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2023 की संभावनाओं पर बोले टीएस सिंहदेव, आरक्षण की स्थिति पर जाहिर की चिंता

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Published : Jan 10, 2023, 11:32 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री नेता टीएस सिंहदेव ने वर्ष 2023 की संभावनाओं पर ETV भारत से खास बातचीत की है. Health Minister TS Singhdeo said on 2023 prospects इस बातचीत में उन्होंने अपनी और सरकार की उपलब्धियों के गिनाने से अधिक जोर आने वाली समस्याओं और बचे हुये कार्यों पर दिया है. expressed concern over reservation उन्होंने देश के स्तर पर अर्थव्यवस्था और देश की सीमाओं की सुरक्षा और छत्तीसगढ़ में अटके आरक्षण बिल पर भी अपनी चिंता व्यक्त किया है.

Health Minister TS Singhdeo said on 2023 prospects
2023 पर टीएस सिंहदेव बोले

2023 की संभावनाओं पर टीएस सिंहदेव ने रखी अपनी बात

सरगुजा: छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने ETV भारत से खास बातचीत की है. Health Minister TS Singhdeo said on 2023 prospects उन्होंने साल 2023 की संभावनाओं, आने वाली समस्याओं और बचे हुये कार्यों को पूरा करने पर अधिक जोर दिया है. उन्होंने छत्तीसगढ़ में अटके आरक्षण बिल और अन्य समस्यायों पर भी चिंता जाहिर की है. सिंहदेव ने देश, प्रदेश और अपने संभाग के लिये भविष्य की चुनौतियों पर भी अपनी बात रखी.

"यूरोप-अमेरिका में रिसेशन का प्रभाव": स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने इस विशेष बातचीत में बताया "देश के स्तर पर अर्थ व्यवस्था अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है. देश की सीमाओं की सुरक्षा अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है. बेरोजगारी कहें या रोजगार की उपलब्धता, ये चिंता का विषय बनी हुई है और ये माना जा रहा है कि आने वाले समय में यूरोप और अमेरिका जैसे देशों में रिसेशन आ सकता है. चीन की भी स्थिति अच्छी नहीं है. इन परिस्थितियों में अगर वहां भारत से निर्यात होने वाली वस्तुओं की संख्या कम होगी, तो हमारा निर्यात कम होगा. हमारा निर्यात कम होगा, तो हमारी अर्थव्यवस्था पर सीधे उसके पैसे के रोटेशन की बाधा आने से विपरीत प्रभाव पड़ेगा."

"क्रय-विक्रय चक्र को सही करने की जरूरत": स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि "अगर सामग्री बिकेगी नहीं, तो सामग्री बनेगी नहीं और अगर सामग्री बनेगी नहीं, तो उसका असर रोजगार के ऊपर भी आयेगा. मनमोहन सिंह जी के समय में जब विदेशों में, यूरोप में, अमेरिका में ऐसी स्थिति बनी थी, तो देश के अंदर क्रय क्षमता को रोजगार गारंटी जैसी योजनाओं और अन्य माध्यमों से बढ़ाया गया था. जिससे लोगों के पास पैसे हों, ताकि वो चीजें खरीद सकें. इस चक्र के तरफ ध्यान देने की विशेष आवश्यकता पड़ेगी."

चीन पर नियंत्रण को बताया जरूरी: स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि "सीमा पर चीन के तेवर लगातार नकारात्मक हैं. जो भी पहल राष्ट्रीय स्तर पर अधिकारियों की, नेताओं की, रक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री के स्तर पर हो रही है, वो नाकाफी दिख रहा है. चीन और पाकिस्तान मिलकर जिस इकोनॉमिक रुट का निर्माण कर रहे हैं, वो हमारी सीमाओं के बेहद करीब से गुजरता है. विशेषज्ञ बताते हैं कि हम उस मार्ग के करीब 2-3 किलोमीटर की दूरी पर हैं और हम ऊंचे के स्थान पर हैं, स्ट्रेटजेकली हम मजबूती के स्थान पर हैं, उस स्थिति को संभालने की जरूरत पड़ेगी.''

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"रोजगार की वैकल्पिक व्यवस्था की जरूरत": स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि "रोजगार अर्थव्यवस्था से सीधे जुड़ा रहता है. इस पर विपरीत प्रभाव पड़ने की संभावना दिख रही है. इस साल के शुरुआत में भी हमने देखा की कई कंपनियां हैं, वो लोगों को काम से बैठा रहे हैं, तो इस ट्रेंड को रोककर वैकल्पिक रोजगार हमको उपलब्ध कराना पड़ेगा. रोजगार दुर्भाग्य से आम जनों की सोच में सरकारी नौकरी से बनता है. जबकि सरकारी नौकरी आबादी का 1 प्रतिशत होता है. सरकारी नौकरी हमेशा सीमित रहेगी. कोई भी सरकार आये, एक सीमा से ज्यादा सरकारी नौकरी दे ही नहीं सकती."

