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Nag Panchami 2022: इसलिए खास है नागपंचमी, जानिए पौराणिक कथा और इसका महत्‍व

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Published : Jul 15, 2022, 2:30 PM IST

नागपंचमी के दिन नागदेवता की पूजा करने से कालसर्पदोष सहित कई दोषों से मुक्ति मिलती है. इस दिन विशेष पूजा से काफी लाभ मिलता (Significance and story of Nagpanchami) है.

Nag Panchami 2022
नागपंचमी 2022

रायपुर: सावन के कृष्ण पक्ष और शुक्‍ल पक्ष की पंचमी के द‍िन नागपंचमी मनाया जाता है. इस बार नागपंचमी 2 अगस्त को मनाई जाएगी. इस दिन घर में गोबर से नाग बनाकर नाग देवता की पूजा की जाती है. माना जाता है कि इससे सर्पदंश का भय दूर होता है. इस दिन नाग देवता का दर्शन बेहद ही शुभ माना जाता (Significance and story of Nagpanchami) है.

नाग देवता की पूजा से प्रसन्न होते हैं शिव: हिंदू धर्म में सावन का महीना बेहद खास माना गया है. इस महीने में भगवान शंकर की पूजा का विधान है. इस महीने में नाग पंचमी का पावन त्योहार भी मनाया जाता है. भगवान शिव को नाग अतिप्रिय है. ऐसे में शिवभक्त इस त्योहार को बेहद धूमधाम के साथ मनाते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. मान्यता है कि नाग देवता की पूजा करने से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं.

नागपंचमी का मुहुर्त: इस साल 2 अगस्त को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार 2 अगस्त को सुबह 5 बजकर 14 मिनट से पंचमी तिथि प्रारंभ होगी, जो कि 3 अगस्त को सुबह 5 बजकर 42 मिनट तक रहेगी. नाग पंचमी मुहूर्त की अवधि 3 घंटे 41 मिनट तक रहेगी. नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से कालसर्प दोषों से मुक्ति मिल जाती है. नाग देवता की पूजा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आने की मान्यता है.

नाग देवता पूजा विधि: सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें. स्नान के पश्चात घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. इस पावन दिन शिवलिंग पर जल जरूर अर्पित करें. नाग देवता का अभिषेक करें.नाग देवता को दूध का भोग लगाएं. भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश को भी भोग लगाएं. नाग देवता की आरती करें. अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी करें.

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नाग पंचमी कथा: एक राजा के सात पुत्र थे, सभी का विवाह हो चुका था. उनमें से छ: पुत्रों के यहां संतान भी जन्म ले चुकी थी, परन्तु सबसे छोटे की संतान प्राप्ति की इच्छा अभी पूरी नहीं हुई थी. संतानहीन होने के कारण उन दोनों को घर-समाज में तानों का सामना करना पडता था. समाज की बातों से उसकी पत्नी परेशान हो जाती थी. परन्तु पति यही कहकर समझाता था कि संतान होना या न होना तो भाग्य के अधीन है. इसी प्रकार उनकी जिन्दगी के दिन किसी तरह से संतान की प्रतिक्षा करते हुए गुजर रहे थे. एक दिन श्रवण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी. इस तिथि से पूर्व कि रात्रि में उसे रात में स्वप्न में पांच नाग दिखाई दिये. उनमें से एक ने कहा की अरी पुत्री, कल नागपंचमी है, इस दिन तू अगर पूजन करें, तो तुझे संतान की प्राप्ति हो सकती है. प्रात: उसने यह स्वप्न अपने पति को सुनाया, पति ने कहा कि जैसे स्वप्न में देखा है, उसी के अनुसार नागों का पूजन कर देना. उसने उस दिन व्रत कर नागों का पूजन किया, और समय आने पर उसे संतान सुख की प्राप्ति हुई.

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