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छत्तीसगढ़ की इन दो सीटों पर नोटा पड़ा भारी, जीते सांसदों के मार्जिन से भी है ज्यादा

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Published : May 27, 2019, 10:13 PM IST

Updated : May 27, 2019, 10:35 PM IST

छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में 2 लोकसभा सीटों पर नोटा का इफेक्ट जबरदस्त है. इन सीटों पर जीते हुए प्रत्याशी के वोटों के अंतर से भी कहीं ज्यादा वोट नोटा पर पड़े हैं.

कॉन्सेप्ट इमेज

रायपुर : लोकसभा चुनाव में देशभर में यूं तो तमाम फैक्टर पर काम किया गया है. वहीं कई तरह के जातिगत, राजनीति और राष्ट्रवाद जैसे समीकरणों को लोकसभा चुनाव के नतीजों से जोड़कर देखा गया है, लेकिन छत्तीसगढ़ में नोटा (नॉट फॉर द एबोव) एक बार फिर अहम फैक्टर बनकर सामने आया है. छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में 2 लोकसभा सीटों पर नोटा का इफेक्ट जबरदस्त है. इन सीटों पर जीते हुए प्रत्याशी के वोटों के अंतर से भी कहीं ज्यादा वोट नोटा पर पड़े हैं.

नोटा का इमेपक्ट

बस्तर की दो लोकसभा सीटों पर गौर करें, तो बस्तर के नवनिर्वाचित सांसद दीपक बैज भाजपा के बैदूराम कश्यप को 38 हजार 982 मतों से हराकर सांसद बने हैं. वहीं यहां नोटा पर 41 हजार 687 मत मिले हैं. सबसे हैरान करने वाला आंकड़ा बस्तर के कांकेर लोकसभा का है. यहां भाजपा के मोहन मंडावी 6 हजार 914 वोट से कांग्रेस के बीरेश ठाकुर को हराकर सांसद बने हैं. जीत के अंतर से तीन गुना से भी ज्यादा तक यानी 26 हजार 713 वोट नोटा पर पड़े हैं.

बस्तर की जनता ने सबसे ज्यादा दबाया नोटा
निर्वाचन आयोग से मिली जानकारा के मुताबिक लोकसभा चुनावों में सबसे ज्यादा बस्तर की जनता ने नोटा का बटन दबाकर अपने उम्मीदवारों को खारिज किया है. छत्तीसगढ़ के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, 'राज्य में 1.96 लाख से अधिक मतदाताओं ने नोटा पर मतदान किया है'. अधिकारियों ने बताया कि राज्य के '1,36,22,725 मतदाताओं ने इस लोकसभा चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग किया है. इनमें से 1,96,265 मतदाताओं ने किसी भी प्रत्याशी को न चुनते हुए नोटा पर मत दिया है'.

क्षेत्र की जनता क्यों नकार रही प्रत्याशियों को
वहीं विशेषज्ञों की मानें, तो नोटा यानी नॉट फॉर द एबोव यानी इनमें से कोई भी नहीं. इसके लिए ही नोटा का ईजाद इलेक्शन कमीशन ने किया. ये बात राजनीतिक पार्टियों को भी सोचनी होगी कि आखिरकर उनके द्वारा तय किए गए प्रत्यशियों को क्षेत्र की जनता क्यों पसंद नहीं कर रही है.


