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महिला हैं इसलिए सहना आपकी नियति नहीं बेटियों को पढ़ाएं और कानून की जानकारी दें: किरणमयी नायक

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Published : Jun 28, 2021, 9:50 PM IST

Updated : Jun 28, 2021, 10:11 PM IST

State Women Commission Chairperson Kiran Mayee Nayak
छत्तीसगढ़ महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक से खास बातचीत

छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग (Chhattisgarh State Women Commission) की अध्यक्ष डॉक्टर किरणमयी नायक (Dr. Kiranmayee Nayak) को कार्यभार संभाले एक साल पूरा होने जा रहा है. उन्होंने जुलाई 2020 में महिला आयोग की अध्यक्ष का पद संभाला था. इसे लेकर आने वाले समय में उनके काम की प्लानिंग को लेकर ETV भारत ने उनसे बात की.

रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग (Chhattisgarh State Women Commission) की अध्यक्ष के रूप में डॉक्टर किरणमयी नायक (Dr. Kiranmayee Nayak) के एक साल पूरे होने वाले हैं. रायपुर की महापौर रह चुकीं नायक ने जुलाई में राज्य महिला आयोग की कमान संभाली थी. वे रायपुर की महापौर रह चुकी हैं. अध्यक्ष बनने के बाद से उन्होंने अब तक कैसे काम किया ? आने वाले वक्त में उनकी क्या प्लानिंग है ? ETV भारत से किरणमयी नायक ने बातचीत की है.

छत्तीसगढ़ महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक से खास बातचीत

सवाल : एक साल का अपना कार्यकाल आप किस रूप में देखती हैं ? जब पद संभाला था तब से अब में क्या अंतर है ?

जवाब : अभी मेरे कार्यकाल को 1 साल पूरा होने में कुछ समय बाकी है. जब मैंने कार्यभार संभाला था उस समय लॉकडाउन लगा था. उस समय का लॉकडाउन और अभी तक की स्थिति में कहें तो लगभग साढे 5 महीने लॉकडाउन में ही निकल गए. जब मैंने महिला आयोग (Women Commission) ज्वॉइन किया था 582 मामले पेंडिंग थे. लॉकडाउन के बाद जो समय मुझे मिला, उसमे पूरे छत्तीसगढ़ का एक बार दौरा कर लिया है. कुछ जिलों में दो से तीन बार भी जा चुकी हूं, जो बड़े जिले थे. जहां पेंडिंग केस ज्यादा थे. जनवरी 2021 तक 1100 मामलों की सुनवाई मैं कर चुकी थी. जनवरी के बाद मार्च तक की गई सुनवाई की संख्या अभी काउंट नहीं की गई है.

मुझे नेशनल लेवल पर सराहना मिली है. राष्ट्रीय महिला आयोग (National Women Commission) की तरफ से सर्वाधिक मामलों की सुनवाई के लिए सराहना मिली है. कोरोना काल में सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने सुनवाई की. अन्य राज्य महिला आयोग के अध्यक्षों को भी समझाइश दी गई कि वे भी छत्तीसगढ़ से सीखें कि कैसे त्वरित निराकरण कर सकते हैं कोरोना और लॉकडाउन के दौरान. यह हमारे लिए एक बड़ी उपलब्धि थी. मार्च तक हमने फिर सुनवाई की. लेकिन वर्तमान में सरकार की गाइडलाइन के कारण सुनवाई नहीं कर सके हैं.

सवाल : ऐसा माना जाता है कि जो भी मामले आयोग में आते हैं, उन पर धीमी गति से कार्रवाई होती है. इस पर क्या कहेंगी ?

जवाब : पिछला तो मैं नहीं जानती. लेकिन अभी जो रिकॉर्ड देखे उसके हिसाब से 7 साल 10 साल पुराने मामले चले आ रहे थे. उनका वही घिसा-पिटा तरीका था कि पुलिस प्रतिवेदन मनाया जाए. लेकिन यहां आने के बाद हम काफी बदलाव लेकर आए हैं. हमने यहां पर पुलिस और जिला प्रशासन की पूरी मदद ली है. सभी उच्च अधिकारियों से कॉर्डिनेट किया हुआ है. अब आयोग की तरफ से कोई चिट्ठी जाती है या नोटिस जाता है तो हर विभाग तत्काल संज्ञान लेता है. महिलाओं के मामलों का तत्काल निराकरण हो रहा है. हमने महिलाओं के पेंडिंग मामलों को खत्म करने की दिशा में काफी तेजी से काम किया है.

सवाल : आपका वकालत का अनुभव महिला आयोग में पेंडिंग मामलों को निपटाने में काफी कारगर साबित हुआ है ?

