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CM Baghel worshiped on Mahashivaratri राजिम माघी पुन्नी मेले का समापन आज,सीएम भूपेश होंगे शामिल

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Published : Feb 18, 2023, 6:15 PM IST

Updated : Feb 18, 2023, 6:42 PM IST

CM Baghel worshiped on Mahashivaratri
महाशिवरात्रि के अवसर पर सीएम भूपेश ने की पूजा

छत्तीसगढ़ के प्रयाग यानी राजिम माघी पुन्नी मेला पूरे विश्व में विख्यात है. माघ में लगने वाले इस मेले की ख्याति भारत के कोने कोने में फैली है. माघ पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि तक लगने वाले इस मेले में लाखों की संख्या में भीड़ पहुंचती है.महाशिवरात्रि के दिन राजिम माघी पुन्नी मेले का समापन होता है. इस बार समापन कार्यक्रम में सीएम भूपेश बघेल भी शामिल होंगे.

रायपुर : महाशिवरात्रि के अवसर पर सीएम भूपेश बघेल ने मंदिरों में पूजा अर्चना की.शाम को सीएम भूपेश बघेल राजिम पुन्नी मेला के समापन कार्यक्रम में भी शामिल होंगे.इससे पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर के महोबा बाजार स्थित मीडिया सिटी में शिवलिंग प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होकर लोगों की सुख-समृद्धि की कामना की.

राजिम मेले के समापन में शामिल होंगे सीएम भूपेश बघेल : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल महाशिवरात्रि के अवसर पर राजिम के माघी पुन्नी मेला 2023 के समापन समारोह में भी शामिल होंगे. इसके बाद दुर्ग जिले के पाटन विकासखण्ड के ग्राम कौही और ठाकुराईन टोला में आयोजित महाशिवरात्रि मेला महोत्सव और नवा रायपुर के शहीद वीर नारायण सिंह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में आयोजित ‘सेलिब्रिटी क्रिकेट लीग 2023 का भी हिस्सा बनेंगे.

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क्या है राजिम पुन्नी मेले की ख्याति : रायपुर से 45 किलोमीटर दूर सोंढूर, पैरी और महानदी के त्रिवेणी संगम-तट पर बसे इस छत्तीसगढ़ की इस नगरी को श्रद्धालु श्राद्ध, तर्पण, पर्व स्नान, दान जैसे धार्मिक कार्यों के लिए उतना ही पवित्र मानते हैं, जितना अयोध्या और बनारस को. पुराणों के अनुसार राजिम के कुलेश्वरधाम में स्थित शिवलिंग की स्थापना सीता ने की थी. उस समय रेत का शिवलिंग बनाकर राम सीता और लक्ष्मण में इसकी पूजा की.

मंदिरों की महानगरी राजिम को लेकर ऐसी मान्यता है कि जगन्नाथपुरी की यात्रा तब तक संपूर्ण नहीं होती जब तक यात्री राजिम की यात्रा नहीं कर लेता.इसलिए ओडिशा जाकर जगन्नाथपुरी के दर्शन करने के बाद श्रद्धालु राजिम के कुलेश्वरधाम आना नहीं भूलते. राजिम मेले को पहले राजिम कुंभ के नाम से जाना जाता था.लेकिन बाद में इसे सरकार ने पुन्नी मेले का नाम दिया.इस मेले में छत्तीसगढ़ को देशभर में धर्म, कला और संस्कृति की त्रिवेणी के रूप में प्रसिद्ध करने का काम किया है.साथ ही धर्मनगरी राजिम को एक नई पहचान भी दी है.सच कहें तो अनादि काल से छत्तीसगढ़ियों के विश्वास और पवित्रता का दूसरा नाम है राजिम पुन्नी मेला.

Last Updated :Feb 18, 2023, 6:42 PM IST
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