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छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले प्रशासनिक सर्जरी पर सियासत तेज

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Published : Apr 28, 2022, 11:14 PM IST

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से पहले भारी संख्या में आईएएस-आईपीएस का तबादला किया जा रहा है. जिसे लेकर प्रदेश में सियासी बयानबाजी शुरू हो चुकी है. कांग्रेस इसे "प्रशासनिक कसावट मान रही है". तो बीजेपी ने बघेल सरकार पर आरोप लगाया है कि "कांग्रेस द्वारा कराए गए सर्वे से पार्टी खुद घबराई हुई है उसी के कारण ये तबादले किए जा रहे हैं"

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अफसरों के तबादले पर सियासत

रायपुर: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से करीब डेढ़ साल पहले सीएम अब जमीनी स्तर पर खुद हर विधानसभा का दौरा करने वाले हैं. 4 मई से सीएम बघेल का विधानसभावार दौरा शुरू होगा. इस दौरे में सीएम कांग्रेस सरकार के कामकाज का फीडबैक जनता से खुद लेंगे. इस बीच राज्य सरकार बड़े पैमाने पर छत्तीसगढ़ में आईएएस और आईपीएस अधिकारियों का ट्रांसफर कर रही है. जिले लेकर प्रदेश में सियासी बयानबाजी भी शुरू हो गई है.

प्रशासनिक अफसरों के तबादले पर सियासत

बता दें कि 14 अप्रैल को 6 आईएएस अफसरों का तबादला किया गया था. वहीं, 25 अप्रैल को भी 17 आईएएस अफसरों का तबादला किया गया. इस दौरान 2 जिलों के कलेक्टर भी बदले गए थे. 25 अप्रैल को 18 आईपीएस अधिकारियों के भी तबादले किए गए. इतना ही नहीं प्रदेश में लगभग 318 थाना प्रभारियों का भी तबादला किया गया. मार्च में भी 3 आईपीएस का तबादला किया गया था.

सियासत में नई सुगबुगाहट शुरू: लगभग 1 महीने में हुए इन तबादलों के बाद छत्तीसगढ़ की सियासत में एक नई सुगबुगाहट शुरू हो गई है. कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार प्रशासनिक अमले पर कसावट लाने के लिए एक के बाद एक आईएएस और आईपीएस के तबादले कर रही है. यह बात भी सामने आ रही है कि विधानसभा चुनाव 2023 नजदीक आ रहा है और उस चुनाव को साधने के लिए अभी से ही कांग्रेस तैयारियों में जुट चुकी है.सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस ने एक आंतरिक सर्वे करवाया है. उस सर्वे के मुताबिक कई जगहों पर कांग्रेस वर्तमान परिस्थिति में कमजोर स्थिति में नजर आ रही है. उसकी मुख्य वजह है प्रशासनिक कामों में हो रही देरी या फिर लापरवाही. इन्हीं बातों को देखते हुए पिछले कुछ दिनों में हुए तबादले को देखा जा रहा है.

प्रशासनिक कसावट है जरूरी: दरअसल, कांग्रेस खुद भी मानती है कि प्रशासनिक कसावट बहुत जरूरी है. कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि "प्रशासनिक कसावट से ही शासकीय योजनाओं का क्रियान्वयन सही तरीके से होगा. उसका लाभ लोगों को मिल सकेगा. यदि शासकीय योजनाओं का लाभ लोगों को मिला, तो सीधे तौर पर इसका फायदा आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिलेगा". सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि "मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पहले ही स्पष्ट कर दिया गया था कि जो अधिकारी काम नहीं करेंगे, उन्हें बदला जाएगा. समय-समय पर प्रशासनिक कसावट लाने के लिए यह तबादले किए जाते हैं. इसमें कुछ नए लोगों को अवसर दिया जाता है और जो काम नहीं करते हैं उन्हें हटाया जाता है. वर्तमान में किए जा रहे तबादले को भी इसी कड़ी से जोड़ कर देखा जा रहा है"

भाजपा ने कसा तंज: भाजपा नेता गौरीशंकर श्रीवास कहना है कि "कांग्रेस द्वारा कराए गए सर्वे से पार्टी घबराई हुई है उसी के कारण ये तबादले किए जा रहे हैं. भाजपा का आरोप है कि इन साढ़े 3 साल में प्रदेश का विकास नहीं हुआ है, जिस वजह से अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को खुद लोगों के बीच जाकर उनका फीडबैक लेना पड़ रहा है. यह राज्य सरकार के लिए खतरे की घंटी है. गौरीशंकर ने कहा कि जब प्रदेश के मुखिया खुद यह कह रहे हैं कि विधायकों का प्रदर्शन सही नहीं है, अधिकारियों को काम में कसावट लाने की जरूरत है. इससे साफ जाहिर है कि प्रदेश में संतोषजनक काम नहीं हो रहा है".

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तीन श्रेणी में देखा जा रहा तबादला: इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी का कहना है कि "वर्तमान में किए जा रहे तबादलों को तीन श्रेणी में देखा जा सकता है. पहला प्रशासनिक कसावट लाने के लिए, दूसरा पदोन्नति पाने और नए जिलों के विस्तार के लिए, और तीसरा सीएम बघेल के द्वारा विधानसभावार जो दौरा किया जाएगा..उसके पहले किस तरह की स्थिति है"? उसका फीडबैक लेने के लिए तबादला किया गया है. जिससे यह पता चल सके कि किन जिलों में काम हो रहा है, किनमें नहीं. कहां काम करने की जरूरत है? इन सभी चीजों को देखते हुए पिछले कुछ दिनों में भारी संख्या में तबादले किए गए हैं.

हर पहलू पर मॉनिटरिंग कर रहे सीएम बघेल: रामअवतार तिवारी ने कहा कि "आज के समय में सभी राजनीतिक दल अपनी स्थिति के आंकलन के लिए सर्वे कराती है. उस सर्वे रिपोर्ट के आधार पर आगे की गतिविधियां संचालित करती हैं. इसी तरह का सर्वे भाजपा और कांग्रेस दोनों के द्वारा करवाया गया है. उन रिपोर्टों के आधार पर यह राजनीतिक दल अपनी आगे की गतिविधियां संचालित करती है. सरकार ने अपने सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए भारी पैमाने पर आईएएस और आईपीएस के तबादले किए हैं. आने वाले चुनाव को देखते हुए सरकार जमीनी स्तर पर आज के वक्त में खुद की स्थिति को भांपना चाहती है. ताकि जो भी कमियां रह गई है उन्हें चुनाव से पहले दुरुस्त किया जा सके. फिर चाहे किसी दागी अफसर का विभाग बदलना हो या फिर किसी जनप्रतिनिधि के प्रति मिली शिकायत को जांचना. खुद सीएम भूपेश चुनाव से पहले हर एक पहलू की मॉनिटरिंग खुद कर रहे हैं. इसी के तहत इन सारे तबादलों को देखा जा रहा है".

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