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छत्तीसगढ़ के निर्माण में अटल बिहारी का योगदान

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Published : Aug 16, 2022, 12:42 PM IST

भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का नाम स्वर्णाक्षरों में विद्यमान है. उनकी शख्सियत और आभा अपने आप में बेमिसाल थी. उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल है.

Contribution of Atal Bihari in the formation of Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ के निर्माण में अटल बिहारी का योगदान

भारत रत्‍न अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी राजनीति और वाकपटुता से भारत ही नहीं पूरे विश्व में अपनी अमिटा छाप छोड़ी है. गंभीर से गंभीर समय में सरलता से उसका हल निकालने में अटल जी माहिर थे. 16 अगस्त साल 2018 को अटल जी ने इस दुनिया को अलविदा कहा.लेकिन इसके बाद भी उनके किए गए कार्य सदियों के लिए अमर हो गए हैं. भारतीय इतिहास में तीन बार के प्रधानमंत्री रहने वाले अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में 25 दिसंबर 1924 में मध्य प्रदेश जिले के ग्वालियर के एक गांव बटेश्वर में हुआ था. उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी एक शिक्षक और एक कवि भी थे. उनकी माता का नाम कृष्णा देवी वाजपेयी और उनके 7 भाई बहन भी थे.

कहां से ली शिक्षा : वाजपेयी जी (Atal Bihari Vajpayee) ने अपनी हाई स्कूल की शिक्षा सरस्वती शिक्षा मंदिर, गोरखी, बाड़ा, विद्यालय से प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने स्नातक की शिक्षा लक्ष्मीबाई कॉलेज से पूरी की और विधि स्नातक की डिग्री उन्होंने कानपुर में स्थित डीएवी (DAV) कॉलेज से अर्थशास्त्र विषय में ली. अटल जी छात्र जीवन से ही राजनीतिक तथ्यों से संबंधित वाद विवाद में हिस्सा लेना पसंद करते थे . वे हमेशा ऐसी प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहते थे.आगे चलकर सन् 1939 अपने छात्र जीवन में उन्होंने स्वयंसेवक की भूमिका भी निभाई. उन्होंने हिंदी न्यूज पेपर में संपादक (Editor) का काम भी किया.

भारत के लिए बनें प्रेरणा : आपको बता दे की वाजपेयी जी ने कभी शादी नहीं की. उन्होंने दो बच्चियों को गोद लिया था. उनकी बेटियां नमीता और नंदिता थी. आजादी की लड़ाई में वे अनेक नेताओं के साथ मिलकर लड़े. फिर हमारे देश के लिए अत्यंत दुःख भरा दिन रहा, जब 16 अगस्त 2018 को दिल्ली के एम्स अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली. यह दिन हमारे देश की सभी देशवासियों के लिए अत्यंत क्षति वाला दिन था. हमारे देश ने एक महान राजनेता को खो दिया. आज भी अटल जी के भाषण, लिखी गयी किताबें, कविताओं और प्रधानमंत्री के तौर पर किये गए कामों को सम्मान के साथ याद किया जाता है.

छत्तीसगढ़ के निर्माण में भूमिका : पृथक राज्य की मांग को केंद्र में रखकर आचार्य नरेंद्र दुबे ने 1965 में ‘छत्तीसगढ़ समाज’ की स्थापना की. इसके करीब दो साल बाद यानी 1967 में डॉ. खूबचंद बघेल ने छत्तीसगढ़ी महासभा को विसर्जित कर ‘छत्तीसगढ़ी भ्रातृ संघ’ बनाया और राज्य की मांग को पुनर्जीवित किया. लेकिन अटलजी की वो हुंकार यादगार तारीख बन गई. 2 जनवरी 1995 को रायपुर में सर्वदलीय मंच की रैली हुई. जिसमें छत्तीसगढ़ के 7 सांसद, 23 विधायक और दो मंत्री शामिल हुए. चंदूलाल चंद्राकर के निधन के बाद मंच बिखर सा गया. लेकिन तब तक राज्य की मांग राजनीतिक दलों के लिए अनिवार्यता बन चुकी थी. हालांकि आंदोलन में शिथिलता आ रही थी. तभी राजनीति की सभी संभावनाओं को समेटकर विद्याचरण शुक्ल इस आंदोलन में कूद पड़े. उन्होंने राज्य संघर्ष मोर्चा का गठन (Contribution of Atal Bihari in the formation of Chhattisgarh) किया.


अटल ने निभाया अपना वादा : उनके आंदोलन का असर दिल्ली तक होने लगा. इन्हीं कारणों से चुनाव (98-99) के दौरान बीजेपी के नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने रायपुर की सप्रेशाला मैदान की सभा में जनता से वादा किया था ‘आप मुझे 11 सांसद दो मैं छत्तीसगढ़ दूंगा’. और कुछ समय बाद .. वह घड़ी आ गई.. जब सपना साकार हुआ.केंद्र में अटल सरकार बनी. लगभग एक साल बाद यानी 31 जुलाई 2000 को लोकसभा में और 9 अगस्त को राज्य सभा में छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के प्रस्ताव पर मुहर लगी. 4 सितंबर 2000 को भारत सरकार के राजपत्र में प्रकाशन के बाद 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ देश के 26वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया और पुरखों का सपना साकार हुआ.

