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Price of US Predator Drones : राफेल के बाद अमेरिकी ड्रोन की कीमत पर उठे सवाल, जानें पूरा मामला

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Published : Jun 28, 2023, 5:05 PM IST

पहले राफेल, और अब अमेरिकी प्रीडेटर ड्रोन. कांग्रेस पार्टी ने इन पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने सामान्य से अधिक कीमत पर ड्रोन की खरीददारी की है. हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने इन आरोपों को गलत बताया है. रक्षा मंत्रालय ने बताया है कि सवाल उठाने के पीछे एक 'मानसिकता' है, और वे चाहते हैं कि यह सौदा ही रद्द हो जाए. समझिए पूरा मामला क्या है.

question on purchase of us drones
ड्रोन सौदे पर बवाल

नई दिल्ली : राफेल के बाद एक और रक्षा सौदे पर विवाद की शुरुआत हो गई है. कांग्रेस पार्टी ने इस सौदे पर गंभीर आरोप लगाए हैं. यह सौदा है अमेरिकी ड्रोन का. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान जिस प्रीडेटर ड्रोन को लेकर पूरे देश में चर्चा हो रही थी, जिसकी मदद से अलकायदा सरगना जैसे आतंकियों का खात्मा किया गया, उसी ड्रोन की खरीद पर कांग्रेस पार्टी ने सवाल उठाए हैं.

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि राफेल की खरीद में जो भी कुछ हुआ, वैसा ही अमेरिकी ड्रोन की खरीद में भी हो रहा है. खेड़ा के अनुसार भारत ओवरप्राइस्ड ड्रोन को खरीद कर रहा है. कांग्रेस ने कहा कि जिस ड्रोन को दूसरे देशों ने कम कीमत पर खरीदा है, हम उसी ड्रोन को 880 करोड़ रु. (प्रति ड्रोन) में खरीद रहे हैं. दोनों देशों के बीच पूरा सौदा तीन बिलियन डॉलर (करीब 25 हजार करोड़ रु.) का है. भारत कुल 31 ड्रोन खरीदेगा.

  • हमारे सवाल:

    - ड्रोन सौदे को मंजूरी देने के लिए Cabinet Committee on Security (CCS) की बैठक क्यों नहीं हुई?

    - भारत दूसरे देशों की तुलना में ड्रोन के लिए ज्यादा कीमत क्यों चुका रहा है?

    - जब वायुसेना को इन ड्रोन की आसमान छूती कीमतों पर आपत्ति थी, तो डील करने की इतनी जल्दी क्या… pic.twitter.com/DN2v0vSZZ4

    — Congress (@INCIndia) June 28, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

कांग्रेस ने इन मुद्दों पर पूछे हैं सवाल -

  • कभी इतना महंगा डिनर किया है, जिसमें देश को 25 हजार करोड़ देने पड़ जाएं!

    एक फिल्म बनी थी- "हम आपके हैं कौन", अब एक नई फिल्म बन रही है- "हम आपके हैं ड्रोन", जिसके हीरो हैं नरेंद्र मोदी।

    आखिर कौन हैं वो ड्रोनाचार्य, जो इस फिल्म का निर्देशन कर रहा है?

    : @Pawankhera जी pic.twitter.com/OUEyY8UHwi

    — Congress (@INCIndia) June 28, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
  • क्या सीसीएस की बैठक हुई थी ?
  • सेना ने मात्र 18 ड्रोन की मांग की थी ?
  • टेंडरिंग प्रक्रिया की शुरुआत क्यों नहीं हुई ?
  • ड्रोन की आपूर्ति अमेरिकी सरकार करेगी या फिर कोई निजी कंपनी ?
  • जनरल एटॉमिक्स से अमेरिका ने 56 मिलियन डॉलर प्रति यूनिट की दर पर खरीदे हैं, जबकि भारत उसी ड्रोन को 110 मिलियन डॉलर की दर से खरीद रहा है ?
  • डीआरडीओ खुद अत्याधुनिक ड्रोन विकसित कर रहा है. रूस्तम और तपस-बीएच बेहतरीन ड्रोन हैं, तो फिर उसे और अधिक बजट क्यों नहीं दिया गया ?

हालांकि, भारतीय रक्षा एजेंसी ने साफ कर दिया है कि दोनों देशों के बीच ड्रोन को लेकर जो भी समझौते हुए हैं, उनमें कीमत और खरीदारी की शर्तों को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है. एजेंसी के अनुसार सैद्धान्तिक समझौतों के बाद इन बिंदुओं पर अभी बातचीत जारी है. पीआईबी फैक्ट चेक ने टीएमसी नेता साकेत गोखले के उस दावे को गलत बताया जिसमें उन्होंने ड्रोन सौदे को गलत बताया था.

24 जून को टीएमसी प्रवक्ता साकेत गोखले ने दावा किया था कि अमेरिका और भारत के बीच ड्रोन को लेकर 3.1 बिलियन डॉलर का समझौता हुआ है. गोखले ने कहा कि यह ड्रोन जिस प्राइस पर खरीदी जा रही है, वह औसत से ज्यादा है. उनके अनुसार एक ड्रोन की लिस्ट प्राइस 56.5 मिलियन डॉलर है, लेकिन ग्रेट ब्रिटेन ने इसे महज 12.5 मिलियन डॉलर में खरीदा था. भाजपा सरकार पर हमला करते हुए गोखले ने इस सौदे की तुलना राफेल समझौते से की.

