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Bhakt Prahlad Story : होलिका दहन और भक्त प्रहलाद की कथा

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Published : Mar 4, 2023, 1:18 PM IST

Updated : Mar 7, 2023, 12:43 PM IST

holika dahan 2023 भक्त प्रहलाद वैष्णववाद, वैष्णव भक्ति के प्रतीक माने जाते हैं. वैष्णव परंपरा में भक्त प्रह्लाद का अमिट और उल्लेखनीय नाम माना गया है. भक्ति, श्रद्धा, उपासना और विष्णु भगवान के प्रति आसक्ति के सबसे प्रमुख केंद्रीय पात्र भक्त प्रहलाद माने गए हैं. संपूर्ण कथा बुराई पर अच्छाई, अनीति पर नीति, असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व है. holi 2023

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होलिका दहन और भक्त प्रहलाद की कथा

होलिका दहन और भक्त प्रहलाद की कथा

रायपुर: ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "भक्त प्रहलाद कयाधु मां के बेटे माने गए हैं. हिरणकश्यप के पुत्र हैं. भक्त प्रहलाद को कयाधु मां ने अपने गर्भावस्था काल में चतुराई और बुद्धिमानी से हिरण्यकश्यप के श्री मुख से भगवान विष्णु का नाम निकलवा लिया था. फल स्वरुप गर्भ में पल रहे प्रह्लाद लक्ष्मी नारायण भगवान अर्थात श्री हरि विष्णु भगवान के भक्त हो जाते हैं. बाल्यावस्था से ही भक्त प्रहलाद श्री विष्णु को पूजा और और उनकी स्तुति करने वाले बन जाते हैं. 5 वर्ष से भी कम उम्र में भक्त प्रहलाद ने ओम नमो भगवते वासुदेवाय के महामंत्र को सिद्ध कर लिया था वन वन जाकर भक्त प्रहलाद ने इस मंत्र को अभिष्ट रूप से सिद्धि प्राप्त कर लिया था, फलस्वरुप भक्त प्रह्लाद को अनेक विशिष्ट शक्तियां प्राप्त हो जाती है."


हिरण्यकश्यप ने खुद को घोषित किया भगवान : ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "भक्त प्रहलाद के पिता हिरण्यकश्यप अपने अहंकार और आत्ममुग्धता के शिकार होकर स्वयं अपने आप को ही भगवान घोषित कर देते हैं.उनके चाटुकार चापलूस और दरबारीगण उनकी उनकी प्रशंसा और चापलूसी से उनके अहंकार को बढ़ावा देते हैं. फलस्वरुप आत्ममुग्ध अहंकार से चूर हिरण्यकश्यप और अधिक अत्याचारी आदताई और नकारात्मक कृतियों का स्वामी बन जाता है. जब उसे यह मालूम चलता है कि उसका पुत्र श्री हरि विष्णु का भक्त है. तब से वह लगातार भक्त प्रहलाद पर तरह तरह के अत्याचार दबाव और हिंसक बल प्रयोग करता है, तब भी भक्त प्रहलाद अपने मार्ग से विचलित नहीं होते और विष्णु भक्ति पर ही अडिग रहते हैं."


होलिका का अहंकार हुआ भस्म :ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "भक्त प्रहलाद से त्रस्त होकर हिरण्यकश्यप छल और कपट से एक षड्यंत्र रचते हैं.भक्त प्रहलाद को अपनी बहन होलिका के द्वारा जलाने का प्रयास करते हैं. होलिका जिसे अग्निदेव से विशिष्ट आशीर्वाद प्राप्त होता है, कि वह अग्नि में विशिष्ट कपड़े को पहनकर अग्नि से बच जाएगी. यह आशीर्वाद उसके लिए एक कवच की तरह कार्य करता है. लेकिन भक्तवत्सल श्री हरि विष्णु के महान साधक प्रहलाद जब अपनी बुआ की गोद में बैठ जाते हैं, तो भगवान नारायण अपनी शक्तियों से प्रहलाद को अग्नि के गर्म लपटों से बचाकर सकुशल निकाल लेते हैं.वहीं होलिका इस आग में जलकर भस्माभूत हो जाती है. होलिका का दहन हो जाता है. इस तरह अपने भक्तों पर विशेष अनुग्रह करने वाले श्री हरिनारायण अपने भक्तों की रक्षा के लिए स्वयं चले आते हैं. बुराइयों से ज्यादा दूर रहने और लड़ने की प्रेरणा देते हैं."

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बुराई और नकारात्मकता का अंत : ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "इस कथा से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें सदा धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए. वह मार्ग कितना ही कठिन क्यों ना हो हमें सदैव सत्य नीति और श्रेष्ठता के मार्ग का अनुसरण करना चाहिए. हमारा जीवन सात्विकता से महका हुआ हो. तामसिक प्रवृत्तियां हमें आकर्षित ना कर पाए. भक्त प्रह्लाद ने भी बाल्यावस्था से ही यही कार्य किया होलिका दहन का पर्व अग्नि के साथ-साथ अपनी समस्त बुराइयों नकारात्मकता, विभिन्न भ्रांतियों, प्रमाद आलस्य, ईर्ष्या, राग द्वेष, को जला देने का पर्व है. भक्त प्रहलाद आशावाद उम्मीद धनात्मकता और धर्म के महान प्रतीक माने जाते हैं. होलिका दहन से हमारे जीवन में अच्छाइयों के रंग सामने आते हैं."

Last Updated : Mar 7, 2023, 12:43 PM IST
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