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G 20 शेरपा बैठक को लेकर उपजा विवाद, पूर्व राजपरिवार सदस्य ने लिखा प्रधानमंत्री को पत्र

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Published : Nov 11, 2022, 10:39 PM IST

उदयपुर में दिसंबर में होने वाली G 20 की शेरपा बैठक को लेकर (Controversy erupts over G 20 Sherpa meeting) विवाद खड़ा गया है. विवाद कार्यक्रम के आयोजन स्थल को लेकर हुआ है. पूर्व महाराणा महेंद्र सिंह मेवाड़ के पुत्र विश्वराज सिंह ने पीएम, विदेश मंत्री, पर्यटन मंत्री को पत्र लिखकर बताया है कि कार्यक्रम जहां आयोजित हो रहा है उसका मामला कोर्ट में चल रहा है. ऐसे में वहां आयोजन करना गलत है.

Vishwaraj Singh Mewar wrote letter to Pm, Controversy erupts over G 20 Sherpa meeting
पूर्व राजपरिवार सदस्य ने लिखा प्रधानमंत्री को पत्र.

उदयपुर. झीलों की नगरी उदयपुर में भारत की अध्यक्षता में पहली बार होने वाली G 20 शिखर सम्मेलन (Controversy erupts over G 20 Sherpa meeting) की शेरपा बैठक 5 से 7 दिसंबर आयोजित होने जा रही है. कार्यक्रम को लेकर शासन-प्रशासन की ओर से तैयारियां जोर-शोर से की जा रही हैं. इस दौरान बैठक को लेकर अब एक नया विवाद भी खड़ा हो गया है.

दरअसल पूर्व राजघराने के सदस्य विश्वराज सिंह मेवाड़ की ओऱ से लिखे गए पत्र के बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं. पूर्व महाराणा महेंद्र सिंह मेवाड़ के पुत्र विश्वराज सिंह ने उदयपुर में होने वाले G 20 शिखर सम्मेलन शेरपा बैठक (Vishwaraj Singh Mewar wrote letter to Pm) को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर, पर्यटन मंत्री जय किशन रेड्डी को पत्र लिखा है. इसमें शेरपा बैठक के लिए सिटी पैलेस में जो आयोजन स्थल बनाए गए हैं उसे हिंदू संयुक्त परिवार एचयूएफ (HUF) की संपत्ति बताया गया है. इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि मेरे पिता परिवार के वर्तमान मुखिया हैं. सिटी पैलेस, दरबार हॉल, माणक चौक आदि स्थल एचयूएफ की संपत्तियां है जिसको लेकर पारिवारिक मुकदमा वर्षों से चला आ रहा है.

Vishwaraj Singh Mewar wrote letter to Pm, Controversy erupts over G 20 Sherpa meeting
पूर्व राजपरिवार सदस्य ने लिखा प्रधानमंत्री को पत्र.

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उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि उच्च पदों पर बैठे लोगों से अपेक्षा की जाती है कि वे उन कार्यालयों की गरिमा की रक्षा करें जिनका वे प्रतिनिधित्व करते हैं. उन्हें कम से कम निर्णय न्याय के अधीन रहकर और अत्यधिक विवादास्पद मामलों पर गहनता से विचार कर करना चाहिए. मेवाड़ ने अपने तर्क में लिखा कि 22 अप्रैल 1983 को उदयपुर जिला न्यायालय में सम्पत्ति विभाजन के लिए वाद दायर किया था. उसके बाद 30 जून 2020 के आदेश में इसे परिवारिक सम्पत्ति हिन्दू संयुक्त परिवार के रूप में संज्ञान दिया गया है जिसकी जोधपुर हाईकोर्ट के समक्ष अपील लंबित है.

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