जवाब : जरूर कहा जा सकता है कि वकालत के अनुभव का लाभ मुझे मिला है क्योंकि मेरे द्वारा जो भी पुलिस, जिला प्रशासन को पत्र लिखा जाता है तो वह उसे इग्नोर नहीं कर सकते हैं. हम बिंदुबार बात करते हैं और इसका फायदा मुझे निश्चित रूप से मिला है. इसकी एक पूरी प्रक्रिया है. महिला आयोग को सिविल कोर्ट के पावर दिए गए हैं. गवाह बुलाना, समन देना है, यह सारे प्रावधान हैं. हमारे केस में कोर्ट रूम की तरह सुनवाई होती है. मुख्यमंत्री के द्वारा महिला आयोग को नया भवन दिया गया तो हमने इसे उसी तर्ज पर तैयार किया है.

सवाल : कई बार ऐसा भी देखा जाता है कि महिलाएं शिकायत करने के लिए आवेदन तो देती हैं लेकिन बाद में सुनवाई के दौरान उपस्थित नहीं होती हैं.

जवाब : यहां पर हर तरह के मामले आते हैं. जो महिला शिकायत करने आती है वह कोशिश करती है कि मामले का निराकरण हो. अगर बाहर भी कोई समझौता कर लेते हैं तो उनके मन में डर होता है कि यदि हम लोग सेटलमेंट नहीं करेंगे और महिला को प्रताड़ित करेंगे तो कड़ी कार्रवाई होगी. हम लगातार कार्रवाई भी कर रहे हैं और इसका फायदा भी मिलता है. महिलाओं के मामले में सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं अन्य राज्यों में भी आयोग की ओर से कई चिट्ठी भेजी जाती है तो वहां से लोग भी सुनवाई के लिए आते हैं.

सवाल : कुछ विदेश के मामले में सुनवाई के लिए आपके पास आए हुए हैं ?

जवाब : लगभग दो-तीन विदेश के मामले हैं. इसमें एक अमेरिका और एक न्यूजीलैंड का है. दोंनों मामलों में पत्नियों को छोड़ रखा है. ऐसे मामलों में हमें एंबेसी के जरिए वहां चिट्ठी भेजनी पड़ेगी. इसके लिए पीड़ित महिलाओं द्वारा अभी तक कुछ जरूरी दस्तावेज जमा नहीं किए गए हैं. इस कारण से मामले में थोड़ी देर हो रही है. जैसे ही दस्तावेज जमा किए जाते हैं उस पर भी तत्काल कार्रवाई की जाएगी.

सवाल : महिला आयोग के पास ऐसे मामले भी आ रहे हैं कि बिना शादी लड़के-लड़की साथ में रहते हैं. उनके बच्चे भी हो जाते हैं. लेकिन बाद में जब लड़की शादी की बात करती है तो लड़का शादी से पीछे हट जाता है और यह मामला आयोग के पास आ जाता है.

जवाब : हमारे पास एक मामला आया था, जिसमें बिना शादी लड़का-लड़की साथ रह रहे थे. उनका एक 5 साल का बच्चा भी था. लेकिन बाद में लड़की ने आरोप लगाया कि लड़का उससे शादी नहीं कर रहा है. जब हमने बात की तो वह बहाने बनाता नजर आया. जब उसके विभाग में जहां वह नौकरी कर रहा था उसके मालिक को कहा कि समझाएं. उसने उसे ही नौकरी से निकाल दिया. जब बाद में वह लड़का शादी करने को तैयार हुआ तो लड़की ने यह कह कर शादी करने से मना कर दिया है कि अब लड़का नौकरी नहीं करता है. इससे शादी करके क्या फायदा ? उनकी शादी की व्यवस्था भी आयोग के द्वारा करा दी गई थी. लेकिन उसके बाद से उन लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं है. किरणमयी ने कहा कि महिला आयोग में इस तरह के कई यूनिक मामले सामने आते हैं.

सवाल : कई बार ऐसा भी होता होगा कि जब आपके पास दोनों पक्ष सुनवाई के लिए आते हैं तो आपको यह समझना मुश्किल हो जाता है कि आखिर दोष किसका है ?

जवाब : कई बार ऐसी परिस्थिति निर्मित होती है. क्योंकि महिला आयोग है और महिला शिकायत करती है तो हमारी प्राथमिकता होती है कि महिला को न्याय मिले. लेकिन कई बार ऐसे मामले भी होते हैं, जिसमें पुरुष पक्ष की गलती नहीं होती है. जब सामने दोनों को सुना जाता है तो ऐसा लगता है कहीं उनके साथ अन्याय न हो. महिला का घर बस जाए और उसकी समस्या का समाधान भी हो जाए. हम दोनों पक्षों को समझाकर उनके बीच में समझौता कराने कोशिश करते हैं.