एक नजर में देखे जीत और नोटा में कितने का है फर्क

  • कांकेर में जीत का अंतर 6 हजार 914 रहा. वहीं नोटा पर 26 हजार 713 वोट पड़े.
  • बस्तर की बात की जाए, तो जीत का अंतर 38 हजार 982 रहा, जबकि नोटा पर 41 हजार 667 वोट पड़े.
  • रायपुर में जीत का अंतर 3 लाख 48 हजार 238 रहा, जबकि नोटा पर 4 हजार 292 वोट पड़े.
  • बिलासपुर में जीत का अंतर 1 लाख 41 हजार 763 रहा, जबकि नोटा पर 4 हजार 365 वोट पड़े.
  • दुर्ग में जीत का अंतर 3 लाख 91 हजार 978 रहा, जबकि नोटा पर 4 हजार 271 वोट पड़े.
  • सरगुजा में जीत का अंतर 1 लाख 57 हजार 874 रहा. जबकि नोटा पर 29 हजार 265 वोट पड़े.
  • रायगढ़ में जीत का अंतर 66027 रहा. वहीं नोटा पर 15 हजार 729 वोट पड़े.
  • जांजगीर में जीत का अंतर 83 हजार 255 रहा. वहीं नोटा पर 9 हजार 981 वोट पड़े.
  • कोरबा में जीत का अंतर 26 हजार 349 रहा. वहीं नोटा पर 19 हजार 305 वोट पड़े.
  • महासमुंद में जीत का अंतर 90 हजार 511 रहा. वहीं नोटा पर 21 हजार 241 वोट पड़े.
  • राजनांदगांव में जीत का अंतर 1 लाख 11 हजार 966 रहा. वहीं नोटा पर 19 हजार 436 वोट पड़े.
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रायपुर। लोकसभा चुनाव में देशभर में यूं तो तमाम फैक्टर पर काम किया गया है कई तरह के जातिगत राजनीति और राष्ट्रवाद जैसे समीकरणों को लोकसभा चुनाव के नतीजों से जोड़कर देखा गया है लेकिन छत्तीसगढ़ में नोटा भी एक बार फेक्टर बनकर सामने आया है। छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में 2 लोकसभा सीटों पर नोटा का इफेक्ट जबरदस्त रूप से देखा जा रहा है । इन सीटों पर जीते हुए प्रत्याशी के वोटों के अंतर से भी कहीं ज्यादा वोट नोटा पर पड़े हैं यदि नोटा पर बैठना पड़ता तो रिजल्ट मैं भी तो इसका असर देखने को मिलता। पेश है विशेष रिपोर्ट
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लोकसभा चुनावों में प्रदेश में सबसे ज्यादा बस्तर की जनता ने नोटा का बटन दबाकर अपने उम्मीदवारों को खारिज किया है। छत्तीसगढ़ के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, राज्य में 1.96 लाख से अधिक मतदाताओं ने नोटा पर मतदान किया है। अधिकारियों ने बताया कि राज्य के 1,36,22,725 मतदाताओं ने इस लोकसभा चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। इनमें से 1,96,265 मतदाताओं ने किसी भी प्रत्याशी को न चुनते हुए नोटा पर मत दिया है। बस्तर की दो लोकसभा सीटो पर गौर किया जाए तो बस्तर के नवनिर्वाचित सांसद दीपक बैज भाजपा के बैदू राम कश्यप को 38 हजार 982 मतों से हराकर सांसद बने है वही यहाँ नोटा पर 41 हजार 687 मत मिले है। सबसे हैरान करने वाला आँकड़ा बस्तर जे कांकेर लोकसभा का है यहां भाजपा के मोहन मंडावी 6 हजार 914 वोट से कांग्रेस के बीरेश ठाकुर को हराकर सांसद बने है । लेकिन जीत के अंतर से तीन गुना से भी ज्यादा तक यानी 26 हजार 713 वोट नोटा पर पड़े है। विशेषज्ञों की माने तो नोटा याने नॉट फ़ॉर द एबोव यानी इनमें से कोई नही इसके लिए ही नोटा का ईजाद इलेक्शन कमीशन ने किया। ये बात राजनीतिक पार्टियों को भी सोचनी होगी कि आखिरकर उनके द्वारा तय किए गए प्रत्यशियों को क्षेत्र की जनता क्यो पसन्द नही कर रही है।

बाईट- रामअवतार तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार

नोटा पर खासकर बस्तर में वोट पड़ने से राजनीतिक पंडितों के तमाम अनुमान फेल साबित हो रहे है। इसके पीछे के कई बड़े कारण हो सकते है।

पीटीसी

मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत, रायपुर

एक नजर में छत्तीसगढ़ में जीत का अंतर और नोटा

कांकेर - जीत का अंतर - 6914, नोटा 26713

बस्तर - 38982, नोटा 41667
रायपुर 348238 नोटा 4292
बिलासपुर 141763 नोटा 4365
दुर्ग 391978 नोटा 4271
सरगुजा 157874 नोटा 29265
रायगढ़ 66027 नोटा 15729
जांजगीर 83255 नोटा 9981
कोरबा 26349 नोटा 19305
महासमुंद 90511 नोटा 21241
राजनांदगांव 111966 नोटा 19436Conclusion:
Last Updated : May 27, 2019, 10:35 PM IST
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