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जीपी सिंह मामले पर बोले डॉ रमन, कार्रवाई की प्रमाणिकता दे सरकार

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Published : Jul 10, 2021, 11:12 PM IST

Suspended IPS officer GP Singh case
निलंबित आईपीएस अफसर जीपी सिंह मामला

IPS जीपी सिंह (ips gp singh) के खिलाफ ACB कार्रवाई पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने बघेल सरकार से प्रमाण मांगा है. उन्होंने कहा है कि, सरकार मामले की प्रामाणिकता पेश करे. इस केस की सच्चाई कोर्ट में सामने आ जाएगी.

राजनांदगांव: निलंबित आईपीएस अफसर जीपी सिंह (ips gp singh) मामले पर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने कहा कि राज्य सरकार मामले की प्रामाणिकता पेश करे. इस केस की सच्चाई कोर्ट में सामने आ जाएगी. सरकार ने आईपीएस अफसर जीपी सिंह के खिलाफ राजद्रोह और अन्य मामलों में एफआईआर दर्ज किया है. अब पूरा मामला न्यायालय में प्रस्तुत हुआ है तो अंत में सारी बातें सामने आएगी कि उनके ऊपर लगाए गए राजद्रोह या अन्य मामलों में कितनी सच्चाई है. उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने कार्रवाई की है तो उसकी प्रमाणिकता भी सरकार को देनी चाहिए. बता दें कि निलंबित आईपीएस अफसर जीपी सिंह के मामले में राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय में कैविएट दाखिल की है. वहीं राजद्रोह का केस दर्ज होने के बाद निलंबित अधिकारी ने हाइकोर्ट की शरण ली है और याचिका दायर की है.

डॉ. रमन सिंह, पूर्व सीएम

68 घंटे चली जीपी सिंह के ठिकानों पर छापेमार कार्रवाई

आपको बता दें कि 1 जुलाई को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की टीम ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह के कई ठिकानों पर छापा मारा था. एसीबी को जीपी सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत मिली थी. शिकायत के बाद सिंह के सरकारी आवास समेत लगभग 10 ठिकानों पर छापे की कार्रवाई शुरू की गई. 68 घंटे चले मैराथन छापेमार कार्रवाई में एसीबी को जीपी सिंह के खिलाफ 10 करोड़ से अधिक की बेनामी संपत्ति के दस्तावेज मिले. इसके साथ ही छापेमारी में ऐसी चिठ्ठियां मिली हैं, जिसमें सरकार के खिलाफ साजिश का खुलासा हुआ है. चिठ्ठियों में किस तरह की साजिश रची गई थी, फिलहाल इसका खुलासा नहीं किया गया है. लेकिन यह जरूर बताया गया है कि निलंबित IPS सरकार के खिलाफ षड्यंत्र रच रहे थे. जिसकी वजह से उन उन पर राजद्रोह का प्रकरण दर्ज किया गया है. छत्तीसगढ़ में पहली बार किसी सीनियर IPS के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है.

सरकार पर फंसाने का गंभीर आरोप

चर्चित सीनियर आईपीएस जीपी सिंह (IPS GP Singh) ने अपने ऊपर हो रही कार्रवाई को लेकर हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर (writ petition filed) कर दी है. 90 पन्नों की इस याचिका में जीपी सिंह ने पूरे मामले में स्वतंत्र एजेंसी सीबीआई (independent agency CBI) से जांच कराए जाने की मांग की है. उन्होंने सरकार पर उन्हें फंसाने का गंभीर आरोप भी लगाया है. जीपी सिंह ने याचिका में अंतरिम राहत के तौर पर किसी स्वतंत्र एजेंसी से मामले की जांच शुरू नहीं होने तक राज्य के पुलिस की जांच पर रोक लगाने की मांग की है. हाईकोर्ट के सीनियर वकील किशोर भादुड़ी के जरिए यह याचिका दायर की गई है. रोस्टर के अनुसार हाईकोर्ट जज जस्टिस व्यास (High Court Judge Justice Vyas) की सिंगल बेंच इस मामले पर सुनवाई कर सकती है.

लगातार मिल रही थी शिकायत

जीपी सिंह के खिलाफ आर्थिक अपराध ब्यूरो के कार्यकाल के दौरान डरा-धमकाकर अवैध वसूली के जरिए आय से अधिक संपत्ति रखने की शिकायत मिल रही थी. जिसके आधार पर जांच शुरू की गई. 10 करोड़ से ज्यादा के अवैध लेनदेन का खुलासा हुआ है. रायपुर, भिलाई, राजनांदगांव और ओडिशा राज्य में बेनामी संपत्तियां अर्जित करने की पुष्टि हुई है.जांच के दौरान इस बात के पुख्ता प्रमाण मिले थे कि जीपी सिंह ने अलग-अलग जगहों पर करोड़ों की अनुपातहीन अवैध संपति अर्जित की है. उन्होंने कई बड़े लेन-देन किए हैं. शेल कंपनियों में निवेश करके मनी लॉन्ड्रिंग का प्रयास भी किया है. जीपी सिंह पर एंटी करप्शन ब्यूरो (Anti Corruption Bureau, ACB) और इकॉनॉमिक ऑफेंस विंग (Economic Offenses Wing, EoW) ने शिकंजा कसा है.

1994 बैच के IPS ऑफिसर हैं जीपी सिंह

छापे के बाद उन्हें राज्य सरकार ने पद से निलंबित कर दिया था. वहीं बाद में उनके ऊपर राजद्रोह का मामला भी दर्ज कर दिया गया. राजद्रोह का मामला दर्ज होने के बाद से ही जीपी सिंह फरार चल रहे हैं. इसी बीच अब आईपीएस जीपी सिंह ने अब हाईकोर्ट की शरण ली है. रिट याचिका दायर करते हुए आईपीएस ने पूरे मामले में स्वतंत्र एजेंसी सीबीआई से जांच कराए जाने की मांग की है. मामले की जांच शुरू नहीं होने तक राज्य के पुलिस की जांच पर भी रोक लगाने की मांग की है. एडीजी जीपी सिंह, भारतीय पुलिस सेवा के 1994 बैच के अधिकारी हैं. वर्तमान में वह राज्य पुलिस अकादमी के निदेशक हैं. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सिंह एसीबी (ACB)के प्रमुख भी रहे थे. राज्य सरकार ने उन्हें पिछले वर्ष जून माह में हटा दिया था.

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