ETV Bharat / state

आरक्षण में फंस सकता है पेंच !

author img

By

Published : Dec 3, 2022, 12:39 PM IST

छत्तीसगढ़ में शुक्रवार को आरक्षण बिल पास हो गया. अब सिर्फ राज्यपाल के हस्ताक्षर होना बाकी है. राज्यपाल ने आरक्षण को लेकर सरकार के साथ समीक्षा करने की बात कह दी हैं. इधर जानकारों का मानना है कि सरकार जो बिल लेकर आई है उसमें कई तकनीकि बाधाएं है.

Reservation status in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में आरक्षण विधेयक

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा में आरक्षण विधेयक सर्व सम्मति से पारित हो गया है. अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 13 प्रतिशत, ओबीसी वर्ग के लिए 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है. आरक्षण विधेयक में संशोधन कर सरकार भले ही अपनी पीठ थपथपा रही है लेकिन जानकारों का कहना है कि इसकी राह आसान नहीं है. विशेषज्ञों का कहना है कि "सरकार ने जो विधेयक पारित कराया है, उसके साथ कई तकनीकी अड़चने हैं. जो इसे कानूनी लड़ाई में फंसा सकती हैं."

नये कानूनों के साथ कानूनी अड़चने भी जुड़ी: संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञों का कहना है "सरकार ने जो विधेयक पारित कराया है, उसके साथ कई तकनीकी अड़चने हैं. जो इसे कानूनी लड़ाई में फंसा सकती हैं. अधिनियमों में सिर्फ जनसंख्या के आधार पर आरक्षण तय किया गया है. यह 1992 में आए मंडल फैसले और 2022 में ही आए पीएमके (तमिलनाडु) बनाम माईलेरुमपेरुमाल फैसले का उल्लंघन है. OBC को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला 42 साल पुरानी मंडल आयोग की केंद्र शासन अधीन सेवाओं पर दी गई सिफारिश पर आधारित है. यह भी 2021 में आए मराठा आरक्षण फैसले का उल्लंघन है."

आगे बताया "कुल आरक्षण का 50 प्रतिशत की सीमा से बहुत अधिक होना भी एक बड़ी पेचीदगी है. अनुसूचित क्षेत्र को इस बार विशिष्ट परिस्थिति के तौर पर पेश किया गया लेकिन वर्ग एक और दो की नौकरियों में अनुसूचित क्षेत्रों की कोई अलग हिस्सेदारी ही नहीं है. यह 1992 के मंडल फैसले का उल्लंघन है. प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता के आंकड़े विभाग-श्रेणीवार जमा किए गए हैं न कि काडरवार. यह भी मंडल फैसले और 2022 के जरनैल सिंह फैसले का उल्लंघन है."

छत्तीसगढ़ विधानसभा में नया आरक्षण विधेयक सर्वसम्मति से पास, राज्यपाल को भेजा गया बिल

वहीं आरक्षण विधेयक पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा,- "क्वांटिफायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश ही नहीं की गई. सदन को उसकी कोई जानकारी नहीं है. सरकार कह रही है जनसंख्या के अनुपात को आरक्षण का आधार बनाया है तो बिना डाटा के कैसे आधार बना दिया. पहले डाटा पेश कर देते, फिर कानून बना लेते. सरकार को इतनी हड़बड़ी क्यों थी."

बृजमोहन अग्रवाल ने कहा "आज का दिन संविधांन के लिए काला दिन है. क्या छोटे से चुनाव के लिए संविधान के खिलाफ कानून बनाएंगे. "

धरमलाल कौशिक ने कहा "इस बात की क्या गारंटी है कि कल कोई कुणाल शुक्ला इस विधेयक को कोर्ट में चुनौती नहीं देगा. "

3 साल में आ गई क्वॉवांटिफाइबल डाटा आयोग की रिपोर्ट: आरक्षण विधेयक पर चर्चा के बाद जवाब देते हुए सीएम भूपेश बघेल ने नेता प्रतिपक्ष को बधाई देते हुए कहा कि " बहुत अच्छा बोले, बेहतर सुझाव दिए. विपक्ष को दो महीना 10 दिन बहुत बड़ा लगा, लेकिन 2012 में आरक्षण लागू करने के बाद 6 साल इन्हें बहुत कम लगा. बीजेपी के पास अपने प्रभारियों को बताने के लिए कुछ नहीं है. इसलिए आरोप लगा रहे हैं. आरक्षण मामले में कुणाल शुक्ला पर विपक्षी सवाल खड़े कर रहे हैं, जबकि सच यह है कि आरक्षण मामले में 41 लोग कोर्ट गए थे. उनमें से एक नाम कुणाल शुक्ला का है. बीजेपी शासन काल में आरक्षण का विषय था. बीजेपी में मंत्रियों की कमेटी बनी, लेकिन कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भी हाईकोर्ट में सबमिट नहीं की. क्वॉवांटिफाइबल डाटा आयोग 7 साल में बीजेपी नहीं बना पाई. जब हमारी सरकार आई तो हमने आयोग बनाया और उसकी रिपोर्ट भी 3 साल में आ भी गई, जबकि 2 साल कोरोना में बीता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.