अटल बिहारी वाजपेयी का राजनीतिक जीवन : सन् 1942 में अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अपनी राजनीतिक जीवन के सफर शुरू किया था. उस समय भारत छोड़ो आंदोलन जोर शोर से चल रहा था और इसी दौरान उनके भाई को इस आंदोलन में गिरफ्तार कर लिया गया था. इनके भाई को 23 दिनों के लिए जेल कारावास में रहना पड़ा था, उसके बाद उन्हें रिहा कर दिया गया . उसी समय उनकी मुलाकात श्यामा प्रसाद मुखर्जी से हुई और उनके आग्रह करने पर उन्होंने भारतीय जनसंघ पार्टी को ज्वाइन कर लिया. भारतीय जनसंघ पार्टी का गठन सन् 1951 में हुआ था.

विदेश में छोड़ी छाप : इसके बाद सन् 1957 में जनसंघ पार्टी द्वारा अटल बिहारी वाजपेयी जी को अपने उम्मीदवार के तौर पर उत्तर प्रदेश जिले के बलरामपुर लोकसभा सीट से इलेक्शन के लिए टिकट दी गयी और अटल जी ने लोकसभा चुनाव में अपनी पहली जीत दर्ज की. इसके बाद उनकी उपलब्धि को देखते हुए उन्हें पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया. अटल जी 2 साल तक मोरारजी देसाई कि सरकार में वर्ष 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री रहे जिससे हमारे देश की प्रति विदेशों में एक विश्वासी देश की पृष्ठभूमि तैयार करने में उनका बहुत योगदान रहा.

भारतीय जनता पार्टी का जन्म : इसके बाद सन् 1980 में अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अपनी एक पार्टी का गठन किया. जो थी भारतीय जनता पार्टी और 06 अप्रैल 1980 को अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला. लोकसभा चुनाव सन् 1996 में भारतीय जनता पार्टी का देश भर में पहला विजय चुनाव रहा. इस चुनाव से बीजेपी ने देश में पहली बार अपनी सरकार को स्थापित किया और मात्र 13 दिनों के लिए 06 मई से 21 जून 1996 तक देश के दसवें प्रधानमंत्री के रूप में अटल जी ने शपथ ली.

तीन बार ली प्रधानमंत्री पद की शपथ : 13 दिनों तक ही सरकार चलने के बाद अटल जी की सरकार गिर गई और फिर सन् 1998 में सरकार गिरने के 2 साल बाद पार्टी सत्ता में आई और 19 मार्च 1998 में अटल जी ने दूसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. फिर 10 अक्टूबर 1999 को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद के लिए शपथ ली.इसके बाद भी अटल जी ने अनेकों ऐसे काम किए जिनके बूते उन्हें स्मरण किया जाता है.

भारत को बनाया परमाणु शक्ति : सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी जी ने प्रधानमंत्री रहते हुए राजस्थान के पोखरण में सन् 1998 में 11 मई और 13 मई को पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके हमारे देश को परमाणु शक्ति संपन्न देश बनाया. यह एक साहसिक कदम था, जिससे हमारे देश को अलग ही पहचान मिली. भारत देश का यह परमाणु परीक्षण इतनी गोपनीयता से किया गया था कि पश्चिमी देशों की आधुनिक तकनीक भी नहीं पकड़ पायी थी. परमाणु परीक्षण के बाद कुछ देशों ने अनेक प्रतिबंध भी लगाए. लेकिन अटल जी ने इन सब चीजों की परवाह न करते हुए आगे बढ़ने का फैसला लिया.

पाकिस्तान के साथ संबंधों को सुधारने की पहल : अटल जी ने 19 फरवरी 1999 में दिल्ली से लाहौर तक की बस सेवा शुरू की, जिसे सदा-ए-सरहद का नाम दिया गया. बस सेवा शुरू कर के दोनों देश के बीच आपसी रिश्ते में सुधार लाने की पहल की और उस समय उन्होंने पाकिस्तान का दौरा भी किया और वहां के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात भी की.

कारगिल युद्ध (1999) : कुछ समय बाद पाकिस्तानी सेना प्रमुख परवेज मुसर्रफ की शह पर पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ शुरू कर दी. कई पहाड़ की चोटियों पर अपना कब्जा कर (kargil war) लिया. तब जवाबी कार्यवाही में अटल बिहारी जी की सरकार ने ठोस कदम उठाएं और भारतीय सेना को खुला समर्थन दिया. जिससे हमारी सेना ने पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ दिया और उन्हें धूल चटाई.

स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना : अटल बिहारी वाजपेयी जी ने ही भारत के सड़क मार्ग को जोड़ने का काम चारों कोनों से किया है. इसमें दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और मुंबई जैसे प्रमुख शहरों को राजमार्गों से जोड़ने का काम किया गया जिसे स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना का नाम दिया गया और अभी तक अटल बिहारी वाजपेय जी की सरकार ने ही सबसे ज्यादा सड़के बनवाई है.इसके अलावा अटलजी के कई कार्य आज भी याद किए जाते हैं.

  • अटल जी की सरकार में 100 वर्ष से भी पुराने कावेरी जल विवाद को सुलझाया गया.
  • कई समितियों और आयोगों का गठन किया गया जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा समिति, आर्थिक सलाह समिति, व्यापार एवं उद्योग समिति.
  • राष्ट्रीय राजमार्गों एवं हवाई अड्डों का विकास किया गया.
  • नयी टेक्नोलॉजी, विद्यतीकरण को गति देना, दूरसंचार को बढ़ावा देना .
  • ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा करना और विदेशों में बसे भारतीयों के लिए बीमा योजना को शुरू किया.
  • अर्बन सीलिंग एक्ट समाप्त कर आवास निर्माण को प्रोत्साहन दिया.
  • नई टेलीकॉम नीति और कोंकण रेलवे की शुरुआत की.
  • इनके कार्यकाल में टेलीकॉम क्षेत्र और रेलवे विभाग विकास की नई ऊंचाईयों को छुआ.
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