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किसान आंदोलन की सुगबुगाहट के बीच MSP पर बनी समिति ने की बैठक, बनाए चार महत्वपूर्ण ग्रुप

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Published : Aug 22, 2022, 8:28 PM IST

MSP committee
एमएसपी कमेटी की बैठक

किसान आंदोलन की जैसे ही सुगबुगाहट शुरू होने लगी, एमएसपी पर बनी समिति ने अपनी बैठकें शुरू कर दी. समिति ने आज महत्वपूर्ण फैसला लिया. इसने चार उप समूह बनाने की घोषणा की. बैठक में एसकेएम के प्रतिनिधि शामिल नहीं हैं. उनके नाम पर तीन सदस्यों की सीटें खाली रखी गईं हैं. समिति में कुल 26 सदस्य हैं.

नई दिल्ली : न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बनी समिति ने सोमवार को अपनी पहली बैठक में एमएसपी को 'अधिक प्रभावी और पारदर्शी' बनाने सहित अन्य मुद्दों पर गौर करने के लिए चार उप-समूहों का गठन किया है. इस बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) अनुपस्थित रहा. पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल की अध्यक्षता वाली समिति ने शून्य बजट आधारित खेती को बढ़ावा देने, देश की बदलती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए फसल पद्धति में बदलाव लाने और एमएसपी को और अधिक प्रभावी एवं पारदर्शी बनाने के तरीकों पर चर्चा की. समिति में अध्यक्ष सहित कुल 26 सदस्य हैं, जबकि एसकेएम के प्रतिनिधियों के लिए तीन स्थान रखे गए हैं.

समिति के सदस्य बिनोद आनंद ने बताया, 'एक दिन के विचार-विमर्श के बाद, समिति ने तीन अनिवार्य विषयों पर चार उप-समूह या समितियां बनाने का फैसला किया.' किसान समूह सीएनआरआई में महासचिव का प्रभार संभाल रहे आनंद ने कहा कि पहला समूह हिमालयी राज्यों के साथ-साथ फसल पद्धति और फसल विविधीकरण का अध्ययन करेगा और उन राज्यों में एमएसपी समर्थन कैसे सुनिश्चित किया जाएगा इस पर गौर करेगा.

सूक्ष्म सिंचाई पर बना दूसरा समूह - आईआईएम-अहमदाबाद के सुखपाल सिंह की अध्यक्षता में - सूक्ष्म सिंचाई को किसान केंद्रित बनाने के संबंध में अध्ययन करेगा. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में सूक्ष्म सिंचाई सरकारी सब्सिडी से संचालित होती है और समूह इस बात की जांच करेगा कि इसके लिए किसानों की मांग कैसे पैदा की जाए.

तीसरा समूह - राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (मैनेज) के एक प्रतिनिधि के नेतृत्व में - जैविक और प्राकृतिक खेती के तरीकों सहित शून्य बजट आधारित खेती के संबंध में अध्ययन करेगा और किसानों में इसके लिए सहमति बनाएगा.

चौथा समूह - भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के नेतृत्व में - हैदराबाद स्थित सेंट्रल रिसर्च इंस्टिट्यूट फॉर ड्राइलैंड एग्रीकल्चर (सीआरआईडीए) और नागपुर स्थित नेशनल ब्यूरो ऑफ़ सॉयल सर्वे एंड लैंड यूज़ प्लानिंग (एनबीएसएसएलयूपी) और एक और संस्थान के साथ देशभर में फसल विविधीकरण और फसल पद्धति का अध्ययन करेगा और एक पृष्ठभूमि रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा.

आनंद ने कहा, 'चारों समूह अलग-अलग बैठक करेंगे और समिति की अंतिम बैठक सितंबर के अंत में होगी.' उन्होंने कहा कि दिन भर चली बैठक में एसकेएम के प्रतिनिधि मौजूद नहीं थे. नीति आयोग के सदस्य रमेश भी अन्य व्यस्तताओं के कारण मौजूद नहीं थे.

एसकेएम ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध की अगुवाई की और सरकार को उन्हें निरस्त करने के लिए मजबूर किया जिसके बाद 18 जुलाई को इस समिति की स्थापना की गई थी. एसकेएम ने पहले ही इस समिति को खारिज कर दिया है और अपने प्रतिनिधियों को नामित नहीं करने का फैसला किया है. पिछले साल नवंबर में तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के एमएसपी के मुद्दे पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने का वादा किया था.

बैठक में भाग लेने वाले अन्य सदस्यों में भारतीय आर्थिक विकास संस्थान के कृषि-अर्थशास्त्री सीएससी शेखर, आईआईएम-अहमदाबाद के सुखपाल सिंह और कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) के वरिष्ठ सदस्य नवीन पी सिंह शामिल थे. बैठक में भाग लेने वाले किसान प्रतिनिधियों में राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता किसान भारत भूषण त्यागी के साथ-साथ गुणवंत पाटिल, कृष्णवीर चौधरी, प्रमोद कुमार चौधरी, गुनी प्रकाश और सैयद पाशा पटेल शामिल थे. इफको के चेयरमैन दिलीप संघानी भी बैठक में मौजूद थे. बैठक में कृषि विश्वविद्यालयों के वरिष्ठ सदस्य, केंद्र सरकार के सचिव और कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, सिक्किम और ओडिशा के मुख्य सचिव भी मौजूद थे.

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