ETV Bharat / state

faith or superstition : महासमुंद में मकर संक्रांति पर सूखा लहरा की परंपरा

author img

By

Published : Jan 14, 2023, 6:45 PM IST

Makar Sankranti in Mahasamund
मकर संक्रांति पर सूखा लहरा की परंपरा

महासमुंद और गरियाबांद जिले के बीच का गांव हथखोज पूरे जिले में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है. लाखों महिला पुरुष मकर संक्रांति के विशेष अवसर पर इस गांव में इकट्ठे होते हैं. ये सभी लोग इस जगह पर चमत्कारिक घटना को देखने के लिए आते हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इस गांव में ऐसा क्या है जो एक खास दिन इस जगह भीड़ इकट्ठा होती है. हथखोज में सूखा लहरा की सदियों पुरानी एक परंपरा है.जो आत्मा से परमात्मा को जोड़ती है.

महासमुंद : हथखोज की सूखे नदी में मकर संक्रांति के दिन सूखा लहरा लिया जाता है. इस सूखे लहरे का प्रचलन इस क्षेत्र में कब से है ये कोई नहीं जानता है. क्षेत्र के पुराने बुजुर्गों से बातचीत करने पर यह जानकारी मिली है कि दो से तीन सौ साल पहले यह प्रथा शुरू हुई है. सूखा लहरा लेने और पंच कोसी यात्रा से मानवंछित फल और सभी दुखों का अंत हो जाता है.ऐसा भी कहा जाता है जो लोग चारों धाम की यात्रा नहीं कर सकते हैं वो सूखा लहरा और पंच कोसी यात्रा को पूरा कर लें.उसे चार धाम जितना ही फल मिलता है.

क्या है सूखा लहरा की परंपरा : मकर संक्रांति के दिन सुबह से ही हथखोज के सूखा नदी में सूखा लहरा लेने वालों का तांता लगा रहता है. यहां नदी के बीच में पहुंच कर भगवान शंकर जी का लिंग बना कर पूजा अर्चना किया जाता है.जैसे ही शिव लिंग को पकड़ कर श्रद्धालु लेटता है. उसके शरीर पर माता शक्ति लहरी का प्रवेश होता है. सूखी नदी में गोल गोल घूमने लगता है. भक्त तब तक घूमते रहते हैं जब तक उन्हें रोक कर उसे शांत नहीं किया जाता.इस दिन लोग 150 किलोमीटर की लंबी पदयात्रा भी करते हैं.

ये भी पढ़ें- मकर संक्रांति के अवसर पर मुर्गा लड़ाई का क्रेज


कहां से शुरु होती है यात्रा : गरियाबंद जिले के पटेश्वर महादेव से इस यात्रा की शुरुआत 11 और 12 जनवरी से होती हैं. भक्त लगभग 20 किलो मीटर का सफर कर 12 जनवरी को चम्पारण धाम पहुंचते हैं. यहां भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा अर्चना कर 13 जनवरी को भक्त यहां से निकलते हैं. उसी दिन फिंगेश्वर महादेव पहुंचते हैं. 14 जनवरी मकर संक्रांति की सुबह श्रद्धालु हथखोज माता शक्ति लहरी के दर्शन करने और सुख लहरा लेने पहुंचते है. यहां से सूखा लहरा लेकर श्रद्धालुओं का दल बामनेश्वर महादेव के दर्शन के लिए बम्हनी पहुंचते हैं.जिसके बाद श्रद्धालु कानेश्वर महादेव होते हुए छत्तीसगढ़ का प्रयाग राजिम लोचन कुलेश्वर महादेव पहुंच कर अंतिम दर्शन पूजा पाठ कर इस यात्रा को समाप्त करते हैं. इस यात्रा के दौरान श्रद्धालु 7 नदियों के दर्शन करते हैं. जिसमें महानदी, पैरी और सोढ़हू नदी का संगम होता है. इसलिए इसे प्रयाग भी कहा जाता है. इस यात्रा के दौरान श्रद्धालु जिस भोजन का ग्रहण करते है वह खुद बनाते हैं.यात्रा करने वाले अपने साथ राशन भी लेकर चलते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.