गोखले यहीं तक नहीं रूके. उन्होंने यह भी दावा किया था कि भारतीय सेना ने इस ड्रोन की मांग नहीं की थी. साथ ही सेना ने इतनी संख्या में भी ड्रोन की मांग नहीं की. गोखले के अनुसार अमेरिका के दबाव में भारत ने 31 ड्रोन को खरीदने पर सहमति जताई. अब इसी आरोप को कांग्रेस पार्टी भी दोहरा रही है.

साकेत गोखले ने यह भी लिखा है कि ऑस्ट्रेलिया ने ज्यादा कीमत होने की वजह से इस ड्रोन की खरीद रद्द कर दी थी.

  • Australia signed a deal to buy 12 MQ9B drones for $1.65.

    That's ~ $130 million per drone.

    BUT wait - this came with MANY EXTRA SYSTEMS that India is NOT GETTING for $ 110 million per drone.

    AND - Australia canceled this deal later for being TOO EXPENSIVE.

    Comparison 👇

    (4/5) pic.twitter.com/AL6XVtD7PS

    — Saket Gokhale (@SaketGokhale) June 24, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

वैसे, आपको बता दें कि रक्षा मंत्रालय ने इस सौदे के बाद बयान जारी कर कहा था कि प्राइस पर नेगोशिएशन जारी है. अमेरिका ने 3.072 बिलियन डॉलर का कोट किया है. लेकिन भारत ने इस राशि पर मुहर नहीं लगाई है. रक्षा मंत्रालय ने यह भी कहा था कि दुनिया के दूसरे देशों ने इसे जिस भी कीमत पर खरीदा है, उसको ध्यान में रखकर ही अंतिम फैसला किया जाएगा. इस स्पष्टीकरण के बावजूद साकेत गोखले ने रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट पर ही सवाल खड़े कर दिए.

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि ड्रोन सौदे को लेकर सोशल मीडिया पर भ्रामक खबरें चलाई जा रहीं हैं. मंत्रालय ने कहा कि जो कोई भी इस तरह की खबरें चला रहे हैं, उनका मोटिव कुछ और है. वे किसी भी तरीके से इस सौदे को पटरी से उतारना चाहते हैं.

रक्षा मंत्रालय ने कहा- हमने 15 जून को एक्सेप्टेंस ऑफ नेसेसिटी (एओएन) जारी किया था. डिफेंस एक्विजिशन काउंसल ने अमेरिकी सरकार द्वारा दी गई प्राइस 3072 मिलियन डॉलर को प्राप्त किया, लेकिन उसे अंतिम रूप से स्वीकार नहीं किया है. एक बार अमेरिकी सरकार नीतिगत रूप से इस पर अपनी सहमति प्रदान कर देगी, उसके बाद कीमत पर अंतिम निर्णय किया जाएगा.

प्राइस जनरल एटॉमिस्क्स ने कोट किया है. इस कंपनी ने जिस भी कीमत पर दूसरे देशों को ड्रोन मुहैया करवाई है, उसको ध्यान में रखा जाएगा. भारत, जनरल एटॉमिक्स से 31 ड्रोन खरीदेगा. यह दोनों सरकारों के बीच डील है. इनमें 16 स्काई गार्डियन और 15 सी गार्डियन वर्जन हैं. कुछ ड्रोन की असेंबलिंग भारत में भी होगी. कुछ ड्रोन पर हथियार भी लगे होंगे.

जनरल एटॉमिक्स एमक्यू 9 रीपर को प्रीडेटर बी के नाम से भी जाना जाता है. यह एक आरपीएएस सिस्टम से नियंत्रित होता है. इसका मतलब यह है कि यह हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस रिमोटली पायलेटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम है. शुरू में इसका प्रयोग खुफिया जानकारी जुटाने के लिए किया जाता था. बाद में इसका इस्तेमाल आतंकियों पर निशाना साधने के लिए किया जाने लगा. इस ड्रोन पर हथियार को फिट किया जा सकता है और इन हथियारों को रिमोट से संचालित किया जा सकता है. आपको बता दें कि भारतीय नौ सेना के पास पहले से ही इस तरह के दो ड्रोन उपलब्ध हैं. उसको लीज पर लिया गया था.

क्या कहा नेवी चीफ ने - यह ड्रोन समय की मांग है. ड्रोन 33 घंटे तक हवा में रह सकता है. इससे बेहतर सर्विलांस हो सकता है. नेवी के पास लीज पर इस तरह का ड्रोन है और हम इसका बेहतर इस्तेमाल कर रहे हैं. हमारे क्षेत्र में कौन-कौन ऑपरेट कर रहा है, कौन आ रहा है, क्या कर रहा है, इन सब पर हमारी बेहतर निगरानी हो सकती है. 2500 से 3000 नॉटिकल मील तक के क्षेत्र को इसकी मदद से आसानी से कवर किया जा सकता है.

क्या था राफेल विवाद - वाजपेयी सरकार ने वायु सेना की मांग पर विचार करने के बाद 126 राफेल विमान खरीदने पर विचार किया था. बाद में इस पर मनमोहन सिंह की सरकार ने आगे की प्रक्रिया शुरू की थी. 2007 में इस खरीद को मंजूरी प्रदान कर दी गई थी. हालांकि, इस मामले पर तेजी से प्रगति नहीं हो सकी. मोदी सरकार ने इस सौदे को अंजाम तक पहुंचाया. कांग्रेस ने इस सौदे की कीमत पर सवाल उठाए थे. मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने इस सौदे में कीमत को लेकर लगे सभी आरोपों को निराधार बताया.

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