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National Ramayana Festival: सीतामढ़ी हरचौका...यहां मिलती है भगवान राम के गृहस्थी की झलक

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Published : May 20, 2023, 1:19 PM IST

छत्तीसगढ़ सरकार 1 जून से 3 जून तक राष्ट्रीय रामायण महोत्सव का आयोजन रायगढ़ में करवा रही है. इस रामायण महोत्सव में अरण्य कांड की प्रस्तुति होगी. कहा जाता है कि वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण ने 10 साल छत्तीसगढ़ में गुजारा था. एमसीबी जिले के सीतामढ़ी में माता सीता की रसोई थी. जिसकी स्मृतियां आज भी मौजूद है. MCB Sitamarhi Harchauka

Sitamarhi Harchauka
सीतामढ़ी हरचौका

रायपुर: एमसीबी जिले का सीतामढ़ी हरचौका, जहां वनवास के दौरान श्रीराम और माता सीता के कदम छत्तीसगढ़ में पड़े थे. यह भूमि पुण्यभूमि हो गई. वनवास का शुरुआती समय श्रीराम ने यहीं बिताया था. माता सीता ने यहां रसोई बनाई थी. इस वनप्रदेश में भगवान श्रीराम की गृहस्थी बसी हुई है.

भगवान राम के गृहस्थी की झलक: इस स्थान से श्रीराम के जुड़ाव के बारे में स्थानीय लोग कई तरह की जानकारियां देते हैं. श्रद्धालुओं के लिए पर्यटन नक्शे में इस जगह की जानकारी दी गई है. लोगों ने यहां भगवान राम से जुड़ी कई यादों को संजोकर रखा है. इस जगह पर स्थित मवई नदी ने माता सीता के पैर पखारे हैं. भगवान राम की गृहस्थी की झलक यहां साफ तौर पर देखने को मिलती है.

सीएम ने की खास पहल: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने रामवनगमन पर्यटन परिपथ बनाने की पहल की. इससे यहां आने वाले स्थानीय लोगों को बेहतर सुविधा मुहैया हो सकेगी. देश-विदेश में बसे राम भक्त उनकी स्मृतियों से रूबरू होंगे. अब यह सुंदर पुण्यस्थली भक्तों के लिए पूरी तरह तैयार है. इसका वैभव और इसका आध्यात्मिक महत्व अब लोगों को काफी आसानी से उपलब्ध हो सकेगा. भगवान श्रीराम और माता सीता से जुड़ी इस सुंदर पुण्य भूमि की गुफाओं में 17 कक्ष हैं. इस स्थान को हरचौका कहा जाता है. कई लोग इसे माता सीता की रसोई के नाम से भी जानते हैं. सीतामढ़ी हरचौका में भगवान राम के वनवास का काफी समय बीता है. वनवास काल में भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ जहां-जहां ठहरे, उनके चरण जहां पड़े हैं. ऐसे 75 स्थानों को चिन्हांकित किया गया है. इनमें से 9 जगहों को विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किया जा रहा है.

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मवई नदी के किनारे माता सीतामढ़ी हरचौका: राम वनगमन पर्यटन परिपथ परियोजना की शुरूआत एमसीबी जिले के सीतामढ़ी हरचौका से होती है. मवई नदी के किनारे स्थित सीतामढ़ी हरचौका दण्डकारण्य का शुरुआती स्थान है. वनवास काल में भगवान राम का आगमन छत्तीसगढ़ की धरती पर हुआ था. सीतामढ़ी- हरचौका के पुरातात्विक महत्व को संरक्षित करने के लिए इस परिपथ के प्रमुख स्थलों का पर्यटन तीर्थ के रूप में विकास किया जा रहा है.

शिलाखंड पर भगवान राम के पदचिन्ह: सीतामढ़ी हरचौका में विशाल शिलाखंड स्थित है, जिसे लोग भगवान राम का पद चिन्ह मानते हैं. लोक आस्था और विश्वास के कारण लोग शिलाखंड की पूजा करते है. प्रभु राम के पदचिन्ह का पुरातात्विक महत्व होने के कारण इस पर शोध कार्य भी जारी है. छत्तीसगढ़ में राम लोक मानस में बसे हैं. यह सुखद संयोग है कि छत्तीसगढ़ में उनसे जुड़े अनेक स्थान हैं, जो उनके प्रसंगों को रेखांकित करते हैं. वनवासी राम का सम्पूर्ण जीवन सामाजिक समरसता का प्रतीक है. भगवान राम ने वनगमन के समय हमेशा समाज के वंचित लोगों को गले लगाया.

पर्यटन के रूप में विकास: सीतामढ़ी-हरचौका को लोक आस्था के केन्द्र के रूप में विकसित करने का काम किया जा रहा है. नदी के घाट का सौंदर्यकरण चल रहा है. यहां पर्यटकों के ठहरने के लिए आश्रम भी निर्माणाधीन है. खान-पान की व्यवस्था के लिए कैफेटेरिया भी बनाया जा रहा है. यहां से भगवान राम की 25 फीट ऊंची प्रतिमा दिखाई देगी.

ऐसे पहुंचे सीतामढ़ी हरचौका: रायपुर से मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिला मुख्यालय मनेन्द्रगढ़ की दूरी लगभग 400 किमी है. सड़क मार्ग से सीधे हरचौका पहुंचा जा सकता है. रायपुर से यहां पहुंचने के लिए ट्रेन उपलब्ध है. ये ट्रेन बैकुंठपुर रोड स्टेशन तक जाती है. यहां से लगभग 170 किमी की दूरी पर सीतामढ़ी हरचौका स्थित है. बैकुंठपुर रोड स्टेशन से सीतामढ़ी हरचौका जाने के लिए टैक्सी सेवा भी उपलब्ध है.

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