाकिस्तान अब क्षेत्र की लगभग 300,000 टन वार्षिक मांग का दो-तिहाई पूरा करता है.

पीजीआई दर्जा ऐसे भौगोलिक क्षेत्र से जुड़े उत्पादों के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार प्रदान करता है जहां उत्पादन, प्रसंस्करण या तैयारी का कम से कम एक चरण होता है.

भारतीय दार्जिलिंग चाय, कोलंबिया की कॉफी और कई फ्रेंच हैम पीजीआई दर्जा वाले लोकप्रिय उत्पादों में से हैं. यह उत्पत्ति के संरक्षित पदनाम से अलग-अलग होते हैं, जिसके लिए संबंधित क्षेत्र में सभी तीन चरणों की आवश्यकता होती है, जैसे कि फ्रेंच ब्री (French Brie) या इतालवी गोरगोन्जोला (Italian Gorgonzola) पनीर के मामले में होता है. ऐसे उत्पादों को कानूनी रूप से सुरक्षा समझौते से बंधे देशों में नकल और दुरुपयोग के खिलाफ संरक्षित किया जाता है और और एक गुणवत्ता पहचान मुहर उन्हें उच्च कीमतों पर बेचने की अनुमति देती है.

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भारत का कहना है कि उसने अपने आवेदन में हिमालय की तलहटी में उगाए जाने वाले विशेष चावल के एकमात्र उत्पादक होने का दावा नहीं किया था, लेकिन फिर भी पीजीआई का दर्जा प्राप्त करने से उसे यह मान्यता मिल जाएगी. भारत और पाकिस्तान लगभग 40 वर्षों से विभिन्न बाजारों में बासमती का निर्यात कर रहे हैं.

साझी विरासत
यूरोपीय आयोग के एक प्रवक्ता ने कहा कि यूरोपीय संघ के नियमों के अनुसार, भारत द्वारा तीन महीने के विस्तार के लिए कहने के बाद, दोनों देशों को सितंबर तक एक सौहार्दपूर्ण समाधान पर बातचीत करने का प्रयास करना चाहिए. विधि शोधकर्ता डेल्फिन मैरी-विवियन (Delphine Marie-Vivien) कहते हैं कि ऐतिहासिक रूप से, प्रतिष्ठा और भौगोलिक क्षेत्र (बासमती के लिए) दोनों भारत और पाकिस्तान के लिए समान हैं.

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यूरोप में भौगोलिक संकेत (Geographical Indication) आवेदनों के विरोध के कुछ मामले पहले ही सामने आ चुके हैं, और हर बार इसका समाधान हुआ है. वर्षों के टालमटोल के बाद, इसी साल जनवरी में पाकिस्तानी सरकार ने देश में बासमती की खेती की जा सकने वाली जगहों का सीमांकन किया. साथ ही पाक सरकार ने घोषणा की कि वह गुलाबी हिमालयी नमक और अन्य कृषि उत्पादों को समान संरक्षित दर्जा प्रदान करेगी.

पाकिस्तान को उम्मीद है कि वह बासमती का प्रतिनिधित्व करने वाली साझी विरासत के नाम पर भारत को 'संयुक्त आवेदन' जमा करने के लिए मनाएगा.

Last Updated :Jun 8, 2021, 1:54 PM IST
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