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North East Girls Learning Classical Music: नार्थ ईस्ट की छात्राओं को भाया छत्तीसगढ़, सीख रही संस्कृत और हिंदी में भजन, कर रहीं गेड़ी की सवारी !

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Published : Jul 23, 2023, 10:06 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 12:56 AM IST

North East Girls Learning Classical Music: रायपुर में नार्थ ईस्ट की लड़कियां शास्त्रीय संगीत सीख रही है. भले ही इनकी हिन्दी टूटी-फूटी हो लेकिन ये हिन्दी गीत और भजन काफी अच्छे से गा रही है. यहां रहने वाली बच्चियों को निःशुल्क शिक्षा दी जाती है.

North East Girls Learning Classical Music
नार्थ ईस्ट की लड़कियां सीख रही शास्त्रीय संगीत

नार्थ ईस्ट की छात्राओं को भाया छत्तीसगढ़

रायपुर: रायपुर के रोहिणीपुरम स्थित वनवासी शबरी कन्या आश्रम में नार्थ ईस्ट की लड़कियां शास्त्रीय संगीत सीख रही है. साथ ही यहां की लड़कियों को हिन्दू सभ्यता और रीति रिवाज की शिक्षा दी जा रही है. इतना ही नहीं ये लड़कियां गेड़ी चलाना भी सीख रही हैं. यहां मौजूद कुछ लड़कियां छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों से भी है.

बच्चियों को दी जा रही निःशुल्क शिक्षा: साल 1984 में ये आश्रम बना था. आश्रम में असम, मिजोरम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मोरीगांव जैसे कई क्षेत्र से लड़कियां आती है. वर्तमान में इस आश्रम में 37 लड़कियां हैं, जिसमें से 32 लड़कियां नॉर्थ ईस्ट की है. बाकी बची लड़कियां छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों से हैं. यहां बच्चियों को निःशुल्क शिक्षा दी जा रही है. साथ ही इन्हें मुफ्त में भोजन भी कराया जाता है.

धर्म का कराया जा रहा ज्ञान : दरअसल, इन दिनों नॉर्थ ईस्ट में काफी तेजी से धर्मांतरण हो रहा है. ऐसे मामलों में कमी को लेकर यहां की लड़कियों को धर्म से जोड़ने का काम किया जा रहा है. साथ ही इन्हें हिन्दू रीति रिवाजों के साथ-साथ संस्कृति की शिक्षा दी जा रही है. धर्मांतरण के डर से लोग बच्चों को बाहर नहीं भेजते हैं. ऐसे में ये आश्रम लोगों की मदद करता है. यहां लोग इसलिए भी बच्चों को भेजते हैं ताकि वे हिन्दू संस्कृति से जुड़े.

मैं 8 लड़कियों को लेकर रायपुर आई. तब चौबे कॉलोनी में यह आश्रम किराए के मकान में संचालित था. साल 1989 में हमें यह जगह मिली और यह छात्रावास बनाया गया. 70 बच्चियां यहां पर थी, जिसमें से काफी लड़कियों ने एमएससी, एमकॉम, बीए की शिक्षा ग्रहण की. यहां से वापस नॉर्थईस्ट गई. वहां जाकर नौकरी कर रही है. -माधवी जोशी, आश्रम की हेड

इस तरह की दी जाती है शिक्षा: यहां बच्चियों को भजन-कीर्तन, संस्कृत की शिक्षा, धनुर्विद्या, संगीत की शिक्षा जैसी कई शिक्षाएं दी जाती है. ये सभी लड़कियां ठंडे इलाके से आती हैं. इसीलिए छत्तीसगढ़ के वातावरण में इन्हें ढलने में काफी समय लगता है. संस्था के कर्मचारी संस्था को काफी साफ-सुथरा रखते हैं. ताकि छात्राओं को कोई परेशानी ना हो और वह आसानी से इस माहौल में ढल सके. यहां पढ़ने वाली कई लड़कियां डॉक्टर, टीचर और नायब तहसीलदार बन चुकी हैं.

शुरुआत में हमें घर की बहुत ज्यादा याद आती थी. लेकिन हमारे लिए हमारा एजुकेशन भी बहुत जरूरी था. अब हमें यहां की आदत हो चुकी है.यहां हम काफी कुछ सीख रहे हैं. हमे बांस पर चलना (गेड़ी चलाना) अच्छा लगता है. -आश्रम में रहने वाली बच्ची

हिन्दी में गाती है गीत और भजन: इस आश्रम को चलाने में सरकार की ओर से कोई मदद मुहैया नहीं कराई गई है. ये आश्रम दानदाताओं के सहारे चल रहा है. बता दें कि यहां रहने वाली नॉर्थ ईस्ट की लड़कियां भले ही टूटी-फूटी हिन्दी बोल रही हो लेकिन ये हिंदी में गीत, आरती काफी अच्छे से गाती हैं. साथ ही ये लड़कियां छत्तीसगढ़ी खेल गेड़ी चलाना भी सीख गई हैं.

Last Updated :Jul 25, 2023, 12:56 AM IST
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