ETV Bharat / state

चिटफंड कंपनी में डूबी रकम वापसी की आस लगाए निवेशक भर रहे हैं फॉर्म, लेकिन इसमें भी हैं कई खामियां

author img

By

Published : Aug 8, 2021, 10:39 PM IST

Updated : Aug 8, 2021, 11:34 PM IST

छत्तीसगढ़ में चिटफंड कंपनियों में लाखों निवेशकों के अरबो रुपये फंसे हुए हैं. भूपेश सरकार ने 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले वादा किया था कि उनकी सरकार जब सत्ता में आएगी तो चिटफंड में डूबे पैसे वह वापस दिलाएंगे. अब बघेल सरकार इसके लिए फॉर्म भरवा रही है. ऐसे में यह जानते हैं कि इस फॉर्म के जरिए क्या सरकार चिटफंड से पैसा वापस करा पाएगा. अगर ऐसा होता है तो कब तक यह पैसा वापस मिलेगा. समझते हैं इस रिपोर्ट के जरिए.

amount sunk in chit fund company
चिटफंड कंपनी में डूबी रकम

रायपुर: छत्तीसगढ़ में कई हजार करोड़ रुपए चिटफंड कंपनियों ने डकार लिए हैं. प्रदेश के ग्रामीण इलाकों के लोग इसके प्रलोभन में आकर अपनी गाढ़ी कमाई गंवा चुके हैं. पिछले कई सालों से इन कंपनियों में फंसे रकम की वापसी को लेकर गुहार लगा रहे हैं. लेकिन लोगों को पैसे नहीं मिल पा रहे हैं.

चिटफंड कंपनियों में हजारों करोड़ रुपये फंसे

दरअसल कुछ साल पहले छत्तीसगढ़ में चिटफंड कंपनियों की बाढ़ सी आ गई थी. प्रदेश के लगभग हर कस्बे में इनके दफ्तर खोल दिए गए थे. सरकार की आंखों के नीचे राजधानी रायपुर में बड़े-बड़े ऑफिस खुल गए थे. लोगों को एक तरह भरोसा हो गया था कि उनका पैसा कम समय में दुगना हो जाएगा. बस चिटफंड कंपनियों ने इसी तरह सपना दिखाकर लोगों की उस कमाई पर डाका डाला जिसे लोग बच्चों की पढ़ाई, शादी, मकान या फिर बुढ़ापे के सहारे के तौर पर जमा किया था.

डूबी रकम वापसी की आस लगाए निवेशक भर रहे हैं फॉर्म

कांग्रेस ने चिटफंड में डूबे रकम को वापस दिलाने का किया था वादा

कांग्रेस ने 2018 में अपने चुनावी घोषणा पत्र में चिटफंड कंपनियों में डूबी रकम को वापस दिलाने का वादा किया था. लेकिन ढाई साल बाद सिर्फ एक कंपनी से ही 30 फीसदी ही रकम वापसी हो पाई है. जबकि यहां के 20 लाख से ज्यादा लोगों के सैकड़ों करोड़ की राशि अभी भी ऐसी दर्जनों कंपनियों के पास है जिसका अब कोई अता-पता नहीं है.

अब निवेशकों से सरकार भरवा रही है फॉर्म

सरकार ने अब लोगों से एक फॉर्म भरवाने का फैसला किया है. जिसमें लोगों को अपने निवेश के संबंध में बेसिक जानकारी देनी है. प्रदेश भर में लोग इस फॉर्म को इस उम्मीद से भर रहे हैं कि सरकार उनका डूबा पैसा वापस करा देगी लेकिन जिस फार्म को लोग इतनी शिद्दत से कोरोना की परवाह किए बिना भीड़ में आकर भर रहे हैं उसमें भी कई खामियां हैं. ऐसे में कुछ लोग सरकार की मंशा पर ही सवाल उठाने लगे हैं. ईटीवी भारत की टीम राजधानी स्थित तहसील कार्यालय पहुंची जहां का नजारा कुछ और ही बयां कर रहा था. हाथों में सफेद कागज लिए एक के बाद एक कई लोग तहसील कार्यालय पहुंच रहे थे कुछ जगहों पर लोग फार्म खरीद कर भर रहे थे तो कुछ दुसरो से फार्म भरवा थे. वहीं तहसील कार्यालय में इस फॉर्म को जमा करने काउंटर पर भी लोगों की खासी भीड़ देखी गयी. इस दौरान लोगों के आंखों में सिर्फ एक उम्मीद की किरण दिख रही थी कि जैसे भी हो हमारा फॉर्म जमा हो जाए और सरकार उनकी डूबी रकम वापस कर दे.