आरक्षण की स्थिति पर जाहिर की चिंता: स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि "आरक्षण छत्तीसगढ़ के लिये एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने रहेगा. सरकार ने एक नया बिल पारित किया है, जिसमें आरक्षण को 76 फीसदी किया है. ये अनहोनी बात नहीं है कि पहली बार छत्तीसगढ़ जागा और चांद सितारों से कुछ लाने ये कोशिश कर रहा है. तमिलनाडु में 68 फीसदी आरक्षण है और उसमें 10 फीसदी EWS को आप जोड़ देते हैं, तो 78 फीसदी आरक्षण हो जाता है. ये नहीं है कि छत्तीसगढ़ की सरकार कोई नया शिगूफा छोड़ रही है.''

स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने आगे कहा कि "जैसे तमिलनाडु में विशेष परिस्थिति है, जिसके कारण उन्होंने 50 फीसदी की सीमा को पार करके विशेष कानून बनाया. तो हमारे यहां भी विशेष परिस्थिति है कि यहां सेंसेस के आधार पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की संख्या 45 फीसदी है. ये 1-2 फीसदी सरकारी नौकरी के लिए मारामारी है, क्योंकि प्राइवेट सेक्टर में तो कोई आरक्षण की व्यवस्था है नहीं. फिर भी मुद्दा भावनात्मक हो जाता है."

"आरक्षण बिल रुकने से दोहरा नुकसान": स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि "ये एक चुनौती छत्तीसगढ़ के लिये होगी, क्योंकि सरकारी नौकरी जिनमें हमको भर्ती करना है और हमको सेवा देना है. शिक्षा की सेवा, स्वास्थ्य की सेवा, पुलिसिंग की सेवा अन्य विभागों की सेवा देना है. भर्ती नहीं हो पायेगी. इस झमेले के चलते तो दोहरा नुकसान होगा. सेवा नहीं मिलेगी, रोजगार नहीं मिलेगा, सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी."

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"स्थानीय बोली, छत्तीसगढ़ी, हिंदी और अंग्रेजी का मिश्रण जरूरी": स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि "दो सेवा के बड़े क्षेत्र माने जाते हैं शिक्षा और स्वास्थ्य. शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना, अंग्रेजी माध्यम के स्कूल को खोलने का सिलसिला शुरू हो गया है. स्वामी आत्मानंद जी के नाम से स्कूलों की श्रृंखला चालू हो रही है. घोषणा पत्र में भी हम लोगों ने इस बात को रखा था कि अंग्रेजी को हम लोगों को बढ़ाना होगा. अगर राज्य के बाहर भी काम करना है, तो मातृ भाषा हिंदी, छत्तीसगढ़िया, कुडुख बोली या बस्तर क्षेत्र की बोलियां हो, लोकल भाषा के साथ हिंदी अंग्रेजी का मिश्रण बहुत जरूरी है."

मानव संसाधन और कनेक्टिविटी है चुनौती: स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि "शिक्षा के क्षेत्र में मैनपावर बढ़ाने की जरूरत है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में इन्सफ्राटेक्चर काफी बढ़ा है. एचआर मानव संसाधन बढ़ाने की जरूरत है. स्वास्थ्य में बिल्डिंग बना लो, मशीन खरीद लो, दवाइयां खरीद लो, लेकिन इनको चलाने के लिये मानव संसाधन की जरूरत पड़ती है. ये एक चुनौती है.

स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि "कनेक्टिविटी भी चुनौती है. समुद्र मार्ग तो है नहीं, आपको मार्गों से होकर आना है. बस्तर और सरगुजा अंचल आज भी रेल कनेक्टिविटी से वंचित हैं. जितनी कनेक्टिविटी बड़े शहरों से होनी चाहिये, वो यहां नहीं है. एक ट्रेन सप्ताह में एक दिन यहां से दिल्ली चलेगी तो वो पर्याप्त नहीं है. ये रेगुलर हमको चाहिये. यहां एयरपोर्ट बन रहा है, नया एयर स्ट्रीप करीब 1800 मीटर का नया एयर स्ट्रीप बन जाएगा, तो 72 सीटर एटीआर यहां उतर सकेगी."

फूड प्रोडक्शन युनिट और कोल्ड चैन की बताई जरूरत: स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि "कृषि उपज को स्थायी रूप से बेहतर दाम मिल सके, उसके लिये उत्पाद करने की इकाइयां भी स्थापित करनी होगी. कृषि बेस्ड प्रोडक्शन यूनिट तो वो काम सोचा गया है, लेकिन जितना जल्दी उसको पूरा करेंगे, वो बेहतर होगा. क्योंकि हमने मक्का लगाया, उसको बेचेंगे किसको? बाहर ले जाएंगे, दाम कम होगा. फिर खेत से लेकर उपभोक्ता तक ले जाने में बहुत से अनाज खराब हो जाते हैं, उसको रखने की कोल्ड चेन व्यवस्था नहीं है."

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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