सवाल : कई बार आप महिलाओं के खिलाफ भी बयान देती रही हैं, जिस पर विवाद भी हुआ.

जवाब : 'जो बयान मैंने दिया था, वह कल भी सही था, आज भी सही है, आगे भी सही रहेगा, मैंने कुछ भी गलत नहीं कहा था'. ऐसा है कि आज के जमाने में बदली परिस्थितियों में यदि आप चीजों को बोलेंगे नहीं तो कैसे चलेगा ? हमारा काम केवल फैसला करना ही नहीं है हमारा काम जन जागरूकता लाना भी है. हमारे एक-एक बयान और एक-एक शब्द के बहुत मायने होते हैं. इसको पूरे प्रदेश में नहीं, देश में सराहना मिली है कि आपने हिम्मत करके यह बात कही. मैंने जो बात कही वह समाचार पत्रों में छपा है तो कई हजार लड़कियों के घर और जिंदगी बर्बाद होने से बच गई.

यह होता है कि लड़कियों को फुसलाकर, बरगला करके लोग अपने झांसे में ले लेते हैं. लेकिन झांसे में लेना एक बार की प्रक्रिया हो सकता है. लेकिन यदि आप लंबे समय तक उनके साथ गैरकानूनी तरीके से रहते हैं. उसके बाद उम्मीद करेंगे कि हम भारतीय मानसिकता के आधार पर शादी के बंधन पर बांध जाए. जो रिश्ता कल गलत था, वह आज भी गलत है और आगे भी रहेगा. इसमें मुझे नहीं लगता कि मैंने कभी भी कोई गलत बयान दिया या विवादित बयान दिया था. हालांकि कि लोगों ने जरूर इसे विवादित बनाने की कोशिश की. लेकिन जो मैंने कहा है, उस पर कल भी कायम थी और आज भी कायम हूं.

सवाल : यह तो वही बात हुई कि सिक्के के दो पहलू होते हैं और किस पहलू को सामने लाया जाए ?

जवाब : यदि हम सिक्के के दोनों पहलू लोगों को बताएंगे नहीं तो उनको समझ कैसे आएगा. 17-18 साल की नाबालिग लड़कियां आ रही हैं. यह कहती हैं कि मुझे इसी लड़के से शादी करनी है. मां-बाप को छोड़ना है. आप कैसे उनको समझाएंगे ? कवर्धा के कलेक्टर ने एक मामला भेजा है जिसमें अलग धर्म के लड़के और लड़की का मामला था. बिना शादी के प्रेगनेंसी का मामला था. ऐसे केस में लड़कियों को समझाना ही होगा. अगर नहीं समझाएंगे तो कल को बहुत से ऐसे केस सामने आएंगे. हमारा रोल है कि हमारे प्रदेश में कोई भी लड़की इस तरीके से परेशान ना हो, भटके नहीं. किसी महिला को कोई और पुरुष प्रताड़ित न कर सके, यह देखना भी हमारा काम और हमारी जिम्मेदारी है.

सवाल : क्या आप मानती हैं कि समय के साथ कानून में बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही है ?

जवाब : कानून में हमेशा बदलाव होता रहता है. संशोधन भी होते रहते हैं. समय और परिस्थिति के हिसाब से कानून लगातार बदलते जाते हैं. निर्भया कांड के पहले जो कानून था रेप को लेकर, अब उसके बाद उसमें बहुत सारे प्रावधान हो गए हैं. सखी सेंटर का निर्माण हो गया है. लड़कियों, महिलाओं को जो घर से निकाल देते थे उनके लिए व्यवस्था की बात हो गई है. कानून में हर समय परिवर्तन होता है और इसलिए हम लोगों को अपडेट कानून की जानकारी होनी चाहिए. देखा जाता है कि जिस दिन कानून पास होता है, यह समझा जाता है कि सभी को कानून की जानकारी हो गई. लेकिन ऐसा होता नहीं है. शिक्षा की कमी है. लोग कानून की तरफ ध्यान तब देते हैं जब मुसीबत में पड़ते हैं. हमारी जिम्मेदारी होती है कि हम ऐसे कानून के बारे में लोगों को जानकारी दें.

सवाल : आप के कार्यकाल के दौरान ऐसा कोई केस जो आपको बहुत अलग लगा हो या सॉल्व करने में सोचना पड़ा हो ?