chit fund company
चिटफंड कंपनी

बहरहाल हमने चिटफंड कंपनियों से ठगी का शिकार हुए लोगों से बात की और जानने की कोशिश कि कैसे वे इस मकड़जाल में फंस गए. ईटीवी भारत की पड़ताल में कई बातें सामने आई. इस दौरान जो फॉर्म से जुड़ी जानकारी मिली वह इस प्रकार है.

लाखों लोगों की गाढ़ी कमाई चिटफंड में फंसी

इस दौरान ईटीवी भारत की टीम ने यहां पहुंच रहे लोगों से बात की. उनसे जानना चाहा कि,आखिर वह किस तरह से इस झांसे में आए और गाढ़ी कमाई चिटफंड में फंसा दी. एक महिला पुष्पा ने बताया कि उसने अपने बच्चों की शादी के लिए पैसे जमा किए थे. वहीं दिलीप देवांगन ने 15000 रुपये चिटफंड कंपनी में इस उम्मीद के साथ जमा किया था कि उन्हें बाद में अच्छी रकम मिलेगी. लेकिन वह रकम डूब गई. द्रौपदी बघेल ने भी 4 लाख रुपये चिटफंड कंपनियों में निवेश किया. उन्होंने बच्चों की पढ़ाई के लिए यह निवेश किया था. लेकिन उन्हें अब जरूरत के समय पैसा नहीं मिल पा रहा है.

वहीं लक्ष्मी नारायण वर्मा ने भी लगभग 20 हजार रुपये चिटफंड कंपनी में निवेश किए थे जो वर्तमान स्थिति में डूबे हुए हैं. एक और बुजुर्ग के द्वारा भी पैसा जमा किया गया था लेकिन आज उनको यह कहना पड़ रहा है यदि मैं नहीं रहा तो मेरे नाती पोतों को यह पैसा मिल जाए. अनिल तिवारी ने भी 60 हजार रुपये साल 2009 में चिटफंड कंपनी में निवेश किए थे. यह पैसे उन्होंने जमीन खरीदने के लिए जमा किया था. लेकिन अब वह पैसा भी डूबता नजर आ रहा है. इन सभी लोगों का कहना था कि इन्होंने अपने रिश्तेदार और जान-पहचान वालों के कहने पर विभिन्न चिटफंड कंपनियों में राशि जमा की थी. लेकिन बाद में कंपनी भाग गई. और उनकी रकम डूब गई।

chit fund company
चिटफंड कंपनी

कांग्रेस सरकार से डूबी रकम वापस मिलने की है उम्मीद

फॉर्म जमा करने पहुंचे इन सभी लोगों का कहना था कि, पूर्व में कांग्रेस ने अपने जन घोषणा पत्र में वादा किया था कि, सत्ता में आने के बाद चिटफंड कंपनी में डूबी हुई रकम को वापस दिलाएंगे. लेकिन ढाई साल बाद भी यह रकम वापस नहीं मिली है. इन लोगों का कहना था कि वे दो से 5 बार फॉर्म भर चुके हैं. बावजूद अब तक उन्हें जो भी रकम है वह वापस नहीं मिली. ये लोग आज इस उम्मीद के साथ फॉर्म भर रहे हैं कि कांग्रेस सरकार उनकी डूबी करम वापस दिलाएगी. इस दौरान कुछ लोगों ने सरकार पर वादाखिलाफी का भी आरोप लगाया.

क्या हैं खामियां ?

