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Significance of Monthly Shivratri : मासिक शिवरात्रि कर देगा जीवन के कष्टों को दूर, ऐसे करें भोलेबाबा की पूजा

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Published : Jun 14, 2023, 7:53 PM IST

मासिक शिवरात्रि को मास शिवरात्रि या "संकष्टी चतुर्थी" के रूप में जाना जाता है. यह चंद्र मास के घटते चरण के 14वें दिन पड़ता है.जो अमावस्या से पहले की रात होती है. हर महीने मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने वाले भक्त सुबह से रात तक व्रत रखते हैं, अनुष्ठान करते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं.

Significance of Monthly Shivratri
मासिक शिवरात्रि कर देगा जीवन के कष्टों को दूर

मासिक शिवरात्रि कर देगा जीवन के कष्टों को दूर

रायपुर : मासिक शिवरात्रि भक्ति और भगवान शिव से आशीर्वाद लेने का दिन है. हालांकि यह महा शिवरात्रि के रूप में व्यापक रूप से नहीं मनाया जाता है, कुछ भक्त नियमित आध्यात्मिक आस्था बनाए रखने और भगवान शिव के साथ अपने संबंध को गहरा करने के तरीके के रूप में मासिक शिवरात्रि का पालन करते हैं. मासिक शिवरात्रि का पालन अलग-अलग क्षेत्रों और व्यक्तियों के बीच अलग-अलग हो सकता है.कुछ भक्त इसे विस्तृत अनुष्ठानों और उपवास के साथ मनाते हैं, जबकि कुछ सरल अनुष्ठान या प्रार्थना करते हैं.



मासिक शिवरात्रि में किन मंत्रों का करें जाप : पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "मास शिवरात्रि के दिन पंचाक्षरी मंत्र, ओम नमः शिवाय, लिंगाष्टकम, रुद्राष्टकम, शिव तांडव, शिव चालीसा, और शिव नमस्कार मंत्र का जाप करना चाहिए. इसके अलावा हनुमान चालीसा का भी पाठ करना चाहिए. इस शुभ दिन भगवान शिव का अभिषेक करते समय शिव गायत्री मंत्र का पाठ करना सर्वोत्तम माना गया है. इसके साथ ही माता गायत्री को भी गायत्री मंत्र के द्वारा जाप करना चाहिए. इससे भी रुद्र की कृपा प्राप्त होती है.''


व्रत दांपत्य जीवन की कठिनाईयों को करता है दूर : ऐसे परिवार जहां अलगाव की स्थिति बन रही है, जिन पति पत्नियों में संबंधों में खटास आ गई हो. ऐसे दांपत्य जीवन को भी मास शिवरात्रि का व्रत पूरी निष्ठा और श्रद्धा भाव से करना चाहिए. महाशिवरात्रि का व्रत माता पार्वती भगवान भोलेनाथ के लिए किया जाता है. ऐसी मान्यता है की इस दिन भगवान भोलेनाथ का विवाह माता पार्वती के साथ हुआ था. इसलिए गौरीशंकर जैसे ही दांपत्य जीवन की इच्छा रखने वाले जातकों को, अखंड श्रद्धा और अनंत विश्वास के साथ आषाढ़ कृष्ण पक्ष के मास शिवरात्रि का पालन और पारण पूरी श्रद्धा से करना चाहिए.

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विध्नहर्ता होते हैं प्रसन्न : विघ्नहर्ता गणेश भगवान के पिता अनादि शंकर महाराज मासशिवरात्रि के व्रत से अत्यंत प्रसन्न होते हैं. इस दिन विशेष कर ऐसी युवतियां जिनकी उम्र अधिक हो गई हो और विवाह में बहुत सारी बाधाएं आ रही हो. उन्हें माता पार्वती और भगवान शंकर के सामने व्रत करना चाहिए. माता पार्वती और शंकर को रोली, कुमकुम, चंदन, सिंदूर, गुलाल, अबीर, परिमल और सभी तरह के आध्यात्मिक पूजन सामग्री के साथ अभिषेक करना चाहिए.

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