जवाब : हमारे यहां बहुत तरह के मामले आते हैं. उनमें से एक मामला यह था जिसमें बच्चा 20 साल पहले हॉस्पिटल से बदला गया था. 20 साल बाद पुराना मामला हम ले नहीं सकते थे लेकिन जब उनका आवेदन देखा तो मुझे लगा कि आउट ऑफ वे जाकर इस मामले को देखना चाहिए. जब मामले की सुनवाई की तो देखा कि जब बच्चा गुमा था और जिसके ऊपर शक था बच्चा बदली करने का, वो बच्चा 20 साल का होने के बाद अपने मां-बाप की शक्ल में दिखने लगा. उस केस में हमने डीएनए टेस्ट की बात कही है. डीएनए टेस्ट से प्रूफ हो जाएगा कि यह बच्चा वास्तव में उनका है या नहीं. यह अपने आप में एक यूनिक मामला था.

एक अन्य मामले में बच्चा गुम है और मिल नहीं रहा है. उसकी मां रो-रो करके परेशान थी. जो दोस्त थे उस पर उनका शक था. जगदलपुर के इस मामले में नार्को टेस्ट के लिए लिखा है. उसकी रिपोर्ट आएगी तो उसके बच्चे के बारे में जानकारी मिल जाएगी. इस तरीके के फॉरेंसिक लाइन के जो मामले हैं. जो पुलिस प्रशासन भी नहीं करते. अदालत जाओ तो उसमें लंबा समय लग जाता है. ऐसे मामले भी हमारे पास बहुत आ रहे हैं और उसमें हम तत्काल मदद कर पा रहे हैं.

सवाल : आगे के लिए आप की क्या तैयारी है ?

जवाब : 'मुख्यमंत्री महतारी न्याय रथ' (Chief Minister Mahtari Nyay Rath) की योजना महिला आयोग बना रहा है. अभी तो हमारी कोशिश यह है कि वर्कप्लेस पर जो महिलाओं के यौन शोषण का 2013 में कानून बना था. उसका इंप्लीमेंटेशन प्रॉपर नहीं हो पाया. इस कानून का इंप्लीमेंट कराना प्राथमिकता है. सभी संस्थान सरकारी या फिर निजी ही क्यों ना हो जहां पर 10 या उससे अधिक कर्मचारी कार्य कर रहे हैं. वहां महिलाएं हैं तो आपको आंतरिक परिवार समिति का गठन करना पड़ता है, जिससे महिलाओं के साथ वर्कप्लेस पर कोई यौन शोषण ना हो. पहले महिलाएं काम पर नहीं निकलती थी लेकिन आज ज्यादातर महिलाएं काम कर रही हैं. उनके साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार ना हो. कानून की जानकारी उस महिला को रहे, उस दिशा हमारा फोकस है. हम कोशिश करेंगे कि महिलाओं के जितने भी कानून बनाए गए हैं, उनकी अवेयरनेस हो. हमारा मेन फोकस है सब तक कानून की जानकारी पहुंचाना. इसके लिए हमारी योजना "मुख्यमंत्री महतारी न्याय रथ" की है. उसके लिए बजट की कोशिश में है. उसकी योजना बना रहे हैं. आने वाले समय में जन जागरूकता की योजना है. जब तक स्थिति नॉर्मल नहीं होती तब तक वर्चुअल माध्यम से लोगों को जागरूक करेंगे. उसके बाद जनता के बीच में जाकर उन्हें महिला कानून की जानकारी देंगे.

सवाल : ETV भारत के माध्यम से आप प्रदेश की महिलाओं से क्या अपील करेंगी और पुरुषों को क्या संदेश देंगे ?

जवाब: ETV भारत के माध्यम से मैं प्रदेश के सभी नागरिकों को ना केवल महिला बल्कि पुरुषों से भी कहना चाहूंगी कि महिलाओं के साथ किसी भी तरह की हिंसा या प्रताड़ना करना हमेशा नुकसान देय रहा है. घर-परिवार के लिए भी और समाज के लिए भी और अपने प्रदेश के लिए भी. महिलाओं को यह कहना चाहूंगी कि वे अपने अधिकार के प्रति जागरूक रहें. केवल महिला हैं आप को सहना नियति है, यह पुराने संस्कार हैं. इससे आप थोड़ा ऊपर आइए. अपने घर की बेटियों को पढ़ाने की कोशिश करिए और नए जमाने में कानून के साथ जानकारी रख कर परिवार और समाज में चलने की उनको भी जानकारी दें. इससे हमारी बेटियों का भविष्य सुरक्षित होगा. भविष्य में छत्तीसगढ़ की कोई बेटी और महिला प्रताड़ना का शिकार न हो ऐसी मैं कामना करती हूं.

Last Updated :Jun 28, 2021, 10:11 PM IST
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