सरकार ने भले ही चिटफंड में डूबी रकम को वापस करने का आश्वासन देते हुए निवेशकों से फॉर्म भरवाना शुरू कर दिया है. लेकिन इसमें भी कई खामियां देखने को मिल रही है सबसे पहले जिस फार्म को भरवाया जा रहा है उसमें निवेशकों का खाता क्रमांक या फिर बैंक से संबंधित कोई जानकारी नहीं है. दूसरा एजेंट का नाम पता और मोबाइल नंबर भी उसमें लिखने के लिए कहा गया है. जबकि कई निवेशकों को सिर्फ एजेंट का नाम और नंबर ही पता है, उनके निवास की जानकारी नहीं है. इसके अलावा सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस फॉर्म में निवेशक से पूछा जा रहा है कि, वह क्या चाहते हैं. स्वाभाविक है कि डूबी हुई रकम को वापस पाने की चाहत के साथ ही यह लोग फॉर्म भरकर जमा कर रहे हैं और उसमें इस सवाल से कई मायने निकले जा सकते हैं.

फॉर्म जमा करने के बाद निवेशकों को नहीं दी जा रही रसीद

इतना ही नहीं जो निवेशक फॉर्म भर कर तहसील में जमा कर रहे हैं. उन्हें फॉर्म लेने वाले कर्मचारियों के द्वारा कोई पावती या रसीद भी नहीं दी जा रही है. ऐसे में यदि आने वाले समय में निवेशक को राशि नहीं मिलती है तो वह बिना पावती और रसीद के कहां अपील करेगा. वहीं फॉर्म जमा करने के बाद भी रसीद न दिए जाने को लेकर जब तहसील में मौजूद कर्मचारियों से बात की गई तो उसका कहना था कि, उन्हें सिर्फ फॉर्म जमा करने के लिए कहा गया है. रसीद देने के लिए नहीं इससे ज्यादा उन्हें और कुछ नहीं पता.

महज खानापूर्ति ना बन कर रह जाए यह फॉर्म

चिटफंड कंपनी में डूबी रकम को वापस पाने के लिए निवेशक लगातार आंदोलन करते रहे रहे हैं. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ नागरिक अधिकार समिति के द्वारा भी कई बार प्रदर्शन किया गया है. समिति के सदस्य शुभम साहू ने बताया कि चुनाव के पहले कांग्रेस सरकार ने चिटफंड में डूबी रकम को वापस दिलाने का वादा किया था. लेकिन अब तक किसी भी निवेशकों के पैसे नहीं मिले हैं. एक कंपनी ने 8 करोड़ में से सिर्फ दो करोड़ की राशि निवेशकों को लौटाई है. बाकी निवेशक अभी भी पैसा वापसी की सरकार से आस लगाए बैठे हैं. एक निवेशक शुभम ने बताया कि, यह फॉर्म भी महज खानापूर्ति नजर आ रही है. क्योंकि फॉर्म जमा करने के बाद पावती ( रसीद) नहीं दी जा रही है. इस तरह के फॉर्म उनके द्वारा पूर्व में भी 5 बार भरे जा चुके हैं सिर्फ फोटो कॉपी कर पैसा लेने की जगह पैसा बर्बाद हो रहा है.

आवेदन की अंतिम तिथि बढ़ाकर की गई 20 अगस्त

शासन के आदेश अनुसार चिटफंड कंपनियों से धन वापसी के लिए निवेशकों से आवेदन प्राप्त करने की अवधि बढ़ाकर 20 अगस्त 2021 कर दी गई है. पूर्व में निवेशकों से आवेदन प्राप्त करने की अंतिम तिथि 6 अगस्त 2021 थी. चिटफंड कंपनियों में निवेशकों की अत्यधिक संख्या को देखते हुए आवेदन प्राप्त करने की तिथि को बढ़ाया गया है. एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में लगभग 155 कंपनियों ने 60,000 करोड़ से ज्यादा की चपत निवेशकों को लगाई है.

प्रदेश में हजारों की संख्या में चिटफंड कंपनियों में निवेश करने वाले लोग फॉर्म भर कर जमा कर रहे हैं. इस उम्मीद के साथ कि सरकार इन्हें जल्द उनकी डूबी रकम वापस मिल जाएगी. अब देखने वाली बात है कि इन निवेशकों की उम्मीद पर सरकार कितनी खरी उतरती है.

Last Updated : Aug 8, 2021, 11:34 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.