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रायपुर कलेक्टर की अनोखी पहल, स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य समस्याओं का होगा निदान

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Published : Jul 8, 2022, 2:24 PM IST

रायपुर कलेक्टर ने स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर अनोखी पहल शुरू की है. अब बच्चे के जन्म के पहले ही बीमारियों की पहचान हो सकेगी. गर्भवती महिलाओं को पहली तिमाही में सोनोग्राभी अनिवार्य कर दिया गया है, ताकि गर्भ में पल रहे शिशु की समस्या का समय से निदान हो (Sarveshwar Bhure Unique initiative For Health problems of children ) सके.

Raipur district collector
रायपुर कलेक्टर

रायपुर: रायपुर जिले के नव नियुक्त कलेक्टर सर्वेश्वर भुरे लगातार अलग-अलग विभागों की बैठक कर रहे हैं. इसी कड़ी में गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ उन्होंने बैठक ली. कलेक्टर भुरे ने स्वास्थ्य विभाग के कामकाज की समीक्षा करते हुए जिले की सभी गर्भवती महिला की गर्भावस्था के पहले तीन महीनों में अनिवार्य रूप से सोनोग्राफी करने के निर्देश दिए. बैठक में कलेक्टर ने कहा कि ऐसा करने से गर्भावस्था में ही गर्भस्थ शिशु में किसी बड़ी बीमारी या किसी शारिरिक विकृति का समय रहते पता लग जाएगा. उसका यथासंभव समय पर उपचार हो (Sarveshwar Bhure Unique initiative For Health problems of children) सकेगा.

गर्भवती महिलाओं को पहली तिमाही में सोनोग्राफी अनिवार्य: कलेक्टर भुरे ने जिले के ग्रामीण और शहरी दोनो क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं को पहली तिमाही में सोनोग्राफी के लिए अस्पताल तक लाने की जिम्मेदारी सभी ब्लॉक चिकित्सा अधिकारियों को सौंपी. इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ-साथ स्थानीय मितानिनों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की भी मदद ली जाएगी. बैठक में कलेक्टर ने कहा कि पहली तिमाही में गर्भवती महिला की सोनोग्राफी कराने की छोटी सी पहल से स्वस्थ्य शिशु के जन्म के साथ-साथ बाद में बीमार बच्चे के ईलाज में होने वाले खर्चे और माता-पिता को कई प्रकार की परेशानियों से बचाया जा सकता है.

बच्चों में देखने-सुनने की समस्या के लिए अभियान: बैठक में कलेक्टर ने स्कूली बच्चों में विजन और हियरिंग डिसएबिलिटी की पहचान के लिए अभियान चलाने के निर्देश चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को दिया. कलेक्टर ने अधिकारियों से कहा कि स्कूली विद्यार्थियों में देखने और सुनने की परेशानी जल्द पहचान में नहीं आती है. बाद में बच्चों के बड़े हो जाने पर ऐसी समस्याओं का उपचार भी कठिन हो जाता है. देखने-सुनने में विकृति वाले बच्चों का मानसिक विकास प्रभावित होता है. साथ ही समय पर पहचान न होने से उनके इलाज में भी बड़ी परेशानी होती है. बाद में काफी पैसा भी खर्च होता है. इस अभियान में स्कूल शिक्षा विभाग के समन्वय से स्कूली बच्चों की आंखों और कानों की विशेष रूप से जांच की जाएगी. आंखो में कम दिखने की विकृति वाले बच्चों को जिला प्रशासन द्वारा उपयुक्त नंबर के चश्में भी निःशुल्क दिए जाएंगे. इसी प्रकार कान की विकृति पर बच्चों को सही ढंग से सुनने के लिए उपयुक्त मशीन आदि भी दी जाएगी.

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सभी स्वास्थ्य कर्मियों को रहना होगा मुख्यालय में: बैठक में कलेक्टर ने लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं समय पर उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों का मुख्यालय में रहना जरूरी बताया है. उन्होंने स्वास्थ्य केन्द्रों में पदस्थ डॉक्टरों, ए.एन.एम, नर्सो और स्वास्थ्य कार्यक्रताओं को निर्धारित मुख्यालय में रहने के निर्देश दिए हैं. कलेक्टर ने जिले के स्वास्थ्य केन्द्रों में स्वीकृत और शुरू हो चुके अधोसंरचना निर्माण के सभी कामों को समय-सीमा निर्धारित कर गुणवत्तापूर्वक पूरा करने के निर्देश बैठक में दिए. भुरे ने स्वास्थ्य केन्द्रों में ए.एन.एम, नर्सो और स्वास्थ्य कार्यक्रताओं के खाली पड़े पदों पर भी तेजी से प्रक्रिया कर भर्ती पूरी करने के निर्देश दिए.

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